Monkeypox Virus: मंकीपाक्स की जांच के लिए अमृतसर में लैब तैयार, कोरोना में उपयोग होने वाली मशीन से होगी टेस्टिंग
Monkeypox Virus आइसीएमआर ने स्पष्ट किया है कि देश में कहीं भी मंकीपास्क का केस रिपोर्ट होता है तो सरकारी मेडिकल कालेज में संदिग्ध मरीजों की जांच शुरू की जाएगी। दरअसल कोरोना महामारी के बीच कई देशों में मंकीपाक्स की दस्तक ने हिला दिया है।
By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Tue, 12 Jul 2022 09:30 AM (IST)
नितिन धीमान, अमृतसर। Monkeypox Virus: वैश्विक महामारी कोरोना के बाद मंकीपाक्स के खतरे के मद्देनजर केंद्र सरकार ने एहतियाती कदम उठाए हैं। इंडियन कौंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) की ओर से शहर के सरकारी मेडिकल कालेज में मंकीपाक्स की टेस्टिंग की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।
इसके लिए वर्चुअल मीटिंग की जा चुकी है और मंकीपास्क की टेस्टिंग प्रक्रिया की सारी जानकारी मेडिकल कालेज स्थित वायरल रिसर्च डिजीज लैब के विशेषज्ञों को दे दी गई है। आइसीएमआर ने स्पष्ट किया है कि देश में कहीं भी मंकीपास्क का केस रिपोर्ट होता है तो सरकारी मेडिकल कालेज में संदिग्ध मरीजों की जांच शुरू की जाएगी। दरअसल, कोरोना महामारी के बीच कई देशों में मंकीपाक्स की दस्तक ने हिला दिया है।
ब्रिटेन, जर्मनी व इटली सहित कई देशों में मंकीपाक्स के केस मिल चुके हैं। हालांकि भारत में इस बीमारी से पीड़ित मरीज सामने नहीं आया है, पर केंद्र सरकार एहतियात के तौर पर ट्रेसिग, ट्रीटमेंट व टेस्टिग की प्रक्रिया शुरू कर रही है। आइसीएमआर ने देश की 15 प्रमुख प्रयोगशालाओं में मंकीपास्क की टेस्टिंग को स्वीकृति दी है। इसमें सरकारी मेडिकल कालेज स्थित वायरोलाजी लैब भी शामिल है।
मेडिकल कालेज स्थित माइक्रोबायोलाजी विभाग के प्रोफेसर व वायरल रिसर्च डिजीज लैब के प्रभारी डा. केडी सिंह के अनुसार आइसीएमआर ने मंकीपाक्स की जांच के लिए प्रशिक्षण दिया है। इस वायरस की जांच कोरोना की तरह की आरटीपीसीआर मशीन में की जाएगी। मशीनें उनके पास उपलब्ध हैं। बस कुछ री-एजेंट बदले जाएंगे।
कोरोना वायरस व मंकी पाक्स में कुछ समानताएं
डा. केडी ने कहा कि कोरोना और मंकीपाक्स में कुछ समानताएं हैं। मंकीपाक्स संक्रमित को बुखार होता है। शरीर में चकते पड़ जाते हैं। ये लक्षण दो से चार सप्ताह तक रहते हैं। मंकीपाक्स त्वचा, नाक, आंख व मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। इस वायरस का प्रसार करने में जानवर काफी हद तक जिम्मेदार हैं। संक्रमित जानवर को छूने, उसका मांस खाने या लार आदि से यह वायरस इंसान को गिरफ्त में लेता है।
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