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12 आतंकियो को मार कर लेफ्टीनेंट नवदीप सिंह ने पिया था शहादत का जाम

लेफ्टीनेंट नवदीप सिंह की पलाटून को इस आप्रेशन को अंजाम देने की जिम्मेदारी मिली। आतंकियो ने जैसे ही भारत सीमा में घुसपैठ करने का प्रयास किया तो लेफ्टीनेट नवदीप सिंह ने काफी नजदीक से उन पर फायरिंग शुरु कर दी तथा 12 आतंकियो को मौत की नींद सुला दिया।

By Vipin KumarEdited By: Updated: Fri, 20 Aug 2021 10:59 AM (IST)
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शहीद लेफ्टीनेट नवदीप सिंह की फाइल फोटो।

संवाद सहयोगी, गुरदासपुर। गुरदासपुर व पठानकोट की वीरभूमि ने  को यह मान प्राप्त है कि उसने अपने असंख्य लाल राष्ट्र की बलिवेदी पर कुर्बान किए हैं। इन्हीं शहीदों में नाम शामिल है संतनगर निवासी शहीद लेफ्टीनेट नवदीप सिंह का, जिन्होंने 26 वर्ष की अल्पायु में बलिदान देकर अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित करवा लिया। 20 अगस्त 2011 को इनकी यूनिट को जम्मू कश्मीर के बांदीपुर जिले के गुरेज सेक्टर के साथ लगती भारत-पाक सीमा की किशन गंगा नदी के पास पाक प्रशिक्षक आतंकियो की घुसपैठ होने की सूचना मिली। लेफ्टीनेंट नवदीप सिंह की पलाटून को इस आप्रेशन को अंजाम देने की जिम्मेदारी मिली। आतंकियो ने जैसे ही भारत सीमा में घुसपैठ करने का प्रयास किया तो लेफ्टीनेट नवदीप सिंह ने काफी नजदीक से उन पर फायरिंग शुरु कर दी तथा 12 आतंकियो को मौत की नींद सुला दिया। इसी दौरान आतंकियो द्वारा दागी एक गोली उनके सिर को भेदते हुए निकल गई। जिससे इस रणबांकुरे ने शहादत का जाम पी लिया।

शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविदर विक्की ने बताया कि नवदीप सिंह का जन्म आठ जून 1985 को पिता कैप्टन जोगिदर सिंह और माता जगतिदर कौर के घर हुआ। आर्मी स्कूल तिब्बड़ी कैंट से मैट्रिक और सरकारी कालेज गुरदासपुर से 12वीं करने के बाद उन्होंने होटल मैनेजमेंट ज्वाइन किया। इसके बाद उन्होंने आर्मी इंस्टीट्यूट् आफ मैनेजमेंट कोलकाता से एमबीए की डिग्री प्राप्त की। अप्रैल 2010 में सीडीएस की परीक्षा पास करने के बाद ओटीए चेन्नई में प्रवेश पाया। 19 मार्च 2011 को यहां से पास होकर उन्होंने 15 मराठा लाईट इन्फ्रेंट्री यूनिट में बतौर लेफ्टिनेंट शामिल होकर देश सेवा में जुट गए।

राष्ट्रपति ने किया शौर्यचक्र से सम्मानित

लेफ्टिनेंट नवदीप के अदम्य साहस को देखते हुए पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने मरणोपरांत उन्हें 26 जनवरी, 2012 को अशोक चक्र से सम्मानित किया था। सरकारी कालेज गुरदासपुर में उनके नाम पर खेल स्टेडियम बनाया गया है। आज 20 अगस्त को यहां पर उन्हें श्रद्धांजलि जी जा रही है। 

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