Lok Sabha Election: BJP की कैंपनिंग के आगे फीका पड़ा किसान आंदोलन? पंजाब में कैसा रहा राजनीतिक दलों का चुनाव प्रचार
पंजाब की 13 लोकसभा संसदीय सीटों पर आम चुनाव होना है। ऐसे में राजनीतिक पार्टियों ने जमकर प्रचार-प्रसार किया। पंजाब में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चार रैलियां कीं। वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा राजनाथ सिंह समेत छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली। भाजपा की रणनीति पंजाब में ज्यादा से ज्यादा सीट जीतने की है।
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। भाजपा पंजाब में पहली बार 13 लोक सभा सीटों को लड़ने के लिए उतरी। पार्टी के पास कुछ सीटों पर चेहरे ही नहीं। दूसरी तरफ किसान संगठन भाजपा उम्मीदवारों का विरोध कर रहे थे। जिसका सबसे बड़ा शिकार हुए फरीदकोट के उम्मीदवार हंस राज हंस और पटियाला की परनीत कौर।
भाजपा अपनी रणनीति पर चलती रही। 20 मई के करीब भाजपा के प्रचारकों ने पंजाब (Punjab Lok Sabha Election) में डेरा जमाना शुरू कर दिया। एक के बाद एक स्टार प्रचारकों के चुनाव मैदान में आने से तस्वीर भी बदलने लगी। वहीं, 31 दिनों तक रेलवे ट्रैक रोकने के कारण किसान संगठन भी आम लोगों के निशाने पर आ गए।
किसान संगठन अलग-थलग पड़ने लगे हैं
एक तरफ भाजपा का प्रचार जोर पकड़ने लगा और किसान संगठन अलग-थलग पड़ने लगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चार रैलियां की। भाजपा की रणनीति रही कि दूसरी पार्टी के नेताओं को अपने दल में शामिल करवाओ और आक्रामक प्रचार करो और किसी भी प्रत्याशी को अकेला नहीं रहने दो।भाजपा की रणनीति अभी तक कारगर भी रही। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह समेत छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर लगातार हमले किए।
जिसके कारण भाजपा लगभग सभी सीटों पर चर्चा में आ गई। भाजपा की रणनीति पंजाब में ज्यादा से ज्यादा सीट जीतने के साथ-साथ 2027 के विधान सभा चुनाव में अपना आधार बढ़ाना भी रहा।
राहुल के इर्द-गिर्द घूमती रही कांग्रेस
वैसे तो कांग्रेस में स्टार प्रचारकों की कमी नहीं है लेकिन पंजाब में कांग्रेस के प्रचार का धुरा राहुल गांधी ही रहे। हालांकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने फरीदकोट में पार्टी प्रत्याशी के लिए प्रचार किया और अमृतसर में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। प्रियंका गांधी, सचिन पायलट आदि नेता भी पंजाब में आए लेकिन कांग्रेस की रणनीति राहुल पर ही फोकस करने की रही।
कांग्रेस के प्रचार का तरीका प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपनी बात को रखो और राहुल रैलियां कर लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचेंगे। राहुल की रणनीति संविधान को बचाने के अलावा अग्निवीर योजना पर ज्यादा रहा। राहुल और मल्लिकार्जुन इंडी गठबंधन के घटक दल आप पर हमले करने से कतराते रहे।वहीं, उन्होंने इस बात पर ज्यादा जोर दिया कि भाजपा अगर दोबारा सत्ता में आती है तो संविधान बदल देगी। कांग्रेस के नेताओं ने आप सरकार की बजाए भाजपा पर ही निशाना साधा। बड़े स्टार प्रचारकों के बावजूद कांग्रेस के बड़े चेहरे चरणजीत सिंह चन्नी, सुखजिंदर सिंह रंधावा, सुखपाल खेहरा की सीटों पर किसी राष्ट्रीय नेता ने कदम नहीं रखा।
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