Dussehra 2022 : जालंधर में एक ऐसा मंदिर जहां महिलाओं व बच्चों को दशहरे पर ही मिलता है प्रवेश, अनोखी है परंपरा
जालंधर के लोगों के लिए दशहरा का दिन काफी खास है। दशहरे के दिन जालंधर में श्री देवी तालाब मंंदिर में स्थित मां महाकाली के मंदिर में महिलाएं व बच्चे दर्शन करने के लिए जा सकते हैं। मंदिर कमेटी द्वारा व्यापक स्तर पर तैयारियां की गई हैं।
By Sham Sehgal Edited By: Vinay kumarUpdated: Wed, 05 Oct 2022 09:49 AM (IST)
शाम सहगल, जालंधर। बुधवार का दिन महिलाओं तथा बच्चों के लिए खास है। दशहरे के दिन का इंतजार उन्हें वर्षभर रहता है। यह इंतजार रावण, कुंभकरण तथा मेघनाथ के पुतलों को दहन होते देखने तथा आतिशबाजी का नजारा का देखने का नहीं, बल्कि प्राचीन ट्रस्ट महाकाली मंदिर की ऊपरी मंजिल पर बने मंदिर में प्रतिष्ठापित देवी मां के दर्शनों का है।
दरअसल, पंजाब के एकमात्र सिद्ध शक्तिपीठ श्री देवी तालाब मंदिर के परिक्रमा प्रांगण में स्थित है प्राचीन ट्रस्ट महाकाली मंदिर। जिसकी ऊपरी मंजिल पर बने हुए प्राचीन मंदिर में स्थापित प्रतिमा के दर्शन महिलाएं तथा बच्चे केवल दशहरे वाले दिन ही कर सकते हैं। जिसे लेकर मंदिर कमेटी द्वारा व्यापक स्तर पर तैयारियां की गई है।
मोहनी बाबा ने निर्माण के साथ ही निर्धारित किया था नियममंदिर कमेटी के सेवादार योगेश्वर शर्मा अशोक सोबती तथा नरिंदर सहजपाल बताते हैं कि इस मंदिर के निर्माण को लेकर कई धार्मिक ग्रंथों में भी जिक्र किया गया है। बताया जाता है कि महाराजा रणजीत सिंह भी मां महाकाली की उपासना के लिए यहां पर आए थे। वह बताते हैं कि इस मंदिर के कपाट पुरुषों के लिए वर्ष भर खुले रहते हैं। लेकिन महिलाएं तथा बच्चे यहां पर केवल दशहरे वाले दिन ही आकर नतमस्तक हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि मोहनी बाबा ने यहां पर कई सालों तक तपस्या की थी। इस दौरान उन्होंने किसी भी नारी को अपने नजदीक नहीं आने दिया था। यहीं कारण था कि मंदिर के निर्माण के साथ ही इसमें महिलाओं के प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया।
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