Father's Day 2024: रेहड़ी पर चाय बेचकर बेटों को बनाया IIT इंजीनियर, जज्बे की मिसाल बने पंजाब के जितेंद्र
Fathers Day 2024 पंजाब के जितेंद्र कुमार ने चाय की रेहड़ी लगाकर बेटों को IIT इंजीनियर बना दिया। बेटों की सफलता का राज बेटों का होशियार होना उनकी कड़ी मेहनत और समाज के लोगों की तरफ से उनकी आर्थिक मदद करने में बताते हैं। जितेंद्र कुमार बेटों की इस बड़ी सफलता के बावजूद आज भी अत्यंत मिलनसार मृदभाषी और समाज के प्रति धन्यवादी हैं।
मनुपाल शर्मा, जालंधर। Father's Day 2024: तपती हुई धूप, भारी बरसात और कड़ाके की सर्दी में एक बिना छत की रेहड़ी पर सड़क किनारे घंटों तक सड़क किनारे चाय बेचने वाले जितेंद्र कुमार के कड़े तप ने उनके बेटों को आईआईटी इंजीनियर बना दिया।
दोनों बेटों का पैकेज आधे करोड़ से ज्यादा है। 60 वर्षीय जितेंद्र कुमार 1995 से अब तक जालंधर के चौगिट्टी चौक में रेहड़ी पर चाय बेच रहे हैं।
बिहार के रहने वाले हैं जितेंद्र
मूल रूप से बिहार के जिला मुजफ्फरपुर के रहने वाले वाले जितेंद्र कुमार ने 29 वर्ष पहले सड़क किनारे रेहड़ी पर तीन रुपए में चाय बेचने की शुरुआत की थी। आज उनके दो बड़े बेटे प्रतिष्ठित आईआईटी संस्थानों से इंजीनियरिंग करने के बाद दिल्ली में लाखों रुपए के पैकेज पर कार्यरत हैं और सबसे छोटा तीसरा बेटा एनआईटी जालंधर में इंजीनियरिंग कर रहा है।दोनों बेटों ने इंजीनियरिंग में अजमाई किस्मत
जितेंद्र कुमार के बड़े बेटे अमित कुमार ने आईआईटी इलाहाबाद से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की तो छोटे बेटे सुमित कुमार ने दिल्ली से केमिकल इंजीनियरिंग की। सबसे छोटा बेटा रोहित कुमार इसी वर्ष एनआईटी जालंधर में कंप्यूटर साइंस में दाखिला लेने में सफल रहा है। अमित और सुमित दोनों ही अब दिल्ली की बड़ी कंपनियों में कार्यरत हैं। अमित कुमार 35 लाख सालाना और सुमित कुमार 20 लाख सालाना का पैकेज ले रहा है।
फीस भरने के भी नहीं थे पैसे
वर्ष 2014 में जब अमित और सुमित ने आईआईटी एंट्रेंस एग्जाम क्लियर किया था, तब जितेंद्र कुमार के पास उनके दाखिले की फीस भरने के लिए पर्याप्त पैसा भी नहीं था। जब होनहार बेटों की उपलब्धि के बारे में लोगों को पता चला तो कई लोगों ने आर्थिक मदद की और जितेंद्र कुमार अपने बेटों का दाखिला आईआईटी में करवाने में सफल हो गए। बीएसएफ पंजाब फ्रंटियर के तत्कालीन आईजी ऐके तोमर, आईपीएस दोनों बेटों की मेहनत से खाते प्रभावित हुए थे और उन्होंने भी उन्हें अपना हर संभव सहयोग दिया।बैंक की तरफ से दी गई रेहड़ी बनवाकर
जितेंद्र कुमार के बेटों की उपलब्धि को देखते हुए एक बैंक की तरफ से उन्हें बढ़िया रेहड़ी बनवा कर दी गई, लेकिन आज भी जितेंद्र कुमार उस बिना छत वाली रेहड़ी को साथ रखे हुए हैं।यह भी पढ़ें: Punjab News: 'मान के हाथ से जल्द जाने वाला है CM आवास...', सुनील जाखड़ ने मुख्यमंत्री को लिया आड़े हाथ
गर्व से बताते हैं कि बिना छत वाली इसी रेहड़ी ने उन्हें राजा बना दिया। जिस इलाके में रेहड़ी लगाते हैं, वहां कभी बस बाडी फेब्रिकेशन का बहुत काम हुआ करता था। इस रेहड़ी पर काम करते हुए कभी टाइम नहीं देखा था। कभी 12 घंटे, कभी 14 तो.कभी 16 तो कभी 18 घंटे तक भी चाय बेची है। बस मेहनत में ही जुटे रहे कि बच्चों को पढ़ाना है।
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