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Mahalaxmi Vrat 2022: महालक्ष्मी व्रत 17 सितंबर को, जालंधर के मंदिरों में 16 गांठ बंधे धागे बनाने की तैयारियां शुरू, जानें नियम

Mahalaxmi Vrat 2022 मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्री महालक्ष्मी व्रत को 16 दिनों तक लगातार करने का परंपरा थी। जो अंतिम दिन रात्रि को तारों को अ‌र्घ्य देने के बाद संपन्न किया जाता था। अब लगातार 16 दिनों तक व्रत रख पाना संभव नहीं है।

By DeepikaEdited By: Updated: Wed, 14 Sep 2022 01:13 PM (IST)
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Mahalaxmi Vrat 2022: श्री महालक्ष्मी व्रत 17 सितंबर को रखा जाएगा। (सांकेतिक)
जागरण संवाददाता, जालंधर। बच्चों की दीर्घायु और मां लक्ष्मी की अराधना को लेकर श्री महालक्ष्मी व्रत 17 सितंबर को रखा जाएगा। वहीं मंदिरों में पीले रंग के 16 गांठ बंधे हुए धागे बनाने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। इसके लिए धागे की खरीद से लेकर इसे तैयार करने के लिए सदस्यों की ड्यूटियां लगाई जा रही हैं।

दूसरी तरफ, फल और सरगी के दौरान खाए जाने वाले व्यंजनों की खरीदारी को लेकर भी बाजार सजना शुरू हो गए हैं। इस बारे में मां चिंतपूर्णी मंदिर, माई हीरा गेट के पुजारी पंडित देवेंद्र कुमार शुक्ला बताते हैं कि दिवाली पर लक्ष्मी पूजन की तरह ही श्री महालक्ष्मी व्रत महत्वपूर्ण होता है।

कारण, दिवाली पर धन की कृपा पाने के लिए मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। ठीक इसी प्रकार श्री महालक्ष्मी व्रत पर मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधि विधान है। इस दिन मां लक्ष्मी का पंचामृत स्नान करवाने से घर में उन्नति आती है। हालांकि, इस व्रत का आगाज श्री राधा अष्टमी यानि तीन सितंबर से ही हो गया था।

इसलिए बांधी जाती है 16 गांठें

पहले के समय में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्री महालक्ष्मी व्रत को 16 दिनों तक लगातार करने का परंपरा थी। जो अंतिम दिन रात्रि को तारों को अ‌र्घ्य देने के बाद संपन्न किया जाता था। अब लगातार 16 दिनों तक व्रत रख पाना संभव नहीं है। ऐसे में महिलाएं कलाई पर 16 गांठ वाले धागे बांधकर व्रत की रस्में पूरी करती हैं।

18 सितंबर तक रहेगी अष्टमी तिथि, व्रत 17 को

सनातन धर्म के पंचांग के मुताबिक आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 17 सितंबर को शुरू हो जाएगी। जो इस दिन दोपहर 2:14 बजे से शुरू होकर 18 सितंबर को शाम 4:33 बजे तक रहेगी। लेकिन, मां महालक्ष्मी व्रत रात को तारों को अ‌र्घ्य देकर संपन्न किया जाता है। ऐसे में व्रत का पारण 17 सितंबर को ही होगा। पंडित एसके शास्त्री के मुताबिक व्रत वाले दिन सर्वार्थसिद्धि का शुभ योग बन रहा है। 

यह है व्रत के नियम

- मां महालक्ष्मी व्रत रखने के दौरान दिन भर निराहार रहें।

- दिन ढलने के दौरान मां महालक्ष्मी व्रत की कथा सुनें।

- धार्मिक स्थान पर जाकर कथा सुनने का महत्व अधिक है।

- रात के समय तारों को अर्घ्य देने के बाद भोजन करें।

- व्रत पूजा के बाद पुरोहितों को भोजन करवाएं।

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