नरेंद्र चंचल ने जालंधर के श्री देवी तालाब मंदिर में किया था पहला जगराता, यहीं से मिली प्रसिद्धि
नरेंद्र चंचल ने जालंधर स्थित सिद्ध शक्तिपीठ श्री देवी तालाब मंदिर में 80 के दशक में पहला जगराता किया था। इसके बाद ही उन्हें दुनिया भर में गायक के रूप में प्रसिद्धि मिली थी। उन्होंने फिल्मों में भी कई यादगार गाने गाए थे।
By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Fri, 22 Jan 2021 08:17 PM (IST)
जालंधर [शाम सहगल]। भक्ति को सुर देने वाले भजन सम्राट नरेंद्र चंचल भले ही अमृतसर में जन्में थे, लेकिन वह जालंधर को अपनी कर्मभूमि मानते थे। नरेंद्र चंचल ने सिद्ध शक्तिपीठ श्री देवी तालाब मंदिर में 80 के दशक में पहला जगराता किया था। इसके बाद ही उन्हें दुनिया भर में गायक के रूप में प्रसिद्धि मिली थी। उन्होंने फिल्मों में भी कई यादगार गाने गाए थे।
धार्मिक गीत-संगीत मां कैलाशवती की देन
इसमें उन्होंने अपनी मां कैलाशवती का जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि धार्मिक संगीत उनकी मां की ही देन है। कारण वह अपनी मां को धार्मिक गीत गाते देखते थे। यहीं से मन में भक्ति की रोशनी बलवती हुई थी। उस समय उनके साथ खास वाद्य यंत्र नहीं थे। केवल तीखी आवाज व बल्ले शाह के कलाम के साथ यह जगराता यादगार बन गया। इसके बाद आतंकवाद के दौर में भी चंचल का शहर में जागरण करने का सिलसिला जारी रहा। नवरात्र के दिनों में सिद्ध शक्तितपीठ में होने वाली भजन संध्या में चंचल हाजिरी लगवाने जरूरत आते थे।
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भगवती जागरण को जमीन से इंडस्ट्री तक किया विकसित
श्री देवी तालाब मंदिर में जगराते के दौरान भजन प्रस्तुत करते हुए नरेंद्र चंचल।
नरेंद्र चंचल ने किसी समय जमीन पर दरी बिछाकर पारंपरिक ढंग से किए जाते भगवती जागरण(इसे उत्तर भारत में जगराता कहा जाता है) को विशाल मंच से होते हुए इंडस्ट्री के रूप में विकसित किया था। लोगों में चंचल को सुनने की जिज्ञासा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शहर में होने वाले जगराते में चंचल की परफार्मेंस आमतौर पर देर रात रखी जाती थी। लेकिन सर्दी हो या फिर गर्मी लोग चंचल को सुनने के लिए रात दो से तड़के तीन बजे तक भी बिना थके डटे रहते थे। ऐसा ही नजारा सिद्ध शक्तिपीठ के अलावा नकोदर रोड व माता रानी चौक पर होने वाले जागरण देखा गया था।
श्री देवी तालाब मंदिर में आयोजित जगराते के दौरान नरेंद्र चंचल को सम्मानित करते प्रबंधक कमेटी के सदस्य।देखेत ही देखते सोने के आभूषणों से भर गई बाल्टी श्री देवी तालाब मंदिर में वर्ष 1995 में हुए भगवती जागरण के दौरान नरेंद्र चंचल ने गाजियाबाद वाले देवा जी के साथ मंदिर को सोने का बनाने का आह्वान किया था। चंचल के आह्वान ने भक्तों पर ऐसी छाप छोड़ी कि उस जागरण में देखते ही देखते एक बाल्टी सोने के आभूषणों से भर गई।
जागरण में नरेंद्र चंचल को ही बुलाते थे लोग समाज सेवक व उद्योगपति राकेश नंदा बताते है कि नकोदर रोड में होने वाले नरेंद्र चंचल के जागरण में वह जरूर शामिल होते थे। समाज में नरेंद्र चंचल के प्रति भक्तों में इतनी आस्था इतनी थी कि अक्सर लोग मन्नत पूरी होने पर भगवती जागरण में नरेंद्र चंचल को ही बुलाते थे।
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