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Stubble Burning: पंजाब में किसान बेखाैफ हाेकर जला रहे पराली, जायजा लेने वाले अधिकारियों को बना रहे बंधक

Stubble Burning पंजाब में पराली जलाने के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हालात यह है कि इस दौरान जायजा लेने जा रहे अधिकारियों को बंधक बनाकर रखा जा रहा है और पुलिस की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।

By Jagran NewsEdited By: DeepikaUpdated: Mon, 07 Nov 2022 08:59 AM (IST)
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Stubble Burning: पराली जलाने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
जागरण टीम, जालंधर। Stubble Burning: राज्य में लोग पराली जलाने के कारण हो रहे प्रदूषण से परेशान हैं, दूसरी तरफ किसानों की गुंडागर्दी बढ़ती जा रही है। आग बुझाने या पराली जलने का जायजा लेने जा रहे अधिकारियों को लगातार बंधक बनाया जा रहा है। अभी तक ऐसी 10 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं। हैरानी की बात यह है कि पुलिस बंधक बनाए जा रहे अधिकारियों को तो छुड़ाती है, लेकिन किसानों पर कार्रवाई नहीं करती।

100 अज्ञात लोगों पर सरकारी काम में बाधा पहुंचाने का केस दर्ज

एक नवंबर को पर्यावरण मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर के जिले के गांव कलाला में नायब तहसीलदार सुरिंदर कुमार पब्बी, फायर अफसर सुखप्रीत सिंह, तरनजीत सिंह और उनके ड्राइवर राजविंदर सिंह को किसान यूनियन कादियां ने बंधक बना लिया था। किसान गाड़ी को एक गुरुद्वारे में ले गए और साढ़े चार घंटे तक बाहर नहीं निकलने दिया। पुलिस ने मौके पर पहुंच टीम को मुक्त करवाया। फायर ब्रिगेड के ड्राइवर राजविंदर सिंह के बयान पर 100 अज्ञात लोगों पर सरकारी काम में बाधा पहुंचाने का केस दर्ज किया गया।

इसके अलगे ही दिन फिर इसी जिले के गांव जगजीतपुरा में नायब तहसीलदार बरनाला सुरिंदर कुमार बब्बी, फायर अफसर सुखप्रीत सिंह, सुखदीप सिंह, लवप्रीत सिंह, जतिंदरपाल सिंह और ड्राइवर संदीप सिंह को बंधक बना कर गाड़ी को कब्जे में ले लिया गया था। पुलिस ने डेढ़ घंटे बाद उन्हें छुडा लिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। 28 अक्टूबर को गांव कोटड़ा कोड़ा में लोक निर्माण विभाग के जेई गुंजन कुमार और 29 अक्टूबर को ब्लाक विकास अधिकारी सुखदीप सिंह को पराली जलाते हुए फोटो खींचने पर पांच-पांच घंटे के लिए बंधक बना कर रखा गया। पुलिस व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के हस्तक्षेप से उन्हें छुड़ाया गया।

इसी तरह फरीदकोट में भी ऐसी दो घटनाएं हो चुकी हैं। 28 अक्टूबर को गांव डल्लेवाला में पराली जलाने पर सर्वे करने गए कृषि विकास अधिकारी गुरजंट सिंह, सतबीर सिंह, कानूनगो गुरतेज सिंह व पटवारी हरप्रीत सिंह को किसानों ने कई घंटे तक बंधक बनाए रखा। इसके बाद 3 नवंबर को भारतीय किसान यूनियन (एकता) उगराहां के किसानों ने गांव जीवनवाला में पटवारी सुखदीप सिंह सोढी को बंधक बनाया। उन्हें दो जगह करीब 24 घंटे तक रोके रखा गया। यूनियन के नेताओं ने पटवारी पर दबाव बनाया कि वे अपने उच्च अधकारियों को फोन कर किसानों को आश्वस्त करें कि उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। दोनों ही मामलों में कोई केस दर्ज नहीं किया।

सरकार की चुप्पी से मिल रहा प्रोत्साहन

3 अक्टूबर को पटियाला के पातड़ां के पास ब्रास गांव में पराली जलाने की रिपोर्ट तैयार करने गए पटवारी को भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) के किसानों ने बंधक बनाकर धरने में बैठा लिया था। तहसीलदार ने कार्रवाई न करने का आश्वासन दिया, पटवारी को छोड़ दिया गया। इससे पहले तरनतारन में सितंबर में बिजली चोरी जा जुर्माना करने के खिलाफ कार्रवाई करने गए पावरकाम के एसडीओ को बंधक बनाया गया था।

तब भारतीय किसान यूनियन डकोंदा के 60 किसानों पर सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने का केस दर्ज किया गया था। कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल और पर्यावरण मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने भी इस मामले में अभी तक कोई बयान नहीं दिया है। न ही सरकार से कोई अपील की है, जिससे किसानों को प्रोत्साहन मिल रहा है।

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