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Video: वर्षा के बाद पानी में बह गया पठानकोट का चक्की रेलवे पुल, ब्रिटिश काल में हुआ था निर्मित

यह पुल 1929 में ब्रिटिश सरकार के कार्यकाल में बना था। पुल के दो पिलर बहने के बाद अब कम से कम डेढ़ साल तक नैरोगेज रेल सेवा बहाल हो पाना मुश्किल है। अगर पूरा पुल बनाना पड़ा तो फिर तीन से चार साल का समय लगना तय है।

By DeepikaEdited By: Updated: Sat, 20 Aug 2022 11:32 AM (IST)
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चक्की पड़ाव पुल पानी के तेज बहाव में बहा। (जागरण)
जागरण संवाददाता, पठानकोट। हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में हुई तेज वर्षा के कारण पठानकोट से सटा चक्की पड़ाव पुल पानी के तेज बहाव में बह गया। घटना शुक्रवार देर रात को घटित हुई। हालांकि रेलवे ने करीब डेढ़ महीना पहले ही वर्षा के कारण पुल को हुई क्षति के बाद ट्रेनों का आवागमन बंद कर दिया था।

डेढ़ साल तक नैरोगेज रेल सेवा बहाल होना मुश्किल

बता दें कि, यह पुल 1929 में ब्रिटिश सरकार के कार्यकाल में बना था। पुल के दो पिलर बहने के बाद अब कम से कम डेढ़ साल तक नैरोगेज रेल सेवा बहाल हो पाना मुश्किल है। अगर पूरा पुल बनाना पड़ा तो फिर करीब चार साल का समय लगना तय है। जोगिंद्रनगर रेलमार्ग, डल्हौजी रोड व कंडवाल रेलवे स्टेशनों के बीच पड़ने वाला अंग्रेजों के समय बना चक्की खड्ड रेलवे पुल ध्वस्त हो गया।

रेलवे पुल के गिरने का मुख्य कारण अवैध खनन

बताया जा रहा है कि चक्की खड्ड पुल के पास लगातार भारी मात्रा में हो रहे अवैध खनन के कारण पुल माफिया की भेंट चढ़ गया। हालांकि, विगत माह भी हिमाचल प्रदेश में हुई तेज वर्षा के बाद रेलवे ने बीती 2 अगस्त को पठानकोट-जोगिंद्रनगर नैरोगेज रेल सेक्शन पर चलने वाली सभी 14 ट्रेनों को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया था। रेलवे की इंजीनियरिंग टीम ने एक अगस्त को चक्की पुल का निरीक्षण किया और इसे अनसेफ घोषित कर नए सिरे से निर्माण की सिफारिश की थी।

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पुल का पुनर्निर्माण होने के बाद ही रेल यातायात बहाल हो पाएगा

फिरोजपुर रेल डिवीजन की डिविजनल रेलवे मैनेजर डा सीमा शर्मा ने कहा कि भारी वर्षा के कारण पठानकोट- जोगिंद्र रेलमार्ग पर सबसे बड़ा चक्की खड्ड पुल ध्वस्त हो गया। अब उसका पुनर्निर्माण होने के बाद ही रेल यातायात बहाल हो पाएगा।

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