Sanskarshala: अनुशासनहीनता पर अंकुश लगाना अनिवार्य : प्रिं. मेहरा
संसद सत्र के दौरान एक-दूसरे पर आक्षेप लगाते गाली-गलौज करते और कभी-कभी एक-दूसरे पर चप्पलें कुर्सी-मेज आदि फेंकने वाले राजनेता रुग्ण मानसिकता का परिचय देते हैं। जो आराम से बैठकर वार्तालाप नहीं कर सकते वे देश क्या संभालेंगे?
By DeepikaEdited By: Updated: Thu, 22 Sep 2022 03:41 PM (IST)
जागरण संवाददाता, अमृतसर। इंटरनेट मीडिया संचार माध्यमों के क्षेत्र में एक अद्भुत क्रांति का आगाज कर चुका है। कोई भी विचार या समाचार बिना देरी संपूर्ण विश्व तक पहुंच जाता है। मगर इंटरनेट पर भंग होती अनुशासन की मर्यादा, इसकी सकारात्मकता पर प्रश्नचिन्ह लगा रही है। संसद सत्र के दौरान एक-दूसरे पर आक्षेप लगाते, गाली-गलौज करते और कभी-कभी एक-दूसरे पर चप्पलें, कुर्सी-मेज आदि फेंकने वाले राजनेता रुग्ण मानसिकता का परिचय देते हैं। जो आराम से बैठकर वार्तालाप नहीं कर सकते वे देश क्या संभालेंगे?
कई चैनलों पर किसी एक विषय पर अपने विचार अभिव्यक्त करने के दौरान की गई अभद्रता मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ देती है। आरोप- प्रत्यारोप का ऐसा दौर चलता है, जो रुकने का नाम ही नहीं लेता। ऐसा लगता है मुख्य विषय पर बहस कम हो रही है और मन की भड़ास अधिक निकल रही है। आयोजक को बार-बार यह याद दिलाना पड़ता है कि आप मुख्य विषय से हटकर बात न करें। गलत भाषा का प्रयोग न करें। व्यस्क प्रतिभागियों का ऐसा व्यवहार दर्शकों पर नकारात्मक प्रभाव छोड़ता है। ऐसे हालात में दर्शक या तो चैनल बदल लेते हैं या टीवी बंद कर देते हैं। ऐसा नहीं है कि इंटरनेट पर होने वाली बहस केवल नकारात्मक ही होती है, इसका सशक्त और सकारात्मक पहलू भी है।
निर्भया कांड में इंटरनेट मीडिया पर छिड़ी बहस ने एक आंदोलन का रूप ले लिया। निर्भया को न्याय दिलाने के लिए लाखों युवा सड़कों पर आ गए। तब हमारी सरकार को एक नया एवं अधिक प्रभावशाली कानून बनाने पर विवश हो गई। भ्रष्टाचार के खिलाफ होने वाली बहस के एक प्रतिभागी अन्ना हजारे थे। इंडिया अंगेस्ट करप्शन ने देखते ही देखते एक महाअभियान का रूप ले लिया। यह महाअभियान इंटरनेट मीडिया के साथ-साथ सड़कों पर भी लड़ा गया। इसके कारण विशाल जनसमूह अन्ना जी के आंदोलन के साथ जुड़ा और उसे प्रभावशाली बनाया।
कहने का तात्पर्य यह है कि इंटरनेट मीडिया पर होने वाली बहस में जो अनुशासनहीनता पनप रही है, उस पर अंकुश लगाना अत्यंत आवश्यक है। इंटरनेट मीडिया के कंधों पर एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। बहस के नाम पर होने वाली अभद्रता का अंत इंटरनेट मीडिया को बुद्धिमान दर्शक देगा। समाज में जागरुकता आ जाएगी। सर्वसाधारण किसी भी समस्या के समाधान के लिए एकजुट होकर आगे आएंगे। एक स्वस्थ समाज बनाने और सकारात्मकता फैलाने की जो जिम्मेदारी इंटरनेट मीडिया के कंधों पर है, वह उसे बखूबी निभा पाएगा। -उपासना मेहरा, प्रिंसिपल सीनियर स्टडी सीसे स्कूल।
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