Election Result 2024: पंजाब में AAP-SAD को मिली हार के कारण फिर उठेगा लीडरशिप पर सवाल, दोनों पार्टियों में सुगबुगाहट तेज
शिरोमणि अकाली दल के लिए यह चौथा चुनाव था जिसमें पार्टी हाशिये पर चली गई है। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में भी जब पार्टी को ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा था तब पार्टी ने इसके कारणों की जांच के लिए इकबाल सिंह झूंदा की अगुवाई में एक कमेटी का गठन किया था जिसमें उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कई तरह की सिफारिशें की थीं।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब में आम आदमी पार्टी व शिरोमणि अकाली दल (SAD) को मिली हार के कारण फिर लीडरशिप पर सवाल उठना तय है। दोनों पार्टियों में इसकी सुगबुगाहट भी शुरू हो गई है।
शिरोमणि अकाली दल के लिए यह चौथा चुनाव था, जिसमें पार्टी हाशिये पर चली गई है। राज्य की 13 में से मात्र एक सीट ही पार्टी जीत पाई है जबकि11 सीटों पर पार्टी चौथे और एक सीट पर पांचवें नंबर पर रही है।
यानी बठिंडा को छोड़कर एक भी सीट ऐसी नहीं है जहां पार्टी लड़ाई में दिखती नजर आई हो। किसी भी सीट पर पार्टी दूसरे या तीसरे नंबर पर नहीं रही।
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साल 2022 के विधानसभा चुनाव में भी जब पार्टी को ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा था तब पार्टी ने इसके कारणों की जांच के लिए इकबाल सिंह झूंदा की अगुवाई में एक कमेटी का गठन किया था जिसमें उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कई तरह की सिफारिशें की थीं।
इकबाल सिंह झूंदा रिपोर्ट की गई पेश
इसमें सबसे बड़ी सिफारिश नीचे से लेकर ऊपर तक पूरा ढांचा बदलने की सिफारिश की गई थी। लेकिन पार्टी प्रधान सुखबीर बादल ने ऐसा नहीं किया।
यही नहीं जिस इकबाल सिंह झूंदा ने यह रिपोर्ट दी थी उन्हें संगरूर से इस बार खड़ा किया गया तो वह पांचवें नंबर पर रहे और अपनी जमानत तक नहीं बचा सके।
चुनाव से पूर्व पार्टी ने शिरोमणि अकाली दल डेमोक्रेटिक के सुखदेव सिंह ढींडसा के साथ समझौता भी कर लिया और वह पार्टी में शामिल भी हो गए लेकिन उनके बेटे परमिंदर सिंह ढींडसा को टिकट न देकर सुखबीर बादल ने एक बार फिर से नाराजगी मोल ले ली।
परमिंदर सिंह ढींडसा भी पटियाला के पार्टी उम्मीदवार एनके शर्मा और श्री आनंदपुर साहिब से पार्टी के उम्मीदवार प्रो प्रेम सिंह चंदूमाजरा को छोड़कर और कहीं प्रचार के लिए नहीं गए।
हरसिमरत कौर के प्रचार में नहीं गए सुखबीर बादल
यहां तक कि उन्होंने बठिंडा में सुखबीर बादल को स्पष्ट तौर पर हरसिमरत के प्रचार में जाने के लिए मना कर दिया। इस नाराजगी का असर संगरूर सीट पर नजर भी आया है जहां पार्टी के पल्ले कुछ नहीं पड़ा। अब ढींडसा परिवार क्या रणनीति अपनाएगा, इसको लेकर भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
ठीक इसी तरह की चर्चाएं आम आदमी पार्टी में भी छिड़ गई हैं। चूंकि पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के दोनों पद भगवंत मान के पास हैं इसलिए अब फिर से पार्टी में रेगुलर प्रधान लगाने की बात उठने लगी है। पिछले समय में प्रिंसिपल बुधराम को कार्यकारी प्रधान लगाया गया था लेकिन वह अपने हलके तक ही सीमित रहे और खुद अपनी सीट भी नहीं बचा सके।
सीएम मान की साख को लगा धक्का
भगवंत मान के लिए सुखद बात केवल इतनी है कि दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी एक भी सीट नहीं ले जा पाई जबकि भगवंत मान तीन सीटें जीतने का दावा कर सकते हैं।
लेकिन इतना जरूर है कि उनकी साख को काफी धक्का लगा है क्योंकि वह सभी 13 सीटें जीतने का दावा कर रहे थे और प्रचार में भी उन्होंने कोई कमी नहीं छोड़ी थी।
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