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सद्भाव की अनोखी मिसाल, पंजाब में मस्जिद की इमारत गुरुद्वारे में बदली तो 84 साल की कुरान शरीफ की सेवा

जालंधर के गांव बुट्टर में विभाजन के दौरान मुस्लिम परिवार गांव छोड़कर चले गए लेकिन पावन ग्रंथ कुरान शरीफ को मस्जिद में ही छोड़ गए। बाद में मस्जिद को गुरुद्वारा में तब्दील कर दिया गया लेकिन ग्रंथी कुरान शरीफ की सेवा करते रहे।

By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Fri, 16 Sep 2022 10:58 AM (IST)
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मुस्लिम भाईचारे को वर्ष 1938 से संभाला गया कुरान शरीफ सौंपा गया।
संवाद सूत्र, भोगपुर (जालंधर)। यहां गांव बुट्टर ने सिख-मुस्लिम सद्भावना की अनोखी मिसाल प्रस्तुत की है। गुरुद्वारा सिंह सभा कमेटी ने 1938 के समय की कुरान शरीफ मुस्लिम समुदाय के हवाले कर आपसी भाईचारे की मिसाल कायम की है। मुख्य ग्रंथी गुरमेज सिंह के मुताबिक विभाजन से पहले गुरुद्वारा सिंह सभा की इमारत में मस्जिद थी।

विभाजन के दौरान मुस्लिम परिवार गांव छोड़कर चले गए, लेकिन पावन ग्रंथ कुरान शरीफ को मस्जिद में ही छोड़ गए। 84 साल पूरी तरह सेवा संभाल के बाद गुरुद्वारा कमेटी ने कुरान शरीफ को सम्मान के साथ गुड़ मंडी स्थित मस्जिद इमाम नासिर के प्रतिनिधियों को सौंप दिया।

जालंधर के गांव बुट्टर के गुरुद्वारा सिंह सभा में मुस्लिम भाईचारे को 84 वर्ष पुराना कुरान शरीफ सौंपते हुए गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य। 

  • रीति-रिवाज के अनुसार इमाम नासिर मजिस्द में सौंपा गया 1938 का कुरान शरीफ
  • आठ दशक तक सिख-मुस्लिम भाईचारे के ग्रंथ एक छत के नीचे थे सुशोभित
  • विभाजन के समय मस्जिद में छोड़ गए थे ग्रंथ, उसके बाद की जाती रही संभाल
विभाजन के बाद मस्जिद को गुरुद्वारा में बदला

गुरमेज सिंह ने बताया कि विभाजन के उपरांत मस्जिद को गुरुद्वारा साहिब में तब्दील कर दिया गया। गांव के बुजुर्गों व गुरुद्वारा साहिब की सेवा संभाल करने वाले प्रबंधकों के मुताबिक सिख भाईचारे के सर्वोच्च श्री गुरु ग्रंथ साहिब व मुस्लिम भाईचारे के पावन ग्रंथ कुरान शरीफ की 1938 से लेकर 2022 तक गुरुद्वारा साहिब की छत के नीचे ग्रंथी सिंहों ने सेवा संभाल की।

84 साल बाद दोनों ग्रंथ एक छत के नीचे रहने के बाद जालंधर के मौलवी को धार्मिक रीति रिवाज के अनुसार भेंट किया गया। गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा बुट्टर के प्रधान कुलवीर सिंह व मुख्य ग्रंथी गुरमेज सिंह ने कुरान शरीफ को मौलाना अदनान जमाई, मौलाना शमशेद, मोहम्मद कलीम व मौलाना अमरुदीन के हवाले किया गया।

पावन कुरान शरीफ भेंट करने व उसकी संभाल करने पर मौलाना अदनान जमाई ने गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी व गांव वासियों का आभार जताते हुए कहा कि गुरुओं-पीरों की धरती पंजाब में धार्मिक एकजुटता को लेकर हर धर्म के लोग संगठित हैं।

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