PARALI BURNING: पंजाब में पराली के प्रदूषण से घुटने लगा दम, अस्पतालों में बढ़ने लगे मरीज
पराली जलाने के बाद हवा में प्रदूषण हद से ज्यादा बढ़ गया है। लुधियाना में तो यह हाल है कि अस्पतालों में सांस लेने की शिकायत लेकर सैंकड़ों मरीज रोजाना पहुंच रहे हैं। वहीं चंडीगढ़ में भी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
By Jagran NewsEdited By: Mohammed AmmarUpdated: Fri, 04 Nov 2022 08:52 AM (IST)
जागरण टीम, जालंधर : पंजाब में पराली जलाने के कारण दूषित हो रही हवा का दुष्प्रभाव दिखने लगा है। स्माग के कारण लुधियाना सहित कुछ जगहों पर सांस लेना दूभर हो गया है तो कई जिलों में बीमार लोगों की संख्या काफी बढ़ गई है। इन लोगों में आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ, सर्दी, खांसी व जुकाम की शिकायत ज्यादा है। बठिंडा में अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है।
लुधियाना में 70 प्रतिशत करीब मरीज बढ़ गए हैं। जालंधर में हर चार मरीज में करीब दो मरीज इस तरह की बीमारी के पहुंचे रहे हैं।जालंधर सिविल अस्पताल के मेडिकल स्पेशलिस्ट डाॅ भूपिंदर सिंह ने बताया कि जालंधर में पिछले दो सप्ताह में ओपीडी में अस्थमा, छाती रोग, खांसी तथा एलर्जी के मरीजों की संख्या में 40 से 50 प्रतिशत के करीब बढ़ी है।चंडीगढ़ में स्कूल टीचर कर रहा था छात्रा का यौन शोषण, हंगामे के बाद शिक्षक गिरफ्तार, कोर्ट ने जेल भेजा
बढ़ने लगा मरीजों का आंकड़ा
बठिंडा सिविल अस्पताल के डाॅ. रविकांत गुप्ता ने बताया कि पहले जहां चार सौ मरीज आते थे, अब यह संख्या बढ़कर सात सौ हो गई है। पटियाला के टीबी अस्पताल के डा. विशाल के अनुसार पहले औसतन 130 के करीब मरीज आते थे। यह संख्या अब 220 के करीब पहुंच गई है। अस्थमा के मरीज बाहर निकलने से परहेज करेंनाक, कान व गले की विशेषज्ञ डा. सिमरन जीत कौर ने बताया कि पटाखों व पराली को आग लगाने से उठने वाले धुएं में कार्बन मोनो आक्साइड, ओजोन, पीएम 2.5 व पीएम 10 के बढ़े स्तर की वजह नजला, जुकाम, खांसी तथा सांस लेने में दिक्कतों का ग्राफ बढ़ा है। जहरीली हवा बच्चों व बुजुर्गों को ज्यादा प्रभावित करती है। अस्थमा के मरीज बाहर निकलने से परहेज करें। आंखों साफ पानी धोते रहना चाहिए। दमा व टीबी के मरीज अपने साथ इन्हेलर जरूर रखें।
चंडीगढ़ में भी हालात हुए चिंताजनक
पराली के कारण चंडीगढ़ में भी हालात चिंताजनक हो गए हैं। पीजीआइ के स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ की टीम पराली जलने और प्रदूषण की स्थिति की लगातार मानीटरिंग कर रही है। पर्यावरण विशेषज्ञ एसोशिएट प्रोफेसर र¨वद्र खईवाल ने बताया कि पराली जलाने की घटनाएं चरम पर हैं। एक सप्ताह से घटनाएं लगातार बढ़ी हैं। पिछले सभी रिकार्ड टूट रहे हैं। गनीमत है कि चंडीगढ़ प्रशासन लगातार एहतियाती कदम उठा रहा है। हवा में तैर रहे प्रदूषक कणों को दबाने के लिए पानी का छिड़काव किया जा रहा है। वाटर स्पि्रंक्लर वाहन से रोड साइड पेड़ों के ऊपर और हवा में पानी छिड़का जा रहा है।यह भी पढ़ें- गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद अदालत में पेश हुए सुखबीर बादल व विरसा सिंह वल्टोहा, 29 को होगी दोबारा पेशी
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