पंजाब में AAP का 'सेल्फ गोल': MP सीचेवाल ने खुद की सरकार पर फोड़ा बाढ़ का ठीकरा, बोले- एक साल से दे रहा था...
पंजाब में सतलुज दरिया उफान पर है। इस वजह से सैकड़ों गांव बाढ़ की चपेट में है। विपक्ष ने बाढ़ के लिए आप सरकार को जिम्मेदार ठहराया है तो दूसरी तरफ राज्यसभा सदस्य सीचेवाल ने भी अपनी ही सरकार को आड़े हाथों ले लिया। सीचेवाल ने कहा कि उन्होंने गिद्दड़पिंडी के रेलवे पुल के नीचे जमा सिल्ट को लेकर चेतावनी दी थी। लेकिन सिल्ट हटाने का काम शुरू नहीं हुआ।
जालंधर, मनुपाल शर्मा। AAP MP Balbir Singh Seechewal आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सदस्य एवं पर्यावरणविद् संत बलबीर सिंह सीचेवाल सतलुज दरिया में उफान के कारण जालंधर में आई बाढ़ के लिए अपनी ही पार्टी की सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। सीचेवाल की तरफ से सरकार को कठघरे में खड़ा करने से विपक्ष के बाढ़ से बचाव के समय पर प्रबंधन न करने के आरोपों को भी बल मिला है।
संत सीचेवाल का कहना है कि जालंधर स्थित शाहकोट उपमंडल के लोहियां क्षेत्र के गिद्दड़पिंडी के रेलवे पुल के नीचे जमा सिल्ट को लेकर वह पिछले वर्ष से ही चेतावनी दे रहे थे। रेलवे पुल सतलुज दरिया से लगभग 21 फीट ऊंचा है, लेकिन इसके नीचे 17 फीट सिल्ट जमा है। मात्र चार फीट जगह ही पानी के निकलने के लिए बची है। सिल्ट हटाने का काम समय पर शुरू ही नहीं हो सका। इसका नतीजा यह निकला कि जिले के लगभग 50 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए।
उधर, विपक्षी पार्टियां भाजपा, कांग्रेस और शिअद शुरू से ही सरकार को बाढ़ के लिए जिम्मेदार ठहरा रहीं हैं। इनका आरोप है कि सरकार ने बाढ़ नियंत्रण के लिए समय रहते तैयारी नहीं की थी, इसी वजह से बाढ़ ने विकराल रूप धारण कर लिया।
जून 2022 में उठा था सिल्ट का मुद्दा
जून 2022 में संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने जल स्रोत विभाग के प्रमुख सचिव के साथ गिद्दड़पिंडी रेलवे पुल का दौरा कर उन्हें पुल के नीचे इकट्ठी हो चुकी 17 फीट ऊंची सिल्ट दिखाई थी। तब प्रमुख सचिव ने आश्वासन दिया था कि नवंबर 2022 के दौरान सिल्ट उठवा दी जाएगी। प्रमुख सचिव ने यह आश्वासन भी दिया कि हाईवे बनाने वाली ठेकेदार कंपनियों के साथ मिट्टी उठाने की बात हो चुकी है। इस वजह से मिट्टी उठाने में कोई परेशानी नहीं होगी, लेकिन काम शुरू नहीं हो पाया। 2023 के जनवरी महीने में एक बार फिर से सीचेवाल ने विभाग को चेताया, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
11 जून को संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने विभाग के तमाम आला अधिकारियों, सांसद, दो विधायकों एवं जिला प्रशासन के साथ एक बार फिर से गिद्दड़पिंडी पुल का दौरा किया और हालात से अवगत कराया। 12 जून को चंडीगढ़ में भी बैठक हुई। बैठक में यह बात भी उठी कि मिट्टी की 11 करोड़ कीमत की है और उसे उठाने में लंबा समय लगेगा। संत सीचेवाल ने कहा था कि वर्षा आने से पहले मिट्टी उठवानी जरूरी है। इसके बाद 26 जून के बाद काम शुरू ही हुआ था कि बाढ़ आ गई।
सीचेवाल पर लगाया था कार्य में बाधा डालने का आरोप
सीचेवाल ने कहा है कि वह तो राज्यसभा सदस्य बनने से पहले ही मांग कर रहे हैं कि नदियों में जमा गाद को तुरंत हटाया जाए। सबसे जरूरी यह है कि तीव्र गति से रेलवे पुल के नीचे जमा सिल्ट को हटाया जाए। धुस्सी बांध को मजबूत किया जाए। हालांकि इस बार भी जुलाई माह में बाढ़ आने पर जल स्रोत विभाग के अधिकारियों ने ही सीचेवाल पर दरार भरने के कार्य में बाधा डालने का आरोप लगाया था। सरकार को लिखे पत्र में कहा था कि सीचेवाल अपने श्रद्धालुओं के साथ मनमर्जी से काम कर रहे हैं और सरकारी मशीनरी को काम नहीं करने दे रहे हैं। इससे धुस्सी बांध की दरार भरने के व्यवधान उत्पन्न हो रहा था।