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Punjab News: अधर में लटकी पंजाब की कृषि नीति पर विधानसभा की कमेटी आज करेगी चर्चा

Agricultural Policy इसमें पंजाब किसान आयोग के चेयरमैन डा. सुखपाल सिंह अहम कड़ी हैं। इसी पैनल के साथ पंजाब विधानसभा की खेती मामलों को लेकर बनाई गई कमेटी मंगलवार को विधानसभा में चर्चा करेगी। संभव है कि पंजाब विधानसभा के स्पीकर कुलतार सिंह संधवां भी इसमें शामिल हो सकते हैं। वह पहले भी पंजाब की कृषि नीति को लेकर काफी दिलचस्पी दिखा चुके हैं।

By Edited By: Mohammad SameerUpdated: Tue, 22 Aug 2023 06:01 AM (IST)
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अधर में लटकी कृषि नीति पर विधानसभा की कमेटी आज करेगी चर्चा (file photo)

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़: पंजाब की कृषि नीति एक बार फिर से अधर में लटकी हुई नजर आ रही है। पूर्व कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल जो इस नीति को बनाने के लिए काफी सक्रिय नजर आ रहे थे, इस महकमे से तबादले के बाद वह सक्रियता दिखाई नहीं पड़ रही है।

हालांकि मंगलवार को इस निष्क्रियता को तोड़ने के लिए पंजाब विधानसभा की किसान व सहकारिता को लेकर बनाई गई कमेटी के साथ इस नीति को लेकर चर्चा होगी। काबिले गौर है कि राज्य सरकार ने नई कृषि नीति बनाने के लिए 11 सदस्य विशेषज्ञों का एक पैनल बनाया है।

इसमें पंजाब किसान आयोग के चेयरमैन डा. सुखपाल सिंह अहम कड़ी हैं। इसी पैनल के साथ पंजाब विधानसभा की खेती मामलों को लेकर बनाई गई कमेटी मंगलवार को विधानसभा में चर्चा करेगी। संभव है कि पंजाब विधानसभा के स्पीकर कुलतार सिंह संधवां भी इसमें शामिल हो सकते हैं।

वह पहले भी पंजाब की कृषि नीति को लेकर काफी दिलचस्पी दिखा चुके हैं और उन्होंने अपने स्तर पर कृषि नीतियों के विशेषज्ञ दविंदर शर्मा की किसानों के साथ चर्चा करवाकर इसकी शुरूआत की थी। इसके अलावा इस चर्चा में जीएम फसलों को लेकर भी अपना स्टैंड साफ किया गया था। राज्य सरकार ने दावा किया था कि मार्च 2023 तक नई कृषि नीति तैयार कर ली जाएगी।

मुख्यमंत्री भगवंत मान भी किसानों से मिले

इसके लिए किसान मिलनी कार्यक्रम भी पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित किए गए, जिसमें मुख्यमंत्री भगवंत मान भी किसानों से मिले, लेकिन अगस्त महीना अब खत्म होने को है, लेकिन नई कृषि नीति का कुछ भी पता नहीं है। अभी तक कृषि नीति का ड्राफ्ट भी तैयार नहीं हुआ है। ऐसा नहीं है कि कृषि नीति को लेकर यह पहली बार हो रहा है। इससे पहले 2008 और 2018 में भी कृषि नीति का ड्राफ्ट तैयार किया गया था। खासतौर पर 2018 में तो नीति तैयार करने के लिए काफी बड़ी एक्साइज की गई थी।

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इससे पहले कैप्टन सरकार में भी कृषि नीति तैयार की गई थी, लेकिन वह भी लागू नहीं की गई और न ही इस पर विधानसभा में चर्चा करवाई गई। सूत्रों का कहना है कि इस नीति में दस एकड़ से बड़े किसानों की निश्शुल्क बिजली बंद करने जैसी सिफारिश के कारण कैप्टन सरकार भी इस नीति को लागू करने के बारे में कोई फैसला नहीं ले सकी।

यही नहीं, जब 14 जुलाई को लोक लेखा कमेटी ने भी मुख्यमंत्री भगवंत मान को बड़े किसानों की निःशुल्क बिजली बंद करने जैसी सिफारिश भेजी तो उन्होंने भी इसे लागू करने से मना कर दिया।