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Lohri Celebration Punjab: लोहड़ी की आग में जलेंगे कोरोना काल के दुख दर्द, फैलेगा नया उजाला

Lohri 2021 Celebration Punjab कोरोना के कारण भले ही इस बार अधिकतर त्योहार सीमित दायरे में रहकर मने हों लेकिन यह पर्व सारी नकारात्मकता को खत्म कर देगा। पंजाब में मकर संक्रांति से पूर्णत सकारात्मकता का संचार होगा।

By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Wed, 13 Jan 2021 11:52 AM (IST)
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अमृतसर के एक स्कूल में गीत गाकर लोहड़ी मनाती हुईं छात्राएं। जागरण
जालंधर, जेएनएन। लोहड़ी अच्छे मौसम, अच्छे दिनों, अच्छी ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है। यह इस बार फिर साबित हो रहा है। लोहड़ी की अग्नि के साथ ही नया उजाला होगा.. उम्मीद का उजाला.. और फिर नए साल की नई सुबह.. सुकून की आस वाली सुबह। कोरोना के कारण भले ही इस बार अधिकतर त्योहार सीमित दायरे में रहकर मने हों लेकिन यह पर्व सारी नकारात्मकता को खत्म कर देगा। इस लोहड़ी यह भी कामना है कि संघर्ष पर बैठे किसानों की समस्या व शंकाओं का भी समाधान होगा। पंजाब में मकर संक्रांति से पूर्णत: सकारात्मकता का संचार होगा।

पंजाब में लोहड़ी पर विशेष रौनक

पंजाब में लोहड़ी सबसे ज्यााद जोश के साथ मनाई जाती है। कई दिन पहले तैयारियों शुरू हो जाती हैं। इस बार कोरोना वायरस संक्रमण के कारण आयोजन स्वजनों तक ही सीमित हैं पर लोहड़ी पर ही पंजाब में कोविड वैक्सीन आने से नई उम्मीद जगी है। लोहड़ी पर जिनकी नई-नई शादी हुई है या पहली संतान हुई हुई, उन घरों में लोहड़ी पर रिश्तेदारों के साथ बड़े कार्यक्रम होते हैं। लोग नव दंपती को ​बधाई और बच्चे को आशीर्वाद देते हैं। पंजाब में बहुएं लोकगीत गाती हैं और लोहड़ी मांगती हैं। बच्चे भी इसमें शामिल होते हैं। लोक गीत में दुल्ला भट्टी के गीत गाए जाते हैं। बच्चों में खास तौर पतंगबाजी को लेकर खासा उत्साह रहता है।

लोहड़ी के मौके पर जालंधर में मूंगफली और रेवड़ियों की भी खूब खरीदारी की गई। 

नई फसल की तैयारी की खुशी

पंजाब में इस पर्व को नई फसलों से जोड़कर भी देखा जाता है। इस त्‍योहार के समय गेहूं व सरसों की फसल अंतिम चरण में होती है। इसके बाद नई फसल की तैयारी की खुशी मनाई जाती है।

ऐसे होती लोहड़ी की पूजा

लोहड़ी पर देर शाम को लोग एक जगह एकत्र होकर लकड़ियां जलाते हैं। इसके बाद तिल, रेवड़ी, मूंगफली, मक्‍का व गुड़ अग्नि को समर्पित करते हैं। इसके बाद सभी आग की परिक्रमा कर सुख-शांति की कामना करते हैं। गीत गाते हैं। इसके बाद मूंगफली व रेवड़ी आदि को प्रसाद के रूप में लोगों में बांटा जाता है।

लोहड़ी पर पतंगबाजी की भी परंपरा है। विशेष कर बच्चे इसके लिए खासा उत्साहित रहते हैं।

दुल्ला भट्टी से जुड़ा है इतिहास

कहते हैं कि बादशाह अकबर के शासनकाल में पंजाब में दुल्ला भट्टी नाम का दबंग रहता था। वह लड़कियों की खरीद-फरोख्त और उन्हें गुलाम बनाने का विरोध करता था। उसने एक हिंदू लड़की को छुड़वाकर उसका विवाह अपनी बहन के रूप में किया था। इसीलिए पंजाब में दुल्ला भट्टी को नायक मान कर लोहड़ी पर उनकी शान में गीत गाए जाते हैं।

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