पंजाब के रूपनगर में नायब तहसीलदार गिरफ्तार, सरकार को 48 करोड़ का नुकसान पहुंचाने पर विजिलेंस ने दबोचा
श्री आनंदपुर साहिब के नायब तहसीलदार रघुबीर सिंह पर आरोप है कि उन्होंने अहम प्रोजेक्ट के लिए पंजाब सरकार को मार्केट से ज्यादा महंगी जमीन दिलाई है। इससे सरकार को लगभग 48 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है।
By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Wed, 10 Aug 2022 04:12 PM (IST)
जागरण संवाददाता, रूपनगर। पौधरोपण के लिए 54 एकड़ जमीन की राज्य सरकार को कलेक्टर रेट से ज्यादा महंगे दाम पर बिक्री की मंजूरी देने के आरोप में पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने श्री आनंदपुर साहिब में तैनात नायब तहसीलदार रघबीर सिंह को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि उसने कुछ निजी व्यक्तियों के साथ मिलीभगत करके गांव करुरा की उपरोक्त जमीन को राज्य सरकार को काफी अधिक कीमत पर बेचा। इस कारण सरकारी खजाने को 48 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ।
पंजाब विजीलेंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि नायब तहसीलदार समेत अन्य आरोपितों के खिलाफ जिला रूपनगर के थाना नूरपुरबेदी में एफआइआर धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार विरोधी अधिनियम की धाराओं के तहत 28 जून 2022 को दर्ज की गई थी। इस मामले की इंकवायरी विजिलेंस ब्यूरो कर रहा था। विजिलेंस की जांच में सामने आया कि 54 एकड़ भूमि करुरा, श्री आनंदपुर साहिब गांव में पहाड़ियों, नाले, टीले आदि की थी और यह जमीन गावं गकरुरा के निवासियों के नाम पर थी। इसमें से जमीन का बड़ा हिस्सा सरबत दा भला ट्रस्ट के नाम था और ट्रस्ट की योजना इस जमीन में निकट भविष्य जरूरतमंदों के लिए कैंसर अस्पताल बनाने की थी।
उन्होंने कहा कि पंजाब राज्य वन निगम एसएएस नगर ने इस जमीन को वृक्षारोपण के लिए खरीदने का प्रस्ताव दिया। इस भूमि का निरीक्षण करने के लिए एक समिति बनाई गई। इसमें अमित चौहान डीएफओ रूपनगर, जुगराज सिंह क्षेत्रीय प्रबंधक मोहाली, अमरजीत सिंह हलका पटवारी, प्रतिनिधि एसडीएम कार्यालय श्री आनंदपुर साहिब, जसपाल सिंह रेंज अधिकारी ब्लाक नूरपुरबेदी, नरिंदर सिंह और राजेश कुमार (दोनों वनरक्षक), रामपाल सिंह सरपंच ग्राम करुरा और युगेश कुमार सदस्य के रूप में शामिल थे।
एसजीपीसी सदस्य भिंडर और उसके भाई ने रची साजिश
इस मामले में दो निजी व्यक्तियों दलजीत सिंह भिंडर (सदस्य हिमाचल एसजीपीसी) और उनके भाई अमरिंदर सिंह भिंडर ने राजस्व अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके 54 एकड़ जमीन पंजाब वन निगम को 9,90,000 रुपये प्रति एकड़ में बेची। जबकि इसकी कलेक्टर दर केवल 90,000 रुपये प्रति एकड़ थी। इससे सरकारी खजाने को 48 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ।
जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि निगम को बेची गई जमीन रजिस्ट्री में दर्ज 54 एकड़ के बजाय महज 46 एकड़ है। दस्तावेजों से यह भी पता चला कि नायब तहसीलदार रघबीर सिंह ने इस जमीन की रजिस्ट्री के लिए अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर नूरपुरबेदी तहसील में जाकर 01-09-2020 को रजिस्ट्री दर्ज की थी। उन्होंने बताया कि प्राथमिक जांच के बाद विजिलेंस ने आरोपित रघबीर सिंह को गिरफ्तार कर लिया है और अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।
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