भारत-कनाडा में रार के बीच पंजाबी छात्रों का हुआ मोहभंग, अब दूसरे देशों में एडमिशन के लिए कर रहे रुख
पंजाब (Punjab News) के छात्रों में कनाडा जाने का क्रेज कम हुआ है। पिछले एक साल में कनाडा जाने वाले छात्रों की संख्या में 30-40% की गिरावट आई है। इसका कारण कनाडा में काम न मिलना वहां की सरकार की नीतियों में बदलाव और भारत के साथ चल रहे विवाद हैं। अब छात्र दूसरे देशों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
कमल किशोर, जालंधर। कनाडा में काम नहीं मिलने, वहां की सरकार की ओर से नीतियों में किए गए बदलाव और पिछले एक वर्ष से भारत के साथ चल रहे विवाद के कारण पंजाब के छात्रों में कनाडा का मोह कम हो गया है। राज्य के आइलेट्स (IELTS) सेंटरों में कनाडा जाने वाले विद्यार्थियों की संख्या में करीब 30 से 40 प्रतिशत की गिरावट आई है।
पंजाबी विद्यार्थियों का कनाडा मोह हुआ कम
पहले अगर किसी आइलेट्स सेंटर में 100 छात्र होते थे, तो उनमें से 50 विद्यार्थी कनाडा का स्टडी वीजा लेने के लिए परीक्षा की तैयारी करते थे, जिनकी संख्या अब करीब 20 ही रह गई है। विद्यार्थियों में कनाडा के कम होते मोह का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2023 में 2.25 लाख विद्यार्थियों ने कनाडा जाने के लिए आइलेट्स की परीक्षा दी थी।
इस बार वर्ष 2024 में अब तक करीब 1.25 लाख विद्यार्थियों ने कनाडा जाने के लिए आइलेट्स की परीक्षा दी है। एसोसिएशन ऑफ कंसलटेंट्स ऑफ स्टूडेंट स्टडीज के सदस्यों के मुताबिक हर वर्ष सवा लाख विद्यार्थी आइलेट्स (इंटरनेशनल इंग्लिश लेंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम) की परीक्षा देते हैं।
एग्जाम फीस 15 हजार के करीब है। परीक्षा की तैयारी व परीक्षा फीस को मिलाकर 35 से 40 हजार रुपये का खर्च आता है। इसके बाद अच्छे बैंड हासिल करने वाले विद्यार्थियों को कनाडा का स्टडी वीजा मिलता है।
दूसरे देशों को प्राथमिकता दे रहे विद्यार्थी
उन्होंने बताया कि कनाडा में नियम बदलने के बाद वहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों को पार्ट टाइम काम नहीं मिल रहा। यही नहीं, वहां पर रहने के लिए किराया भी बहुत ज्यादा बढ़ गया है। ऐसे में विद्यार्थियों के लिए वहां पर रहना बेहद मुश्किल हो रहा है। इसी कारण वहां के हालात के चलते अब विद्यार्थी कनाडा के बजाय दूसरे देश में जाने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
जीआईसी बढ़ने से विद्यार्थियों की बढ़ी परेशानी
कनाडा में पढ़ाई के दौरान नौकरी और पीआर की सुविधा के लिए पंजाब के युवाओं की पहली पसंद कनाडा था। वहां की यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में डेढ़ लाख से अधिक विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं।
एसकोस के महासचिव दविंदर कुमार ने कहा कि एक वर्ष पहले जीआईसी (गारंटिड इंवेस्टमेंट सर्टिफिकेट) की फीस 10,200 डॉलर के करीब थी। अब विद्यार्थी को 20,650 डॉलर करीब का भुगतान करना पड़ रहा है। काम नहीं मिल पाने के कारण विद्यार्थी वहां नहीं जाना चाहते।
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