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धैर्य ही है सफलता की सीढ़ी

आत्मसंयम यानी कि धैर्य। जीवन को सफल बनाने और मंजिल को पाने के लिए आत्मसंयम जरूर बनाए रखें। जालंधर आत्मसंयम यानी कि धैर्य। जीवन को सफल बनाने और मंजिल को पाने के लिए आ

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 06:15 AM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 06:15 AM (IST)
धैर्य ही है सफलता की सीढ़ी

फोटो नंबर-3 जालंधर : आत्मसंयम यानी कि धैर्य। जीवन को सफल बनाने और मंजिल को पाने के लिए आत्मसंयम जरूर बनाए रखें। जीवन में कई तरह की कठिनाइयां व संकट आते हैं, मगर उन्हें देखकर घबराना नहीं चाहिए। आत्मसंयम हमें कठिनाइयों से सबक लेना सिखाता है। जिनके बल पर ही हम आगे बढ़ते हुए विवेक की लौ जलाकर सफलता की इबारत लिखते हैं। कुछ इस तरह सरकारी माडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल मंड के प्रिसिपल भूपिदर सिंह ने दैनिक जागरण की संस्कारशाला कार्यक्रम में आत्मसंयम विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में ज्यादातर परीक्षाओं और उनके नतीजों को लेकर तनाव हो जाता है, जिस वजह से नतीजे गलत आने पर वे गलत कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटते। ऐसे में विद्यार्थियों को चाहिए कि वे अपने भीतर तनाव को हावी न होने दें, इसके लिए पहले अपना लक्ष्य तय कर देखें कि उसे पाने के लिए क्या-क्या करना होगा। कहां कमियां हैं और क्या बेहतर, अर्थात कौन से विषयों में कमजोर हैं और कौन से विषय में बेहतर पकड़ है। इस तरह से प्लानिग होने के बाद परिस्थिति बनने पर घबराना नहीं बल्कि धैर्य रखते हुए कैलेंडर और टाइम टेबल बनाएं। जिसमें यह तय करें कि जिन विषयों में कमजोर है उन्हें कितने समय के लिए पढ़ना और जो विषय बेहतर है उन्हें कितना समय देना है। इस क्रम के हिसाब से चलने के बाद यह भी तय करना होगा कि परीक्षाएं अगर फरवरी-मार्च में हैं तो उससे दो महीने पहले तक सारा सिलेबस कवर करना है और रिवाइज भी। अंतिम क्षणों में कमजोर विषयों को बेहतर बनाने और बेहतर विषयों को श्रेष्ठ बनाने पर फोकस होना चाहिए। विद्यार्थी अगर धैर्य रखते हुए इन चरणों का पालन करने लग पड़ेंगे तो निश्चय ही उनका नतीजा भी बेहतर होगा। धैर्य केवल स्कूल, कालेज स्तर पर ही नहीं बल्कि उनके करियर को भी सफल बनाने में अहम योगदान देता है।

क्रोध हमेशा ही परिस्थितियों को बिगाड़ देता है और धैर्य की मदद से परिस्थितियों को बदला जा सकता है। क्रोध व गुस्से में किया जाने वाला कार्य बनते-बनते बिगड़ जाता है और न ही वो अधिक कार्य कर पाता है। धैर्यवान व्यक्ति अपने विवेक की मदद से शांत स्वभाव के साथ सभी कार्यों को सिद्ध कर लेता है। उसका यही कारण है कि धैर्यवान व्यक्ति के लिए कोई भी कार्य मुश्किल व असंभव नहीं होता, जो धैर्य की ताकत से कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेता है। दूसरी तरफ से क्रोध व विचलित मन मुस्तिष्क का दुश्मन बन जाता है। जिस वजह से मनुष्य परिस्थितियों से निकलने के लिए हड़बड़ी में कार्य कर तो देता है, पर उसका परिणाम भी उतना ही विपरीत होता जाता है। तभी तो कहा जाता है कि हम स्वयं ही अपने शत्रु हैं, इसलिए खुद को जानें और पहचानें। धैर्य की ताकत के साथ जीवन के पथ पर आगे बढ़ें। मुश्किलें चाहे कितनी भी क्यूं न आए घबराएं नहीं उनका डट कर सामना करें। धैर्य रखते हुए आप खुद ब खुद उन परिस्थितियों को पार करके आगे निकल जाएंगे।

- भूपिदर सिंह मंड, प्रिसिपल सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल मंड।


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