बस स्टैंड पर दूसरे दिन भी रहा PUNBUS का चक्का जाम, गर्मी के बीच यात्री बेहाल Jalandhar News
पनबस कर्मचारियों के आह्वान पर बस स्टैंड पर चल रही हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही। जिस कारण अन्य राज्यों व शहरों को जाने वाले यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
जागरण संवाददाता, जालंधर। पनबस कर्मचारियों के आह्वान पर बस स्टैंड पर चल रही हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही। जिस कारण अन्य राज्यों व शहरों को जाने वाले यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। बुधवार सुबह से ही पनबस की करीब 225 बसें बस डिपो से ही बाहर नहीं निकाली गई। उधर, निजी शिक्षण संस्थानों में गर्मियों की छुट्टियां खत्म होने जा रही हैं। जिसके चलते बस स्टैंड पर यात्रियों की संख्या में भी इजाफा हो चुका है। जबकि पनबस मुलाजिमों द्वारा हड़ताल पर होने के चलते रोडवेज द्वारा की गई वैकल्पिक व्यवस्था कम पड़ गई, जिसके चलते यात्रियों को भीषण गर्मी के बीच गंतव्य तक पहुंचने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
इससे पहले पंजाब रोडवेज पनबस कॉन्ट्रैक्ट वर्कर यूनियन ने अपनी मांगों को लेकर राज्यव्यापी हड़ताल के तहत मंगलवार को पनबस की बसों का चक्का जाम रखा। यूनियन के बैनर तले मुलाजिमों ने पहले दिन सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे तक बस अड्डे बंद रखे। मुलाजिमों ने दो बजे तक अड्डे में कोई भी बस नहीं आने दी। उन्होंने बस को अड्डे के एंट्री व एक्जिट प्वाइंट पर लगा दिया था। इस दौरान मुलाजिमों ने सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया और रोष मार्च निकाला।
जालंधर बस स्टैंड पर बस का इंतजार करते यात्री।
बता दें कि पंजाब रोडवेज पनबस कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन की तीन दिवसीय हड़ताल के पहले दिन 18 डिपो के चार हजार कर्मी हड़ताल में शामिल हुए और ट्रांसपोर्ट मंत्री व पंजाब सरकार का पुतला फूंका। यूनियन के प्रधान रेशम सिंह गिल ने कहा कि मंगलवार को पनबस की 1550 बसें नहीं चलीं। वहीं, पहले दिन सरकार को डेढ़ करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है। गिल ने कहा कि ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारी जानबूझ कर कर्मचारियों की जायज मांगों को लागू नहीं करना चाहते। उन्होंने विभागीय अधिकारियों पर प्राइवेट ट्रांसपोर्टरों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया। वे जानबूझ कर ऐसी पॉलिसी तैयार करते हैं, जिससे प्राइवेट ट्रांसपोर्टरों को फायदा हो। अब तक विभाग टाइम टेबल भी सेट नहीं कर सका। इसके अलावा एक परमिट पर प्राइवेट बस मालिक कई बसें चलाते हैं। कई बसें बिना परमिट और रूट पर भी चलतीं हैं, लेकिन अधिकारियों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। पब्लिक ट्रांसपोर्ट को घाटा पड़ रहा है। उन्होंने कच्चे मुलाजिमों को पक्के करने, कर्ज मुक्त पनबस की बसों को स्टाफ सहित रोडवेज में शामिल करने, तनख्वाह बढ़ाने, ठेकेदारी व्यवस्था खत्म करने, रिपोर्ट की शर्ते नरम करके मुलाजिमों को ड्यूटी पर बहाल करने की मांग की।
पंजाब रोडवेज पनबस कॉन्ट्रैक्ट वर्कर यूनियन की ये हैं मांगे
-कॉन्ट्रैक्ट पर रखे कर्मचारियों को तुरंत पंजाब रोडवेज में पक्का करें।
-आउटसोर्सिग के जरिए चल रही ठेकेदारी सिस्टम को खत्म कर विभाग में शामिल किया जाए।
-बार-बार ठेकेदारों को न बदला जाए।
-रिपोर्टो की शर्तो को खत्म करके मुलाजिमों को बहाल किया जाए।
-ट्रांसपोर्ट माफिया को खत्म करके ट्रांसपोर्ट पॉलिसी रोडवेज के हक में बनाकर लागू की जाए।