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Somvati Amavasya: सोमवती अमावस्या के साथ 30 मई को ही वट सावित्री पूजा, पितृदोष मुक्ति को अपनाएं ये उपाय

इस साल 2022 की आखिरी सोमवती अमावस्या 30 मई को पड़ रही है। इसी दिन शनिदेव जी महाराज का भी जन्म हुआ था। सोमवार के दिन ही वट सावित्री पूजा भी की जाएगी। सोमवती अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग व सुकर्मा योग 30 साल बाद बन रहा है।

By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Sat, 28 May 2022 12:56 PM (IST)
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30 मई को सोमवती अमावस्या के साथ सावित्री वटवृक्ष पूजा भी की जाएगी। सांकेतिक चित्र।
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब। सोमवती अमावस 30 मई को है। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। साल 2022 की आखिरी सोमवती अमावस्या दिन सोमवार 30 मई को पड़ रही है और यह ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाई जाएगी। इसी दिन शनिदेव जी महाराज का भी जन्म हुआ था। इस साल इस दिन वट सावित्री पूजा भी है।

इसके अलावा सोमवती अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग व सुकर्मा योग भी बन रहा है। ऐसा संयोग करीब 30 साल बाद बन रहा है। पं. पूरन चंद्र जोशी ने सोमवती अमावस पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सोमवती अमावस्या के दिन पितृदोष से मुक्ति के लिए कुछ उपाय करने चाहिएं।

पितृदोष से मुक्ति के लिए करें ये उपाय

पितृ तर्पण व पिंडदान

पं. पूरन चंद्र जोशी ने बताया कि सोमवती अमावस्या के दिन पितरों को जल देने से उन्हें तृप्ति मिलती है। महाभारत काल से ही सोमवती अमावस्या पर तीर्थ स्थलों पर पिंडदान का विशेष महत्व है।

दान- सोमवती अमावस्या के दिन शनि और चंद्र का दान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।

नदी स्नान- इस दिन गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। इस दिन हनुमान जी, शनिदेव, भगवान विष्णु और भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। अगर नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

वट वृक्ष की पूजा

सोमवती अमावस्या के दिन पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए बरगद के वृक्ष को जल चढ़ाकर परिक्रमा की जाती है।

इन चीजों का करें दान- सोमवती अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए गरीबों को पानी का घड़ा, ककड़ी, खीरा, छाता आदि का दान करना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सोमवती अमावस्या के दिन देर तक बिल्कुल भी नहीं सोना चाहिए बल्कि सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा करें। इस दिन मांस मदिरा का सेवन करने और नाखून अथवा बाल काटने की भी मनाही है।

इस खास दिन पर पीपल के पेड़ की पूजा का विधान है परंतु पूजा के दौरान पेड़ को छूना शुभ नहीं माना जाता। सोमवती अमावस्या के दिन अपने से छोटे या बड़ों का किसी का भी दिल न दुखाएं और कड़वे शब्दों का प्रयोग न करें। सोमवती अमावस्या के दिन भूलकर भी श्मशानघाट नहीं जाना चाहिए।

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