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Punjab Politics: सुखबीर बादल का बड़ा एलान- जगबीर बराड़ जालंधर कैंट से अकाली दल उम्मीदवार घोषित

Punjab Politics जालंधर में पूर्व विधायक जगबीर बराड़ को सिरोपा पहनाकर अकाली दल ज्वाइन करवाने के बाद सुखबीर ने बराड़ हो गले भी लगाया साथ ही जालंधर कैंट हलके से अकाली दल का उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है।

By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Mon, 16 Aug 2021 02:37 PM (IST)
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सुखबीर बादल ने जालंधर कैंट सीट से जगबीर बरार को अकाली दल उम्मीदवार घोषित किया है।
जालंधर, मनोज त्रिपाठी। Punjab Politics: अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने जगबीर सिंह बराड़ को जालंधर कैंट विधानसभा सीट से पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया है। इसी के साथ यहां से पिछला चुनाव लड़ने वाले वरिष्ठ अकाली नेता सरबजीत मक्कड़ खेमे के हाथ बड़ी निराशा लगी है। सोमवार को सुखबीर बादल ने जगबीर बराड़ को सिरोपा पहनाकर विधिवत अकाली दल ज्वाइन करवाया और फिर गले लगाया।

सुखबीर ही लाए थे जगबीर बराड़ को राजनीति में

जगबीर बराड़ को राजनीति में लाने में सुखबीर बादल का अहम रोल रहा है। सरकारी नौकरी से इस्तीफा देने के बाद बराड़ ने वर्ष 2007 ने पहली बार जालंधर कैंट हलके से चुनाव लड़ा था और जीते भी थे। उससे पहले यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी। बराड़ की 20 साल तक इसी हलके में बतौर ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर (बीडीओ)तैनाती रही थी। इसके चलते बराड़ की कैंट हलके के तमाम गांवों में अच्छी पैठ थी। उनका वहां के पंच तथा सरपंचों के साथ अच्छा तालमेल भी था। इसका फायदा 2007 के चुनाव में बराड़ को मिला था। 2012 के चुनाव में अकाली दल ने परगट सिंह को यहां से उम्मीदवार घोषित किया था। सुखबीर ने ही परगट को भी सियासत की राह दिखाई थी।

अकाली दल के टिकट पर चुनाव लड़ने के बाद परगट चुनाव जीते थे और बराड़ का पत्ता कट गया था। इसके बाद बराड़ ने वर्ष 2014 में कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ हाथ मिलाया और उस समय हाशिए पर चल रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह की पहली रैली जालंधर कैंट में करवा कर बराड़ ने कैप्टन की सियासत की आगे की राह भी खोल दी थी। उस समय पंजाब कांग्रेस में प्रधान को लेकर कैप्टन वर्सेस प्रताप सिंह बाजवा जंग चल रही थी। कैप्टन को पार्टी ने साइडलाइन कर रखा था। बराड़ के कैप्टन के पक्ष में आने के बाद पहली सफल रैली जालंधर कैंट हलके में हुई तो यह भी कहा जा रहा था कि कैप्टन ने हाईकमान के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया है। इस रैली ने कैप्टन का सियासी कद एक बार फिर से इतना मजबूत कर दिया था कि फिर कैप्टन ने पलट कर नहीं देखा और हाथ से जा रही सूबे की सत्ता को 2017 में हथिया लिया। लेकिन बराड़ के समीकरण फिर खराब हो गए और परगट सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू के साथ कांग्रेस ज्वाइन कर कैंट की सीट से दावा ठोक दिया।

हाईकमान के इशारे पर कैप्टन भी कुछ नहीं कर पाए और बराड़ को अपना घर छोड़ना पड़ा। 5 साल तक हाशिए पर चढ़ने के बाद अब बराड़ ने घर वापसी की है। बराड़ के उम्मीदवार घोषित होने के बाद जालंधर कैंट की राजनीति फिर तेज हो गई है। उम्मीद की जा रही है कि अब परगट को कांटे की टक्कर मिलेगी हालांकि परगट भविष्य कि सियासत के मद्देनजर और विभिन्न स्थानीय मुद्दों को देखते हुए अपना कद और बड़ा करने में लगे हुए हैं। नवजोत सिंह सिद्धू की तरफ से परगट को महासचिव बनाए जाने के बाद पार्टी में प्रगट और मजबूत हुए हैं लेकिन कैंट हलके में उनकी यह मजबूती कितनी कामयाब होगी। यह तो आने वाले विधानसभा चुनाव के परिणाम ही बताएंगे। हालांकि यह भी कयास लगाया जा रहा है कि कुछ दिनों बाद परगट भी बड़ा सियासी उलटफेर कर सकते हैं।

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