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Taste of Punjab: महज 400 रुपये की है ये बर्फी; पाकिस्तान, कनाडा व न्यूजीलैंड से स्पेशली लेने आते हैं लोग

पंजाब के जालंधर हाईवे पर स्थित गोराया के बिरजू बर्फी वाले की बर्फी की मिठास सरहदों की दूरियां भी मिटा रही है। बिरजू बर्फी वाले की बर्फी की डिमांड देश में ही नहीं विदेशों में भी खूब है। कई देशों में यहां से बर्फी सप्लाई होती है।

By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Mon, 09 Aug 2021 07:30 PM (IST)
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बिरजू बर्फी वाला की दुकान पर बर्फी तौलता दुकान सहायक। जागरण
प्रियंका सिंह, जालंधर। देश के बंटवारे के 74 साल बाद भी सरहदों की दूरियां मिटाकर गोराया की बर्फी की मिठास पाकिस्तानियों की जुबां पर चढ़कर बोल रही है। केवल पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में यहां की बर्फी की मिठास पहुंच चुकी है। विदेशों से लोग जालंधर-लुधियाना हाईवे पर स्थित गोराया के बिरजू बर्फी वाले से एडवांस में आर्डर करके बर्फी मंगवाते हैं। रोजाना 70 से 75 किलो बनने वाली बर्फी में से 90% विदेशों में डिमांड के ऊपर सप्लाई होती है। कई दिनों तक खराब न होने वाली इस बर्फी का स्वाद सालों साल से कायम है। जो भी एक बार इस दुकान की बर्फी खा लेता है, वह इसका दीवाना हो जाता है। कीमत केवल 400 रुपये प्रति किलो है।

जालंधर से लुधियाना जाते समय फगवाड़ा से 20 किलोमीटर आगे गोराया को जाती हुई सड़क पर स्थित बिरजू बर्फी वाले की बर्फी की खुशबू वाहन चालकों को वाहनों के ब्रेक लगाने पर मजबूर कर देती है। 2 किलोमीटर पहले से ही ताजी बर्फी की सुगंध आने लगती है और जैसे-जैसे गाड़ी आगे बढ़ती है वैसे-वैसे इसकी खुशबू और तेज होती जाती है। मन में इसे चखने की ललक भी बढ़ती जाती है। इस हाईवे से गुजरने वाले मिठाई के शौकीनों की गाड़ी का ब्रेक अपने आप बिरजू की दुकान के आगे लग जाता है। वह वहां की गरम और शुद्ध बर्फी का स्वाद चखते हैं और उसकी तारीफ करते नहीं थकते। वो खाते भी हैं और जाते समय पैक करवा कर भी लेकर जाते हैं।

बिरजू बर्फी वाले की बर्फी की चर्चा पाकिस्तान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, अफगानिस्तान, बांग्लादेश जैसे अन्य कई देशों में है। इसकी खास बात यह है कि बर्फी में कोई मिलावट नहीं होती और यह उतनी ही बनती है जितनी डिमांड होती है। सुबह 7 बजे उनकी दुकान खुल जाती है तब से लेकर बर्फी खत्म होने तक यहां पर मिठाई प्रेमियों की भीड़ लगी रहती है। शाम को 7 बजते-बजते इनकी बर्फी खत्म हो जाती है। इसके बाद कोई आए तो उसे खाली हाथ घर वापस लौटना पड़ता है। 

69 साल से कायम है वही स्वाद

1952 में अनंतराम ने बिरजू मिठाईवाला दुकान की शुरुआत की। उनके बाद उनके बेटे बृजलाल ने यह दुकान संभाली और अब इस दुकान को इनकी तीसरी पीढ़ी बब्बी और सोडीराम दोनों भाई मिलकर संभाल रहे हैं। बिरजू बर्फी वाले ने अभी तक बर्फी बनाने के स्टाइल में कोई बदलाव नहीं किया है, जो स्वाद उनके बुजुर्ग बर्फी में डालते थे आज उनके बच्चे भी वही स्वाद मिठाई प्रेमियों तक पहुंचा रहे हैं। शुरुआत में यह दुकान काफी छोटी थी, लेकिन अब थोड़ी बड़ी कर ली गई है, जिससे ग्राहकों को आने जाने में कोई परेशानी न हो। पहले हाथ से बर्फी बनाई जाती थी, मगर 2010 से मशीन के जरिए यह बर्फी बना रहे हैं। इनकी प्रसिद्धि को देखते हुए इनके आसपास 3 से 4 मिठाई की दुकानें खुल गई हैंं।

यह है बर्फी की खासियत

बिरजू बर्फी वाले की बर्फी की एक खास बात यह है कि यह सिर्फ दूध से बनती है। इसमें किसी तरह की कोई मिलावट नहीं की जाती। जैसे कि अन्य लोग जो बर्फी बना कर भेज रहे हैं वह अधिक मात्रा में चीनी डालते हैं इसके साथ ही और भी कई पदार्थ डालते हैं। लेकिन, यहां पर 1 किलो बर्फी बनाने के लिए 5 किलो दूध का इस्तेमाल होता है और उसमें सिर्फ 100 ग्राम चीनी डालते हैं। इस बर्फी को व्रत रखने वाले लोग खूब पसंद करते हैं। जैसे कि अभी जो लोग सोमवार व्रत रख रहे हैं वह यहां से खाने के लिए बर्फी लेकर जाते हैं। विदेशों से जो भी एनआरआइ यहां आते हैं वह जाते समय इनकी दुकान से अधिक मात्रा में बर्फी पैक करवा कर ले कर जाते हैं।

सपना है अपने बुजुर्गों के नाम को पूरी दुनिया में फैलाना

सोडी राम कहते हैं कि हमारा मकसद पैसा कमाना नहीं बल्कि जो शुरुआत हमारे बुजुर्गों ने किया था बर्फी बनाने का उसके स्वाद को दुनिया भर में फैलाना है। हमारी दुकान पर पूरी साफ सफाई से काम किया जाता है। कोई बाहर का आदमी हमने काम में मदद करने के लिए नहीं रखा है बल्कि हमारा परिवार है इसमें लगा हुआ है। जो स्वाद पहले था आज भी हमने उसी स्वाद व ग्राहकों के विश्वास को कायम रखा है। यही कारण है कि आज बड़े से बड़ा कलाकार हमारी दुकान से बर्फी मंगवा कर खाता हैं और कई खुद भी यहां पर आते हैं।

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