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जालंधर के ये तीन स्कूल बड़े 'कूल', शानदार परिणाम और बेहतर इनफ्रास्ट्रक्चर ने दिलाया सर्वश्रेष्ठ विद्यालय अवार्ड

पंजाब शिक्षा विभाग ने जिले के एक-एक सीनियर सेकेंडरी हाई और मिडिल स्कूल को श्रेष्ठ स्कूल का खिताब दिया है। जालंधर में इसके लिए जमशेर स्थित सरकारी स्मार्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल (लड़के) सरकारी हाई स्कूल रहीमपुर और मिडिल स्कूल खोजपुर को चुना गया है।

By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Sun, 24 Jul 2022 04:46 PM (IST)
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जालंधर के जमशेर खास स्थित सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल (लड़के) को बेस्ट स्कूल का खिताब मिला है।
अंकित शर्मा, जालंधर। जिले के तीन सरकारी स्कूलों ने शिक्षा में सुधार, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, दाखिले, शानदार परिणाम के बल पर बेस्ट स्कूल का अवार्ड जीतने में सफलता प्राप्त की है। ये तीनों स्कूल कई मायनों प्राइवेट स्कूलों से बेहतर सिद्ध हुए हैं।

सीनियर सेकेंडरी, हाई और मिडिल स्कूल में से हर एक श्रेष्ठ स्कूल का खिताब दिया गया है। जालंधर जिले से इसके लिए जमशेर स्थित सरकारी स्मार्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल लड़के, सरकारी हाई स्कूल रहीमपुर और मिडिल स्कूल खोजपुर को चुना गया है। पुरस्कार के तहत मिडिल स्कूल को पांच लाख, हाई स्कूल को 7.5 लाख और सीनियर सेकेंडरी स्कूल को 10 लाख रुपये इनामी राशि मिलेगी।

बरसात में स्कूल भर जाता था पानी 

सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्मार्ट स्कूल जमशेर खास सड़क से तीन फीट नीचे था। बरसात आने पर सारा पानी स्कूल के अंदर जमा हो जाता था और बच्चों को पढ़ाना दूभर हो जाता था। उस समय करीब विद्यार्थी 450 थे। वर्ष 2012 में अशोक बसरा ने बतौर प्रिंसिपल का चार्ज संभाला का। तब इसे स्मार्ट स्कूल में बदलने के लिए 500 ट्राली मिट्टी डलवाई। इसमें गांव के दानी सज्जनों और एनआरआइ का सहयोग मिला।

स्कूल की सभी कक्षाओं में स्मार्ट बोर्ड व प्रोजेक्टर

अब हालात यह है कि स्कूल की सभी 20 कक्षाएं स्मार्ट बोर्ड व प्रोजेक्टर से लैस हैं। इनमें से 16 में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। सात क्लासरूम पूरी तरह से एयर कंडीशंज हैं। अपनी इन्हीं खूबियों की बदौलत पहले भी स्कूल को जिले से पहला बेस्ट स्कूल अवार्ड मिल चुका है।  स्कूल में हर विषय की लैब, कंप्यूटर लैब, लाइब्रेरी भी है।

दो शिक्षकों ने बदला रहीमपुर के स्कूल का भाग्य

सरकारी हाई स्कूल रहीमपुर को भी शिक्षा विभाग की ओर से बेस्ट स्कूल का खिताब मिला है।

सरकारी हाई स्कूल रहीमपुर को भी बेस्ट स्कूल का अवार्ड मिला है। वर्ष 2019 तक स्कूल की हालत बेहद खराब थी। जनवरी 2020 मेंरेनू बाला की डायरेक्टर हेडमिस्ट्रेस भर्ती हुई। उसी दौरान एसएस मास्टर बलजीत सिंह चिट्टी की भी ट्रांसफर इसी स्कूल में कर दी गई। वह वर्ष 1992 में इसी स्कूल में रह चुके थे और उनकी गांव वासियों से अच्छी पहचान है। इसके बाद दोनों को जिला शिक्षा अधिकारी ने स्कूल को स्मार्ट स्कूल बनाने का जिम्मा सौंपा। 

उन्होंने गांव के दानी सज्जनों, एनआरआइ से संपर्क किया और स्कूल की मूलभूत सुविधाओं को सुनिश्चित करते हुए सुंदरीकरण पर जोर दिया। स्कूल के खस्ताहाल शौचालयों को सुधारा गया। स्कूल बिल्डिंग ठीक करवाई गई। प्रत्येक क्लासरूम में स्मार्ट बोर्ड और प्रोजेक्टर लगवाया गया। अब स्कूल में प्रत्येक विषय की सुविधाओं से लैस लैब, लाइब्रेरी है। इसके अलावा स्कूल का अपना हेल्थ क्लब भी है ताकि पढ़ाई के साथ-साथ विद्यार्थियों का शारीरिक विकास भी सुनिश्चित किया जा सके।

प्राइमरी से मिडिल अपग्रेड हुआ तो स्कूल की नहीं थी बिल्डिंग

सरकारी प्राइमरी स्कूल, खोजपुर को 2009 में सर्व शिक्षा अभियान के तहत अपग्रेड किया गया था, मगर स्कूल के पास तब अपनी बिल्डिंग तक नहीं थी। एक साल तक प्राइमरी स्कूल के एक कमरे में ही मिडिल स्कूल चला। उस समय स्कूल में 38 बच्चे थे। 2009 में ही स्कूल में इंचार्ज के तौर पर सरबजीत कुमार की नियुक्ति हुई थी। उन्होंने स्कूल के निर्माण के साथ-साथ दानी सज्जनों के साथ संपर्क किया और स्कूल की जरूरतों को पूरा करवाया।

सरकारी मिडिल स्मार्ट स्कूल खोजपुर की इमारत।

2010 में सरकारी ग्रांट से मिडिल स्कूल की बिल्डिंग के कमरे बने तब जाकर विद्यार्थी अपने स्कूल में आए। प्रबंधन ने स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या को बढ़ाने के लिए आटो तक लगवाया है ताकि विद्यार्थी दूर दराज से भी स्कूल आ सकें। आटो का खर्च शिक्षक खुद अपनी ही जेब से देते हैं। अब स्कूल के पास चार क्लासरूम, कंप्यूटर लैब, आफिस और रसोई घर है। स्कूल में एजुकेशनल पार्क भी बनाया गया है। सात लाख रुपये की लागत से इंटरलाकिंग टाइल्स लगाकर इसे संवारा गया है। इसीलिए सरकारी मिडिल स्मार्ट स्कूल खोजपुर का बेस्ट स्कूल का खिताब मिला है। 

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