सिर्फ नाम की स्वर्ण शताब्दी, न खिड़कियों पर न परदे, न ट्रेन में सफाई
ट्रेन तो शताब्दी है। जिसे भारतीय रेलवे में वीआईपी ट्रेन का दर्जा हासिल है। पर सुविधाएं मुहैया कराना तो दूर की बात ट्रेन में हालात ऐसे थे कि लगता था कि कई दिनों से इसमें सफाई ही नहीं कराई गई।
जासं, जालंधर : स्वर्ण शताब्दी में सफर करने वाले यात्री खुद को ठगा हुआ महसूस करने लगे हैं। यात्रियों का मानना है कि महंगी टिकट खरीदने के बाद भी उन्हें आरामदायक और सुविधाजनक सफर नसीब नहीं होता। बुधवार को जालंधर से दिल्ली गए सरस्वती विहार (जालंधर) निवासी डीके शर्मा बताते हैं कि जो हाल उन्होंने शताब्दी का देखा, उससे उन्हें लगा कि अगर वे किसी और एक्सप्रेस गाड़ी से सफर करते तो बेहतर होता।
डीके शर्मा की सी-8 कोच में पांच नंबर सीट दिल्ली के लिए बुक थी। उन्होंने बताया कि सुबह करीब छह बजे वे जैसे ही अपनी सीट पर पहुंचे तो दरवाजे से लेकर सीट तक का सफर करने के दौरान ही उन्हें आभास हो गया था कि रेलवे ने शताब्दी के नाम पर उन्हें ठग लिया है। दिल्ली पहुंचने के बाद शताब्दी के बदहाल हालात की जानकारी देते हुए शर्मा ने बताया कि सीट पर गंदगी थी। खाना खाने के लिए बने स्टैंड पर बहुत गंदगी जमा थी। मानों उसकी लंबे समय से सफाई नहीं हुई है। खिड़की पर परदा नहीं था। खाना खाने के दौरान यदि वे थाली न संभालते तो थाली लुढ़क कर नीचे गिर जाती। यही नहीं, चार्जिग प्वाइंट्स पर इतनी धूल जमी थी कि यह समझते देर नहीं लगी कि बहुत दिनों से किसी ने यहां सफाई नहीं की। टॉयलेट का भी बुरा हाल था।शर्मा ने कहा कि गंदगी के कारण पूरे सफर के दौरान वह सही तरीके से आराम भी नहीं कर पाए।
पहले भी शिकायतें कर चुके हैं यात्री
कई मौकों पर शताब्दी के यात्री खाने में कॉकरोच पाए जाने से लेकर चूहों के सामान कुतरने तक की शिकायतें कर चुके हैं। मीडिया में खबरें आने के बाद भी रेलवे प्रशासन की ओर से इन शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा।