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नई पीढ़ी को पुराने पंजाब की विरासत से मिलवाता है 'पंज आब', मिट्टी के बने घर बयां करते हैं सारी दास्तां

Punjab Heritage Village पंजाब को जानना-समझना चाहते हैं तो जालंधर-लुधियाना हाईवे पर चहेड़ू पुल के पास पहुंचें। यहां कुक्कड़ पिंड के बुजुर्ग अजमेर सिंह ने पूरा पंज आब गांव सजाया हुआ है। मिट्टी के बने घर और दीवारें पुराने पंजाब की यादें ताजा कर देते हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Sat, 02 Jul 2022 12:21 PM (IST)
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जालंधर-लुधियाना हाईवे पर स्थित 'पंज आब' को देखने लोग दूर-दूर से आते हैं। जागरण

अंकित शर्मा, जालंधर। पांच दरियाओं की धरती के प्राचीन गांवों और अमीर विरासत की झलक देखनी है जालंधर-लुधियाना हाईवे के किनारे चहेड़ू पुल के नीचे पहुंचे। आने वाली पीढ़ी को पंजाब के इतिहास और विरासत से जोड़ने के लिए कुक्कड़ पिंड के अजमेर सिंह के परिवार ने यहां 'पंज आब' को विकसित किया है। जनवरी, 2018 में तैयार पंज आब को कच्ची ईंटों से पूरे एक गांव का लुक दिया गया है। आज यह स्थान पंजाब के पुराने गांव, घर और वहां के रहन-सहन को दर्शाता है। 

पंज आब में गांवों में सजने वाले बाजार भी नजर आते हैं। 13 कनाल में फैला यह स्थल पूरे पंजाब को अपने सीने में समेटे हुए है। यही कारण है कि देश भर से यहां आकर लोग पंजाब की विरासत से जुड़ने का प्रयास करते हैं। लोगों से इसे देखने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। यहां कई गीतों और फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है। 

पंज आब में पारंपरिक रूप से बना प्रवेश द्वार।

हाईवे से गुजरने पर अचानक जब इस तरफ नजर जाती है तो दूर से पीली मिट्टी का यह गांव सभी को अपनी तरफ आकर्षित करता है। मानो कह रहा हो अगर पंजाब की झलक देखनी है तो एक बार यहां आकर भी देखो। पंजाब के पुराने घरों में जिस तरह के प्रवेश द्वार होते थे, उसी प्रकार के प्रवेश द्वार यहां पर बनाए गए हैं। मिट्टी की दीवारें खड़ी की गई हैं। सीढ़ियां भी मिट्टी की हैं और घर के आंगन में कुआं भी बनाया गया है। घर में पुराने जमाने के रेडियो, म्यूजिक सिस्टम भी रखे हैं। दरवाजों से लेकर दीवारों तक पर पंजाब की परंपरा अनुसार नक्काशी की गई है।

फोटोशूट के लिए जालंधर में नहीं थी कोई जगह

अजमेर सिंह के बेटे गुरइकबाल सिंह पेशे से प्रोफेशनल फोटोग्राफ हैं। गुरइकबाल का कहना है कि वो अकसर प्री वेडिंग या फोटोशूट के लिए जालंधर से बाहर के जिलों व दूसरे राज्यों में फोटोशूट के लिए जाते थे। लोगों की ख्वाइश होती थी कि वो वेस्टर्न क्लचर में फोटो शूट करवाए या फिर पेंडू। ऐसे में फोटोशूट के लिए उस हिसाब से लोकेशन के लिए इधर से उधर जाना पड़ता था।

पंज आब के मालिक अजमेर सिंह। दाएं हैं विरासती गांव के अंदर दर्शाए गए पुराने बर्तन।

यहां से आइडिया आया कि क्यों न जालंधर में ऐसी लोकेशन तैयार की जाए, थोड़ी वेस्टर्न भी हो और पेंडू भी। इससे बाहर से आने वालों को पंजाब का इतिहास भी पता चले और जालंधर में फोटोशूट के लिए एक लोकेशन भी मिल जाएगी। इस पर परिवार की सहमति बन गई।

किसी ने बक्सा दिया तो किसी ने संदूक

गांव को बनाने वाले अजमेर सिंह ने पंजाब की विरासती चीजों को दूर-दूर से एकत्र किया है। साथ ही उन्हें मौके पर पुरानी स्टाइल में ही सजाया है। बताते हैं कि गांव तैयार करने के साथ-साथ इसमें पुरानी चीजें होनी बहुत जरूरी थी। इसलिए जो कुछ भी पुराने बर्तन व सामान घर पर था उन्हें यहां लाकर रखा।

पंजाब में दर्शाया गया पुराना म्यूजिक सिस्टम और चरखा।

पुराने दोस्तों को पता चला तो किसी ने बक्से दिए तो किसी ने बड़े-बड़े संदूक। बर्तन वालों के पास से पुराने बर्तन खरीदे, कहीं पर चरखा, रेडियो आदि सामान दिखा तो वो ले आए। हरा-भरा माहौल रहे इसलिए पेड़ पौधों का भी ख्याल रखा। गांवों की तरह पेड़ों पर ‘पींग’ भी डाली गई। यहां ब्रिज भी बनाए गए हैं और आने वाले समय में विचार है कि इस ब्रिज के नीचे से नदी भी बनाई जाए, ताकि किश्ती का आनंद भी आने वाले समय लोग ले सकें।

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