भारतीय खाद्य निगम एवं तमाम सरकारी मापदंड पूरे होने के बावजूद 17 फीसदी एवं इससे भी कम नमी वाली धान की फसल पर 120 से 230 प्रति कविंटल तक का कट लगाया जा रहा है।कागजों में धान की सरकारी खरीद होने एवं तमाम स्पेसिफिकेशन पूरी होने के बावजूद इन दिनों मंडियों में किसानों की सरेआम लूट हो रही है।
मूक दर्शक बने हुए हैं अधिकारी
इस कट को लगाने के बाद ही धान को बोरियों में भरा जा रहा है लेकिन शैलर खाली होने के बावजूद धान की लिफ्टिंग ठीक से नही हो रही है। इस परेशानी के चलते राज्य की मंडियों में दस से बारह दिन तक धान की खरीद होने का इंतजार कर रहे किसान अब आढ़तियों एवं मिलरों की लूट का शिकार होने लगे हैं।जबकि खरीद से संबंधित राज्य के सभी विभागों के अधिकारी बिना कोई कारवाई किए मूक दर्शक बने हुए है। हालाकि इस लूट का बड़ा कारण धान की नई वैरायटियों को बताया जा रहा है जिसके चलते मिलरों व आढ़तियों की ओर से खरीद से हाथ पीछे खींचा जा रहा है।
सुपर फाइन क्वालिटी धान में भी लग रहा कट
हालात ऐसे हो गए हैं कि सुपर फाइन क्वालिटी में शुमार धान की 110 एवं 131 वैरायटी जिसकी सरकारी कीमत 2,320 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है, उस पर भी 120 रुपये प्रति क्विंटल का कट लगाया जा रहा है जबकि उससे पूरा 67 किलो चावल निकलता है और यह मिलरों की मनपसंद वैरायटी मानी जाती है।इसके बावजूद इस किस्म में भी कट लगाया जा रहा है और किसानों को होने वाली लूट को रोकने के लिए कोई सरकारी तंत्र आगे नही आ रहा है।
पीआर 126 वैरायटी बारे में मिलरों का संशय
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की सिफारिश पर पानी की कम खपत वाली पीआर 126 वैरायटी बारे में मिलरों को जरुर कई संशय है। इसके अलावा कुछ अन्य नई वैरायटियों 7301, 7501 व सवा 34 किस्मों को भी 180 से 230 रुपये प्रति क्विंटल कम कीमत पर खरीद कर रहे हैं।मिलर धान की 126 किस्म की वैरायटी में एक क्विंटल में 67 किलो के बजाय 62 किलो चावल निकलने की बात कर रहे हैं। मिलरों का कहना है कि एक तो पंजाब के गोदामों में करीब एख लाख मीट्रिक टन अभी पुराना चावल पड़ा है और दूसरा 126 एवं अन्य नई किस्मों में कम चावल निकलने से उन्हें हानि हो रही है।
यह है किसानों की मजबूरी
उधर किसानों की मजबूरी यह है कि उन्हें अब गेहूं, आलू, गोभी आदि अगली फसलों की बिजाई करनी है और अगर वे इसी तरह मंडियों में फसल की खरीद होने का इंतजार करते रहे तो गेहूं, आलू, गाजर, मटर आदि फसलों की बिजाई भी प्रभावित होगी।एसकेएम के किसान नेता एडवोकेट रणजीत सिंह राणा एवं किरती किसान यूनियन के नेता बलविंदर सिंह भुल्लर का कहना है कि किसान सरेआम लुट रहा है लेकिन ना तो राज्य सरकार और ना ही केंद्र सरकार को कोई चिंता है।
किसान पहले ही मंहगे खेती औजारों, डीजल, खाद व दवाईयों की बढ़ी कीमतों कि वजह से कर्ज तले दब रहा है और अब नजायज कट लगा कर उसकी फसल की पूरी कीमत ना देकर सरेआम उसे लूटा जा रहा है।
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पूरे पंजाब में चल रहा ये सिलसिला
यह सिलसिला पूरे पंजाब में जारी है। शैलर मालिक कट की शर्त पर ही शैलरों में धान की बोरियां लगवा रहे है लेकिन ना तो केंद्र और ना ही राज्य सरकार कोई कदम उठा सकी है। इस लूट को पंजाब में कोई रोकने वाला भी नही है।इस बारे में आढ़तियां एसोसिएशन के पूर्व जिला प्रधान ओपी बहल का कहना है कि किसानों के साथ सभी आढ़ती भी बहुत परेशान है। अकेली कपूरथला मंडी में इस समय धान की करीब चार लाख बोरी पड़ी है, जिसकी लिफ्टिंग नही हो सकी है।
यह बेहद घटिया हरकत- तरसेम सैणी
पंजाब राइस मिलर एसोसिएशन पंजाब के प्रधान तरसेम सैणी का कहना है कि विभिन्न किसान जत्थेबंदियों की तरफ से एसोसिएशन से यह बात सामने आई है कि शैलर मालिक 200 से 300 रुपये किसानों से प्रति क्विंटल का कट ले रहे है। आढ़ती व किसान वर्ग की तरफ से भी यह बात कही जा रही है कि शैलर मालिक पैसे मांग रहे है।उन्होंने कहा कि यह बेहद घटिया हरकत है, राइस मिलर एसोसिएशन इन शिकायतों को लेकर बेहद गंभीर है। कुछ शैलर मालिकों की वजह से पंजाब के किसानों को इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है। पंजाब राइस मिलर एसोसिएशन एवं पंजाब राइस इंडस्ट्री किसानों की किसी किस्म की लूट को बिलकुल भी सहन नही करेगी।
इस धोखाधड़ी में फूड एंड सप्लाई, विभिन्न खरीद एजेसियां एवं मंडी बोर्ड के अफसरों की मिलीभगत है। इस समस्या को देखते हुए एसोसिएशन ने आढ़ती एसोसिएशन के प्रदेश प्रधान विजय कालडा एवं विभिन्न किसान जत्थेबंदियों के साथ मिल कर छह नवंबर को ऐसे मिलरों व आढ़तियों के खिलाफ अंदोलन शुरु करने का फैसला किया है। ताकि केंद्र व राज्य सरकार की नतिकों के कारण डूबने की कगार पर पहुंच चुकी शैलर इंडस्टरी व किसानों को बचाया जा सके।
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