Punjab Lok Sabha Election 2024: पर्यावरण पर संकट सबसे बड़ा मुद्दा, पर प्रत्याशियों के एजेंडे में दिखा गायब
पंजाब में पर्यावरण का संकट धीरे-धीरे गहराता जा रहा है। पराली व नाड़ की आग से एक तरफ पंजाब की धरती की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है। इसके साथ ही यहां पर भूजल का स्तर भी गिरता जा रहा है। लेकिन पर्यावरण की इतनी विकराल परिस्थिति होने के बावजूद भी प्रत्याशियों के एजेंडे से पर्यावरण का मुद्दा गायब दिखाई दे रहा है।
जागरण संवाददाता, कपूरथला। पराली व नाड़ की आग से एक तरफ जहां पंजाब की धरती की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है, वहीं वर्ष दर वर्ष भूजल स्तर गिर रहा है। राज्य का 78 प्रतिशत क्षेत्र डार्क जोन बन चुका है। केवल 11.3 प्रतिशत क्षेत्र ही सुरक्षित रह गया है। राज्य के कुल 12,423 गांवों में से 11,849 गांवों का भूजल पीने योग्य नहीं रहा है। इसके बावजूद पर्यावरण से जुड़ी ये गंभीर समस्याएं लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों के एजेंडे में नहीं हैं।
सिर्फ तीन प्रत्याशियों ने पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर दिया है ध्यान
राज्यसभा सदस्य पद्मश्री संत बलबीर सिंह सीचेवाल हर दल एवं उनके लोकसभा प्रत्याशियों को पर्यावरण को मुद्दा बनाने का एजेंडा सौंप चुके हैं, लेकिन अधिकांश प्रत्याशी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। सिर्फ तीन प्रत्याशियों ने पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर ध्यान दिया है। जालंधर से कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में कहा है कि वह बेईं को साफ करवाएंगे। नए पार्क और खुले जिम बनवाएंगे। पुराने पार्कों का नवीनीकरण होगा और पेड़ लगाकर हरित क्षेत्र बढाया जाएगा।
फरीदकोट संसदीय क्षेत्र में आप प्रत्याशी करमजीत अनमोल पर्यावरण संरक्षण को मुद्दा बना रहे हैं। वह अपने भाषणों में फरीदकोट लोकसभा क्षेत्र को हरा-भरा बनाने की बात कर रहे हैं। लुधियाना से कांग्रेस प्रत्याशी अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने भी कहा है कि जीत के बाद लुधियाना का पर्यावरण सुधारने के लिए ज्यादा से ज्यादा पौधे लगवाएंगे।
पर्यावरण पर प्रत्याशियों के गंभीर न होने से पर्यावरणविद चिंतित
पर्यावरण के प्रति प्रत्याशियों के गंभीर न होने से पर्यावरणविद संत सीचेवाल ही नहीं, बल्कि पब्लिक एक्शन कमेटी सतलुज एवं बुड्ढा दरिया के सदस्य तथा मत्तेवाल जंगल से जुड़े लोग भी बहुत निराश और चिंतित हैं। कमेटी के सदस्यों जसकीरत सिंह और बृज भूषण गोयल का कहना है कि बहुत दुखद है कि राज्य में लोकसभा का चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के मुंह से पंजाब के पर्यावरण को लेकर एक भी शब्द सुनने को नहीं मिला है।
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राज्य के तीनों क्षेत्र माझा, मालवा व दोआबा बुरी तरह दूषित पर्यावरण की भेंट चढ़ चुके हैं, लेकिन लोगों के भविष्य से जुड़ी इस गंभीर समस्या के प्रति राजनीतिक दलों की उदासीनता पंजाबियों को खाए जा रही है। ना तो सॉलिड वेस्ट के प्रति कोई दल संजीदा दिख रहा है और ना ही वन क्षेत्र बढ़ाने की किसी की कोई योजना दिख रही है। राज्य को बचाने के लिए अलग पर्यावरण मंत्रालय और पर्यावरण आयोग का गठन करने की जरूरत है।
पर्यावरण का मुद्दा एजेंडे में न होना गंभीर बात : चीमा
वित्त मंत्री हरपाल चीमा कहते हैं कि पर्यावरण का मुद्दा हर पार्टी के एजेंडे में होना चाहिए। ऐसा न होना गंभीर बात है। पर्यावरण को लेकर आम आदमी पार्टी गंभीर है। पानी बचाने की दिशा में जो काम हो रहा है। इस पर और मजबूती से काम करेंगे।
- 78 फीसदी क्षेत्र डार्क जोन बन चुका है राज्य का
- 450 फुट है राज्य में भूजल स्तर
- 1000 फुट पर पहुंच जाएगा 2039 में भूजल स्तर
- 110 फुट पर उपलब्ध था 2000 में भूजल
भूजल के अधिक दोहन को रोकना होगा : सीचेवाल
संत सीचेवाल का कहना है कि पंजाब में भूजल के दोहन में कमी नहीं है। दोहन को रोकना होगा, वरना पंजाब को खत्म होने से कोई नहीं रोक सकता। सरकार ने नहरी पानी का उपयोग करके सिंचित क्षेत्र को 30 से बढ़ाकर 70 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है, जिससे सिंचाई के लिए भूजल निकासी में कमी आएगी। हम सभी दलों के अधिकांश लोकसभा प्रत्याशियों को हरित पर्यावरण का एजेंडा सौप चुके हैं, लेकिन बहुत दुख की बात है कि लगभग 90 प्रतिशत ने पर्यावरण के प्रति उदासीनता ही दिखाई है।
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