बाबा नानक की आरती उतारने में लगे हो। सुल्तानपुर लोधी को गुरु नानक देव जी की धर्म स्थली भी कहा जाता है, यहा उन्होंने संत घाट में मूलमंत्र का उचारण कर गुरु ग्रंथ साहिब की नींव रखी थी।
आज देर रात डाले जाएंगे श्री आखंड पाठ साहिब के भोग
गुरुद्वारा बेर साहिब में आज रात करीब डेढ़ बजे ननकाणा साहिब के साथ ही गुरुद्वारा बेर साहिब में श्री आखंड पाठ साहिब के भोग डाले जाएंगे।इससे पूर्व दिन भर भाई मर्दाना दीवान हाल और विभिन्न अन्य गुरुधामों में धार्मिक दीवान सजाए जा रहे हैं। सोमवार सुबह से संहतें नानक की नगरी में गुरु का दीदार करने को पहुंच रही है।
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दूर-दराज से आने वाली संगतों के लिए अनेक लंगरों की व्यवस्था
दूर-दराज से आने वाली संगतों के लिए अनेक लंगरों की व्यवस्था की जा रही है। संत करतार सिंह जी कारसेवा जत्थे की तरफ से गुरुद्वारा साहिब के अंदर लंगर हाल के पास ही विशाल लंगर लगाया गया है। एसजपीसी के अलावा बिधीचंदीए संपर्दा, फौजी कालोनी की संगत, बूसों वाल की संगतों आदि की तरफ से दर्जनों लंगर चल रहे है।
इस समय गुरुद्वारा बेर साहिब, गुरुद्वारा संत घाट, गुरुद्वारा हट्ट साहिब, गुरुद्वारा बेबे नानकी व अंतर यामता गुरुद्वारों में संगतें श्रद्धा के साथ सीस झुकाने को पहुंच रही है।
बेरी का वृक्ष आज भी दे रहे मीठे फल
गुरु नानक देव जी से करीब 18 साल तक वाबस्ता रही नानक की नगरी में गुरु साहिब की अनेक यादें जुडी़ है, जिनके हाथों से लगा बेरी का वृक्ष आज भी मीठे फल दे रहा है। इसी सरजमी पर गुरु जी ने तेरा-तेरा तोलते हुए गरीबों की झोलिया भरी, यही पर उन्होंने मूल मंत्र का उचारण कर श्री गुरु ग्रंथ साहिब की आधारशिला रखी।
इसी धरती से उन्होंने विश्व कल्याण के लिए उदासियों का आगाज किया। अपनी बड़ी बहन बेबे नानकी के पास गुरु जी करीब 17 साल रहे हैं और यही से उनकी बारात बटाला में माता सुलकणी के साथ शादी के लिए रवाना हुई थी और सुल्तानपुर लोधी के गुरु का बाग में ही उनके घर दो पुत्रों का जन्म हुआ था।
बाबा नानक की जन्मस्थली ननकाणा साहिब पाकिस्तान के बाद हिंदुस्तान में उनकी धर्मस्थली माना जाता सुल्तानपुर लोधी ही एक ऐसा स्थान है जिसका गुरु नानक देव जी से बेहद करीबी व लंबा रिश्ता रहा है।इसी सरजमी पर गुरु जी ने तेरा-तेरा तोलते हुए गरीबों की झोलिया भरी, यही पर उन्होंने मूल मंत्र का उचारण कर श्री गुरु ग्रंथ साहिब की आधारशिला रखी। इसी धरती से उन्होंने विश्व कलियाण के लिए उदासियों का आगाज किया।
इसकी मद्देनजर बाबा का 554 वें प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य में सोमवार को दूर दराज से संगतें सुल्तानपुर लोधी में पहुंची एवं उन्होंने गरुद्वारा श्री बेर साहिब व अन्य गुरुद्वारों में माथा टेका तथा पवित्र सरोवर में स्श्नान किया।
उधर सुल्तानपुर लोधी को आने वाले सभी रास्ते को दूधियां रौशनी से बहुत ही खूबसूरत ढंग से सजाया गया है, जिससे बेहद शानदार अनुभव की अनुभूति हो रही थी। पूरे शहर में दीपमाला बहुत ही अद्भुत नजारा पेश कर रही है। गुरु जी सेे जुड़ी पवित्र काली बेई को भी लड़ियों से मनमोहन ढंग से सजाया गया था।
सुल्लातन पुर लोधी में गुरु साहिब के नौंवे गुरुद्वारें
हालाकि मुख्य समारोह गुरुद्वारा श्री बेर साहिब में आयोजित हो रहा है। लेकिन इनके अलावा गुरु नानक देव जी से जुड़े गुरुद्वारा श्री हट्ट साहिब, श्री संत घाट साहिब, अंतर यामता साहिब, बेबे नानक गुरुद्वारा, कोठडी साहिब, सेहरा साहिब व गुरु का बाग आदि में भी लगातार समागम चल रहे है और हर जगह लंगरों के अथाह भंडार चल रहे है।
हर तरफ सतिनाम वाहेगुरु के जयघोष और श्रद्धां व आस्था से लबरेज संगत सेवा में जुटी है। कई दिनों से दिन रात सेवा करने वाले सेवादार भी कोई थकावट महसूस नही कर रहे है बलकि ओर ज्यादा जोश से संगत की आवभगत में लगे हुए है।
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