Phagwara News: पंजाब सरकार को झटका, फगवाड़ा में पुरानी वार्डबंदी के हिसाब से होंगे नगर निगम चुनाव
नगर निगम फगवाड़ा की नई की गई वार्डबंदी को लेकर पंजाब सरकार को माननीय हाइकोर्ट (Punjab-Haryana High Court) से बड़ा झटका लगा है। हाइकोर्ट ने इस वार्डबंदी को नियमों व कानून के विपरीत माना है। ऐसे में अब इस बात की प्रबल संभावना जताई जा रही हैं कि अब यदि फगवाडा नगर निगम के चुनाव हुए तो पुरानी वार्डबंदी के मुताबिक ही होंगे।
फगवाड़ा, जागरण संवाददाता। नगर निगम फगवाड़ा (Phagwara Nagar Nigam) की नई की गई वार्डबंदी को लेकर पंजाब सरकार को माननीय हाइकोर्ट (Punjab-Haryana High Court) से बड़ा झटका लगा है। हाइकोर्ट ने इस वार्डबंदी को नियमों व कानून के विपरीत माना है। ऐसे में अब इस बात की प्रबल संभावना जताई जा रही हैं कि अब यदि फगवाडा नगर निगम के चुनाव हुए तो पुरानी वार्डबंदी के मुताबिक ही होंगे।
2020 के बाद से चुनाव पेंडिंग
बताते चलें कि नगर निगम फगवाड़ा के हाउस का कार्यकाल साल 2020 में खत्म हुआ था, तब कांग्रेस की सरकार थी और उस समय नई वार्डबंदी की गई थी, लेकिन इस वार्डबंदी को लेकर कुछ नेताओं ने माननीय हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी, हालांकि साल 2020 में हुई वार्डबंदी पर तब चुनाव नही हो पाए थे और तभी से फगवाड़ा नगर निगम के चुनाव पेंडिंग थे।
2022 में बनी आप की सरकार
साल 2022 में पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बन गई और सरकार ने साल 2023 में फगवाड़ा नगर निगम के चुनावों को करवाने को लेकर नई वार्डबंदी करवाई, जिसके बाद इस नई वार्डबंदी के खिलाफ जिला कांग्रेस के प्रधान व विधायक बलविंदर सिंह धालीवाल ने माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें साल 2023 में की गई वार्डबंदी को गलत बताते हुए कहा कि साल 2020 में की गई वार्डबंदी को न तो सरकार ने डी नोटिफाई किया, न ही इसपर कोई चुनाव हुआ और न ही कोई वार्डों में बदलाव हुआ सहित अन्य कई अपली ली।
वार्डबंदी के मुताबिक होंगे चुनाव
अभी इसपर कोई फैसला भी नहीं हुआ था कि सरकार ने फगवाड़ा सहित 5 नगर निगम के चुनाव 15 नवंबर तक कराने का नोटिफिकेशन जारी कर चुनाव आयोग को पत्र लिख दिया। इसबीच अब माननीय हाइकोर्ट की और से विधायक बलविंदर सिंह धालीवाल की और से दायर की गई याचिका को सही मानते हुए स्वीकार कर लिया है। ऐसे में अब कानून के जानकार यह मान रहे हैं कि फगवाडा नगर निगम के चुनाव पुरानी साल 2020 में की गई वार्डबंदी के मुताबिक होंगे।
हालांकि मामले के बारे में पूरी तरह से स्थिति माननीय हाइकोर्ट के इसपर आने वाले विस्तार पूर्वक आर्डर के आने के बाद ही स्पष्ट होगी।