धान खरीद में देरी से किसान परेशान, मजदूर भी हुए बेरोजगार; लिफ्टिंग न होने से नहीं मिल रहा काम
पंजाब की मंडियों में धान की खरीद न होने से किसानों के साथ-साथ दूसरे राज्यों से आए मजदूर भी परेशान हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश से आने वाले ये मजदूर हर साल पंजाब की मंडियों में काम करने के लिए आते हैं और डेढ़ महीने में सालभर की कमाई कर लेते हैं। लेकिन इस बार धान की लिफ्टिंग न होने से उन्हें काम नहीं मिल रहा है।
भूपेंदर सिंह भाटिया, लुधियाना। धान के इस सीजन में आढ़ती, शेलर व किसान तो परेशान हैं ही, इनसे अधिक मायूस हैं अन्य राज्यों से आए सैकड़ों मजदूर। ये मजदूर हर वर्ष पंजाब की मंडियों में बिहार व उत्तर प्रदेश से काम करने के लिए पहुंचते हैं।
एशिया की सबसे बड़ी खन्ना मंडी में ये मजदूर डेढ़ माह में वर्षभर की कमाई करके लौट जाते हैं। इन मजदूरों का कहना है कि वे धान सूखाकर बोरियों में भरने का काम करते हैं, लेकिन इस बार धान की लिफ्टिंग नहीं होने से कोई काम नहीं है। पिछले कई दिनों से थोड़ा बहुत ही कम काम मिल रहा है। अधिकांश समय ये मजदूर धान की बोरियों पर ही आराम करके गुजार रहे हैं।
पूर्णिया से आए मजदूर ने कही ये बात
पंजाब से लगभग 1600 किलोमीटर दूर पूर्णिया (बिहार) से आए मजदूर गुड्डू कुमार बताते हैं कि हर वर्ष की तरह इस बार भी उनकी टोली एक अक्टूबर से पहले पहुंच गई थी। पूर्णिया से आए लगभग 60 मजदूर उनकी टोली में हैं।
उन्हें मंडी में बोरी के हिसाब से राशि मिलती है, लेकिन इस बार अभी तक काम ठंडा है। अभी तक थोड़ा बहुत ही काम हो पाया है। यदि जल्दी खरीद पूरे चरम पर नहीं होगी तो उन्हें इस बार नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योंकि 15 नवंबर से पहले मंडी से सारा धान उठा लिया जाता है।
कई अन्य मजदूर भी हैं परेशान
दरभंगा से आए एक अन्य मजदूर रामप्रवेश कहते हैं कि अपने साथियों के साथ वह हर वर्ष आते हैं और समय पर काम करके वापस लौट जाते हैं। इस बार ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा। डेढ़ माह वह पंजाब में रहते हैं और इसी दौरान दिवाली और छठ पूजा होती है। वह यहीं रहते हैं लेकिन वह पैसे घर भेज दिया करते हैं। इस साल कुछ समझ नहीं आ रहा है। आढ़ती आश्वासन तो दे रहे हैं लेकिन अभी तक कुछ आस नजर नहीं आ रही है।
मजदूरों के पास नहीं है काम
मजदूरों की एक अन्य टोली के मुखिया राधेश्याम ने कहा कि मंडी में काम का आलम यह होता है कि इस समय कोई भी मजदूर किसी से बातचीत करके अपना समय व्यर्थ नहीं करता। अभी आपसे आराम से बातचीत कर रहे हैं और यदि लिफ्टिंग होती रहती तो आपसे बातचीत भी न कर पाते क्योंकि हमारा काम प्रति बोरी के हिसाब से होता है।
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चोरो से बचाने के लिए पूरे परिवार को ले आए मंडी
खन्ना मंडी में धान बेचने आने वाले किसान पहले तो खरीद न होने से परेशान हैं, वहीं रात के समय धान की चोरी उनके लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। किसान सुखदेव सिंह कहते हैं कि पहले को धान की नमी की ही चिंता रहती थी, लेकिन अब नमी ठीक होने के बावजूद धान की खरीद न होने से परेशान हैं।
वह एक ही लाट लेकर अभी मंडी में पहुंचे हैं और खरीद का इंतजार कर रहे हैं। शाम तक धान बिकने की कोई गुंजाइश नजर नहीं आ रही। उसके बाद रात को धान की सुरक्षा भी चिंता का विषय है।
धान के बड़े-बड़े ढेरों पर नमी से बचने के लिए तिरपाल तो लगा देते हैं, लेकिन मंडी में चोर भी आते हैं। आपकी मौजूदगी में ही कब आपके ढेर पर छेदकर धान चुरा लेंगे, यह पता ही नहीं चलता इसलिए वह धान की बिक्री न होने पर पारिवारिक सदस्यों को लाकर यहीं आराम करते हैं ताकि धन की सुरक्षा हो सके।
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