सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व 8 नवंबर को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। प्रकाश पर्व को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। आइए इस बीच श्री गुरु नानक देव जी से संबंधित गुरुद्वारों के बारे में जानते हैं।
By DeepikaEdited By: Updated: Fri, 04 Nov 2022 12:28 PM (IST)
आनलाइन डेस्क, लुधियाना। गुरूद्वारों की बात चलते ही सबसे पहले हमारे मन में गोल्डन टेंपलयानी हरिमंदिर साहिब का नाम आता हैं। मगर इसके अलावा भी ना सिर्फ पंजाब बल्कि पूरे भारत में ऐसे कई गुरूद्वारे हैं जो अपनी आस्था और सुंदरता के लिए जाने जाते हैं।
इन गुरूद्वारों में आत्मिक सुकून के साथ-साथ सिख धर्म के इतिहास के बारे में भी जानकारी मिलती है। वहीं हम ऐसे चार गुरूद्वारों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो श्री गुरु नानक देव जी से संबंधित हैं। यह गुरुद्वारे देश ही नहीं विदेश में भी प्रसिद्ध हैं और दूर-दूर से श्रद्धालु यहां नतमस्तक होने पहुंचते हैं।
गुरुद्वारा श्री बेर साहिब(श्री सुल्तानपुर लोधी)
पावन नगरी सुल्तानपुर लोधी स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री बेर साहिब श्री गुरु नानक देव जी का भक्ति स्थल होने के कारण आस्था का केंद्र बना हुआ है। गुरु नानक साहिब रोजाना सुबह बेई नदी में स्नान कर प्रभु की भक्ति में लीन हो जाते थे। इस स्थान पर आज श्री भौरा साहिब बना हुआ है। मान्यता है कि गुरु जी ने अपने भक्त खरबूजे शाह के निवेदन पर बेर के पौधे को यहां लगाया था। 550 साल बाद भी बेर हरीभरी है।
श्री ननकाना साहिब
श्री गुरु नानक जी का जन्म स्थान होने के कारण यह जगह सबसे पवित्र स्थलों में से एक मानी जाती है। ननकाना साहिब में जन्मस्थान समेत 9 गुरुद्वारे हैं, जिसमें श्रद्धालुओं की आस्था है। ये सभी गुरु नानक देव जी के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं से जुड़े हैं। यहां देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी श्रद्धालु मत्था टेकने पहुंचते हैं।
श्री करतारपुर साहिब
इस स्थान पर गुरु नानक देव ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष बिताए थे। कहा जाता है कि यहां गुरु नानक जी ने 16 सालों तक अपना जीवन व्यतीत किया। इसलिए इस गुरुद्वारे की काफी मान्यता है। करतारपुर साहिब पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित है।
लुधियाना स्थित गुरुद्वारा गऊ घाट
श्री गुरु नानक देव जी अपने भ्रमण के दौरान लुधियाना शहर भी पहुंचे थे और सतलुज किनारे विश्राम किया था। इसे बाद में गुरुद्वारा गऊघाट का नाम दिया गया। यह स्थान आज भी आस्था का केंद्र है और हर साल बैसाखी पर यहां मेला लगता है।
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