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राहतों की सौगात से उद्योगों के आएंगे अच्‍छे दिन, सरकारी पेचीदगियां कम पंजाब बनेगा नए निवेश का डेस्टिनेशन

Punjab News पंजाब के लुधियाना में सरकारी पेचीदगियां कम होने से उद्योगों के अच्‍छे दिन आएंगे। इस दिशा में कहीं न कहीं सरकारी प्रयास उद्योगों की उम्मीदों पर खरा उतरे हैं। पंजाब की औद्योगिक राजधानी लुधियाना में रिहायशी इलाकों में हजारों की संख्या में बसे टाइनी एवं स्माल सेक्टर के उद्योगों को शिफ्ट होने के लिए हालांकि तीन साल की मोहलत दी गई है।

By Jagran NewsEdited By: Himani SharmaUpdated: Sat, 16 Sep 2023 03:18 PM (IST)
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सरकारी पेचीदगियां कम होने से इंडस्ट्री में आएगा नया निवेश (सांकेतिक फोटो)

लुधियाना, जागरण संवाददाता। कृषि प्रधान सूबे पंजाब में इस सेक्टर से ज्यादा ग्रोथ लेना अब संभव नहीं है, ऐसे में रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए उद्योगों को ग्रोथ इंजन बनाने की दरकार है।

सूबे में उद्योगों को रफ्तार देने के लिए आप संयोजक अरविंद केजरीवाल एवं सीएम भगवंत मान ने चार बड़े शहरों अमृतसर, जालंधर, लुधियाना एवं मोहाली में पहुंच कर सीधे उद्यमियों एवं कारोबारियों से राफ्ता साधा। साथ ही उनकी समस्याएं सुन कर उनका समाधान किया और इंडस्ट्री फ्रेंडली महौल देने का सार्थक प्रयास किया।

पंजाब नए निवेश का डेस्टिनेशन बनेगा

राहतों की सौगात से सूबे में उद्योगों के लिए अच्छे दिन आएंगे और सरकारी पेचीदगियां कम होने से पंजाब नए निवेश का डेस्टिनेशन बनेगा। इस दिशा में कहीं न कहीं सरकारी प्रयास उद्योगों की उम्मीदों पर खरा उतरे हैं।

पंजाब की औद्योगिक राजधानी लुधियाना में रिहायशी इलाकों में हजारों की संख्या में बसे टाइनी एवं स्माल सेक्टर के उद्योगों को शिफ्ट होने के लिए हालांकि तीन साल की मोहलत दी गई है। लेकिन छोटी इकाईयां संसाधनों की कमी के चलते शिफ्ट नहीं हो सकती। इसके लिए पक्का समाधान करने की जरूरत है।

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रिहायशी इलाकों को औद्योगिक क्षेत्र घोषित कर दिया जाए

उद्यमी मानते हैं कि उद्योग बाहुल रिहायशी इलाकों को औद्योगिक क्षेत्र घोषित कर दिया जाए। पंजाब में औद्योगिक क्षेत्रों एवं फोकल प्वाइंट्स की हालत काफी खस्ता है। सीएम ने इनके कायाकल्प का ऐलान किया है। लेकिन इसके लिए बकायदा रोड मैप बना कर काम करने की जरूरत है। यदि सरकारी प्रयासों से फोकल प्वाइंट एवं औद्योगिक क्षेत्र विश्वस्तरीय बनते हैं तो इससे उद्योग प्रफुल्लित होंगे और उनके कारोबार में इजाफा होगा।

इंडस्ट्री एवं ट्रेड को मिलेगी बड़ी राहत

पंजाब के निर्यात की ग्रोथ भी मजबूत होगी। इसके अलावा इमारत निर्माण में 72 घंटे में सरकारी मंजूरी न मिलने पर इसे स्वीकृत समझने से इंडस्ट्री एवं ट्रेड को बड़ी राहत मिलेगी। पहले मंजूरियां न मिलने के कारण कई बार प्रोजेक्टों में कई कई माह की अनाश्वश्यक देरी हो रही थी। यहां के उद्योगों को चीन से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है। खास कर इंजीनियरिंग, साइकिल, आटो पार्ट्स, होजरी, रेडिमेड गारमेंट्स के क्षेत्र में चीन से मुकाबला करने में दिक्क्त है।

इंडस्ट्री चीन से मुकाबला करने में सक्षम

सरकार ने दावा किया है कि उद्योगों को ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर दिया जाएगा कि यहां की इंडस्ट्री चीन से मुकाबला करने में सक्षम होगी। इसके लिए इंडस्ट्री को विश्व स्तरीय तकनीक, इनोवेशन एवं रिसर्च एंड डेवलपमेंट का इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराना होगा।

सरकार ने उद्योगों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम को प्रभावी बनाने का दावा किया है। पिछली सरकारों के कार्यकाल में भी सिंगल विंडो सिस्टम था, लेकिन सरकारी विभागों की पेचीदगियों के कारण यह प्रभावी नहीं था। यदि यह इंडस्ट्री फ्रेंडली बनता है तो सूबे में नया निवेश आने की रफ्तार तेज होगी।

बेहतर नीतियों से इस पर ब्रेक लगाई जा रही

सूबे के उद्योग विस्तार के लिए दूसरे राज्यों का रूख कर रहे हैं, बेहतर नीतियों से इस पर ब्रेक लगाई जा सकती है। हालांकि सरकार का दावा है कि पिछले कुछ माह में साढ़े चार सौ इकाईयों ने अपना कारोबार फिर पंजाब में शिफ्ट किया है और राज्य में 50840 करोड़ रुपये का नया निवेश आया है। इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। यह शुभ संकेत है, लेकिन इसकी रफ्तार बढ़ानी होगी।

सरकार ने मोहाली को नया हब बनाने की दिशा में प्रयास शुरू किए हैं। सूबे की मौजूदा आर्थिक राजधानी लुधियाना में पहले ही काफी औद्योगिक धनत्व है। अब विश्व स्तरीय विकास के लिए सेक्टर वाइज नए औद्योगिक हब बनाने की जरूरत महसूस की जा रही है। यदि इस दिशा में सरकार के प्रयास ठोस हों तो सूबे में भी नया औद्योगिक माडल खड़ा किया जा सकता है।

सूबे में बड़े स्तर पर औद्योगिकरण की जरूरत

मुख्यमंत्री भी मानते हैं कि युवाओं को रोजगार देने के लिए अब सूबे में बड़े स्तर पर औद्योगिकरण की जरूरत है। पंजाब का ज्यादातर इलाका ग्रामीण है। यहां पर सरकार ने उद्योग लगाने को तवज्जो दी है। इससे ग्रामीण युवाओं को उनके डोर स्टेप पर ही रोजगार मिलेगा। साथ ही खेतों में पैदा होने वाले अनाज, फल सब्जी इत्यादि की बेहतर प्रोसेसिंग हो सकेगी और इनकी वेस्टेज में कमी आएगी। इससे किसान के लाभ में भी इजाफा होगा और फूड आइटम्स का कारोबार बढ़ेगा।

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