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Guru Gobind Singh Prakash Parv : लुधियाना में जिस पेड़ के नीचे गुरु गोबिंद सिंह ने गुजारी थी रात, वहां सजदा करती है संगत

Guru Gobind Singh Prakash Parv गुरुद्वारा श्री चरण कंवल साहिब में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया था। जंड साहिब (पेड़) जहां गुरु साहिब ने ठंडी रातों में ईश्वर से प्रार्थना करते हुए मित्तर प्यारे नूं हाल मुरीदां दा कहना... का उच्चारण किया था।

By Vipin KumarEdited By: Updated: Thu, 21 Jan 2021 07:49 AM (IST)
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श्री माछीवाड़ा साहिब स्थित गुरुद्वारा श्री गुरु चरण कंवल साहिब स्थित खूंह साहिब। (गुरदीप सिंह)
श्री माछीवाड़ा साहिब, (लुधियाना) [भूपेंदर सिंह भाटिया]। Guru Gobind Singh Prakash Parv : चमकौर की गढ़ी छोड़ने के बाद श्री गुरु गोबिंद सिंह जी जिस कंटीले मार्ग से गुजरे और मुश्किल दिन गुजारे, वह धरती आज ऐतिहासिक श्री माछीवाड़ा साहिब के नाम से विख्यात है। लुधियाना जिले के झाड़ साहिब से आलमगीर साहिब तक गुरु गोबिंद सिंह मार्ग अहसास करवाता है कि इस रास्ते से खालसा पंथ के संस्थापक गुजरे थे। दशम पातशाह के प्रकाशोत्सव पर इस मार्ग पर स्थित ऐतिहासिक स्थलों पर सुबह से ही सजदा करने वालों की भीड़ लगी रही। वाहनों पर लगे केसरी व खंडा साहिब के झंडे गुरु साहिब के प्रति संगत की गहरी श्रद्धा का अहसास करवा रहे थे।

 

श्री माछीवाड़ा साहिब स्थित गुरुद्वारा श्री गुरु चरण कंवल साहिब, जहां श्री गुरुगोबिंद सिंह जी ने विश्राम किया था। (गुरदीप)

गुरुद्वारा श्री चरण कंवल साहिब में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया था। गुरुद्वारा साहिब के परिसर में स्थित जंड साहिब (पेड़) जहां गुरु साहिब ने ठंडी रातों में ईश्वर से प्रार्थना करते हुए 'मित्तर प्यारे नूं, हाल मुरीदां दा कहना... का उच्चारण किया था। यह स्थान संगत की श्रद्धा का केंद्र बना रहा। जिस पेड़ झाड़ साहिब के नीचे गुरु गोबिंद सिंह जी ने रात गुजारी थी, वहां संगत आंखें बंद कर शांत भाव से सजदा करती रही।


गुरुद्वारा श्री गुरु चरण कंवल साहिब के हेड ग्रंथी गुरमुख सिंह।

गुरुद्वारा चरण कंवल साहिब के मुख्य ग्रंथी गुरमुख सिंह बताते हैं कि जहां आज गुरुद्वारा साहिब है यहां पहले जंगल होता था। झाड़ साहिब के नीचे गुरु साहिब कच्ची टिंड का तकिया लेकर सोए थे। परिवार खोने के बाद भी गुरुजी ने शांत चित नहीं छोड़ा। परमात्मा को कोसने की बजाए उनकी महिमा करते हुए उचारण किया

'मित्तर प्यारे नूं हाल मुरीदां दा कहणा।।  
तुधु बिन रोग रजाइयां दा उढण नाग निवासां दे रहणा।।  
सूल सुराही खंजरु प्याला बिंग कसाइयां दा सहणा।।
यारड़े का सानूं स्थरु चंगा भंठ खेडिय़ां द रहणा।।

श्री माछीवाड़ा साहिब स्थित गुरुद्वारा श्री गुरु चरण कंवल साहिब। (गुरदीप सिंह)

शहीदी जोड़ मेले का अलग होता है नजारा

श्री माछीवाड़ा साहिब स्थित गुरुद्वारा श्री गुरु चरण कंवल साहिब। फोटो - गुरदीप

गुरुद्वारा साहिब के एक कोने में स्थित खूही साहिब भी आस्था का केंद्र रही है। इस स्थान पर गुरुजी ने पानी पिया था। यहां के पानी को संगत आज अमृत के रूप में ग्रहण करती है। गुरुद्वारा साहिब से दो से तीन किलोमीटर दूर स्थित गुरुद्वारा श्री गनी खां नबी खां भी संगत पहुंच रही थी। यही वह स्थान है, जहां दो मुस्लिम भाई गुरुजी को अपने घर लेकर आए थे। जब दुश्मनों को इस बात की सूचना मिली तो वे उन्हें सकुशल श्री माछीवाड़ा साहिब से निकालने में सफल रहे थे। गुरुद्वारा श्री चुबारा साहिब और श्री कृपाण भेंट साहिब के दर्शन करने भी संगत बड़ी संख्या में पहुंची थी। प्रकाशोत्सव के अलावा यहां 22 से 24 दिसंबर तक लगने वाले शहीदी जोड़ मेले का नजारा अलग होता है।

चलता रहा सुखमनी साहिब का पाठ
गुरुद्वारा श्री चरण कंवल साहिब में दिनभर संगत जाप करती रही। दोपहर के समय महिलाओं ने एक साथ सुखमनी साहिब का पाठ किया जाता है जो सरबंस दानी गुरु साहिब को श्रद्धासुमन होता है।

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