14 बार रुकी दिल की धड़कन फिर भी डॉक्टरों ने हिम्मत नहीं हारी, भगवान बन बचा ली महिला की जान
लुधियाना की एक 56 वर्षीय महिला के लिए डॉक्टर दूसरे भगवान बन गए। दरअसल महिला को सीने में दर्द की शिकायत के बाद हीरो डीएमसी हार्ट इंस्टीट्यूट में भर्ती कराया गया। महिला की हालत गंभीर थी और उसकी दिल की धड़कन 14 बार रुक गई थी। डॉक्टरों ने महिला को बचाने के लिए कई तरह के उपचार किए जिसमें वीए एकमो भी शामिल है।
जागरण संवाददाता, लुधियाना। सीने में दर्द की शिकायत के साथ शहर के हीरो डीएमसी हार्ट इंस्टीट्यूट में भर्ती हुई 56 वर्षीय महिला के दिल की धड़कन 14 बार रुकी और हार्ट की नाड़ियां ब्लाक हो गईं। इसके बावजूद डॉक्टरों ने हिम्मत नहीं हारी और महिला को बचा लिया। महिला सितंबर के दूसरे सप्ताह में अस्पताल के आपातकालीन विभाग में भर्ती हुई थी।
कई बार दिए गए बिजली के झटके
मेडिकल टीम ने महिला को बचाने के लिए दिल की धमनियों को अवरुद्ध करने वाले क्लॉट को तोड़ने के लिए एक विशेष दवा दी पर 24 घंटे के भीतर उसकी हालत खराब हो गई। उसे दिल को सामान्य स्थिति में लाने के लिए कई बार बिजली के झटके देने पड़े।
दवा और अस्थायी पेसमेकर के बावजूद उसका रक्तचाप नीचे गिर रहा था। डॉक्टरों ने रक्तचाप को सहारा देने के लिए इंट्रा-एओर्टिक बैलून पंप (आईएबीपी) नामक एक उपकरण का इस्तेमाल किया और वेंटिलेटर पर रखा।
वीए एकमो से किया गया उपचार
इसके बाद परिवार और मेडिकल टीम से चर्चा करने के बाद वीए एकमो नामक जीवनरक्षक से उपचार करने का निर्णय लिया। यह मशीन तब दिल को सहारा देती है, जब तक वह ठीक से काम नहीं करता है। मेडिकल टीम का नेतृत्व हीरो डीएमसी के मुख्य हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. बिशव मोहन ने किया। उन्होंने बताया कि वीए इसीएमओ की मदद से उसकी हालत में सुधार होने लगा। महिला का रक्तचाप स्थिर हो गया और हृदयगति सामान्य हो गई।
एंजियोग्राफी में दो धमनियां अवरुद्ध पाई गईं थी
23 सितंबर को एंजियोग्राफी (हृदय परीक्षण) की गई जिसमें हृदय की दो धमनियां अवरुद्ध पाई गईं। धमनियों में स्टेंट लगाए गए और अगले दिन वीए इसीएमओ मशीन और 25 सितंबर तक उसे वेंटिलेटर से हटा दिया गया। इसके पांच दिन बाद उसे छुट्टी दे दी गई।डॉ. बिश्व मोहन के अनुसार, महिला को 14 बार हार्ट अरेस्ट हुआ। नाड़ी ब्लाक हो गई और दिल की धड़कन भी रुक गई थी। एक साथ तीन समस्याएं आईं। यह दुर्लभ मामला था। डीएमसी एंड एच के प्रिंसिपल डॉ. जीएस वांडर ने कहा कि अत्याधुनिक डायग्नोस्टिक उपकरणों और उन्नत उपचार विकल्पों के जरिए गंभीर स्थितियों में मरीजों को बेहतर इलाज देने में बहुत मदद मिलती है।
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