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Afghanistan Crisis: काबुल में गुरुद्वारे के बाहर से हटाई सुरक्षा, तालिबानियों के डर से दहशत में गुजर रही रातें

हरिंदर सिंह ने कहा कि शनिवार को 72 अफगानी सिख भारत जाने वाले थे लेकिन उस फ्लाइट में केवल 23 लोग ही जा सके। उनमें से एक हमारे साथ गुरुद्वारा साहिब में शरण लेने वाला गुरप्रीत सिंह भी था जो रविवार को भारत पहुंच गया है।

By Vipin KumarEdited By: Updated: Mon, 23 Aug 2021 11:17 AM (IST)
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हरिंदर सिंह विशेष बातचीत करते हुए। (जागरण)
लुधियाना, [राजन कैंथ]। काबुल में गुरुद्वारा साहिब के बाहर से सुरक्षाकर्मियों को हटाने के बाद शरणार्थी अब दहशत में के माहौल में जी रहे हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि अब डर के कारण रात को भी नींद नहीं आ रही है। शरणार्थी अंदर से कमजोर हो गए हैं और उनके पास पैसे भी नहीं बचे हैं। सभी जल्द से जल्द अफगानिस्तान से निकलने की अरदास कर रहे हैं। यह बातें काबुल के बाबा मनसा सिंह गुरुद्वारा में शरण लेने वाले हरिंदर सिंह ने दैनिक जागरण के साथ फोन पर बात करते हुए कहीं।

हरिंदर सिंह ने कहा कि शनिवार को 72 अफगानी सिख भारत जाने वाले थे लेकिन उस फ्लाइट में केवल 23 लोग ही जा सके। उनमें से एक हमारे साथ गुरुद्वारा साहिब में शरण लेने वाला गुरप्रीत सिंह भी था जो रविवार को भारत पहुंच गया है। 72 में से अब 49 अफगानी सिखों में से कुछ को सोमवार को फ्लाइट मिलने की संभावना है। हो सकता है कि मंगलवार तक हमें भी फ्लाइट मिल जाए। हरिंदर सिंह ने कहा कि अफगानिस्तान गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान गुरनाम सिंह और दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान मनजिंदर सिंह सिरसा आपस में लगातार संपर्क कर रहे हैं।

फ्लाइट में जाने वाले जिन लोगों के नाम की लिस्ट प्रधान गुरनाम सिंह के पास आ जाती है। उसके अनुसार वह संबंधित व्यक्ति को फोन पर सूचित कर एयरपोर्ट पहुंचने के लिए कहते हैं। हरिंदर के अनुसार यहां सिखों को इतनी जानकारी भी दी गई है कि भारत सरकार की और से रोज दो फ्लाइट भेजने के आदेश जारी किए हैं और उनमें 150 भारतीय नागरिक व 50 अफगानी सिख ही सफर कर पाएंगे। ह¨रदर ने कहा कि भले ही वह अफगानी हैं लेकिन उनके पासपोर्ट पर भारत का तीन साल का वीजा लगा हुआ है।

बाजार बंद, कारोबार ठप, आर्थिक हालात बिगड़े

हरिंदर सिंह ने बताया कि काबुल में उनका आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं का होलसेल व रिटेल का कारोबार है। परंतु सभी बाजार बंद हैं। हालात इस स्तर तक बिगड़ चुके हैं कि कारोबार ठप हो गया है और बाजार में उनका पैसा फंस गया है। वह आर्थिक रूप से कमजोर हो चुके हैं। खाने पीने के लिए गुरुद्वारा साहिब के लंगर पर निर्भर हैं। तालिबानियों के डर से कोई घरों से बाहर भी नहीं निकल रहा। तालिबानी किसी मुस्लिम महिला को हिंदू या सिख से बात करते देख लें तो बर्दाश्त नहीं करते।

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