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Illegal Buildings in Ludhiana: शहर में धड़ल्ले से हो रहा अवैध इमारतों का निर्माण, फाइलों में दबे प्रमुख सचिव के आदेश

महानगर में बन रही अवैध इमारतों को लेकर एक जनवरी 2014 को निकाय विभाग प्रमुख सचिव ने आदेश जारी किए थे। इसमें शहर में बन रही अवैध इमारतों के लिए एक नोटिस रजिस्टर लगाने के लिए कहा गया था। इसके साथ 12 कालम का एक फार्म भी भेजा गया था।

By DeepikaEdited By: Updated: Fri, 29 Jul 2022 12:17 PM (IST)
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Illigal Buildings in Ludhiana: नगर निगम लुधियाना का दफ्तर। (सांकेतिक)

 वरिंदर राणा, लुधियाना। नगर निगम लुधियाना के बिल्डिंग ब्रांच के अधिकारी बीते 8 वर्ष से प्रमुख सचिव के आदेश को दबा कर बैठे हैं। वर्ष 2014 में निकाय विभाग के प्रमुख सचिव ने अवैध इमारतों पर कार्रवाई करने के लिए एक फार्म जारी किया था।

इसके साथ ही नई बनने वाली इमारतों को लेकर एक रजिस्टर भी लगाने को कहा था। हैरानीजनक बात है कि बीते 8 वर्षों से इन आदेशों का पालन नहीं किया गया है। हालात ये हैं कि प्रमुख सचिव के यह आदेश सिर्फ फाइलों में दबकर रह गए हैं और शहर में अवैध इमारतों का निर्माण धड़ल्ले से हो रहा है। 

महानगर में बन रही अवैध इमारतों को लेकर एक जनवरी 2014 को निकाय विभाग प्रमुख सचिव ने आदेश जारी किए थे। इसमें शहर में बन रही अवैध इमारतों के लिए एक नोटिस रजिस्टर लगाने के लिए कहा गया था। इसके साथ 12 कालम का एक फार्म भी भेजा गया था। इस फार्म के अनुसार इमारत के संबंध में पूरा रिकार्ज दर्ज करने के लिए कहा गया था। निगम की तरफ से छह जनवरी 2014 को अपने चारों जोन में तैनात एटीपी को इन आदेशों का पालन करने के लिए कहा गया था।

हालांकि किसी अधिकारी ने बीते आठ वर्षों के दौरान इन आदेशों पर ध्यान देने की जहमत नहीं की। इसका नतीजा है कि आज निगम के पास इस बात का रिकार्ड ही नहीं है कि महानगर में कितनी अवैध इमारतें बन चुकी है और कितनी ऐसी इमारतें हैं, जिनमें नान कंपाउंडएबल अतिक्रमण किए गए हैं।

अभी तक नहीं माने यह आदेश

-साल 2017 में निकाय विभाग ने नान कंपाउंडेबल इमारत से प्रतिदिन 100 रुपये जुर्माना वसूली को कहा।

-वर्ष 2020 में लोकपाल ने अवैध निर्माण पर कार्रवाई के दिए थे आदेश।

-बिल्डिंग बायलाज शेड्यूल-8 के पालन के कई बार दिए आदेश, आज तक नहीं हुई पालन।

-अवैध निर्माण की सीलिंग और डी सीलिंग का नहीं रखा रिकार्ड।

-मई 2022 में निगम कमिश्नर ने दोबारा 100 रुपये जुर्माना वसूलने के दिए आदेश।

यह होना था फायदा

-आठ साल के दौरान एक भी अवैध इमारत नहीं बनती।

-57,861 अवैध इमारतों की जांच की नहीं होती जरूरत।

निगम खजाने में आनी थी बहार।

-शहर में पार्किंग की समस्या का होता निदान।

-अवैध निर्माणों की जांच में नहीं होता समय बर्बाद।

एडिशनल कमिश्नर बोले, आदेश की जानकारी नहीं

निकाय विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा जारी आदेशों के पालन के बारे में जब निगम की एडिशनल कमिश्नर आदित्य डेचवाल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है।

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