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India Canada Row: भारत कनाडा विवाद के बीच आया ढोलकी, तबला और हरमोनियम कनेक्शन; करोड़ों रुपये से जुड़ा है मामला

India Canada Row Inside Story निटवियर एवं अपेरल एक्सपोर्टर आर्गनाइजेशन के प्रधान हरीश दुआ ने कहा कि कनाडा के साथ तनातनी बढ़ने से पंजाब के गारमेंट्स उद्योग के लिए बड़ी चुनौती है। त्रिपुरा और पंजाब गारमेंट्स निर्यात में अव्वल है। इसके साथ ही पंजाब से महिलाओं के परिधानों का निर्यात भी किया जाता है। संबंधों में कड़वाहट का असर पंजाब के कारोबार को प्रभावित कर सकता है।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Sun, 24 Sep 2023 06:00 AM (IST)
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India Canada Row Insite Story: कनाडा की कुल आबादी का लगभग 3.7 प्रतिशत पंजाबी हैं।

India Canada Row Insite Story: लुधियाना, मुनीश शर्मा। भारत और कनाडा के संबंधों में आ रही कड़वाहट के कारण पंजाब के कारोबार को भी बड़ा झटका लग सकता है। पंजाब से कई उत्पादों का निर्यात कनाडा के लिए होता है। हालांकि अभी तक कारोबार में कोई रुकावट नहीं आई है, लेकिन कारोबारी चिंतित हैं। राज्य से खाद्य सामग्री में आटा बिस्कुट, रस, गुड, शक्कर, गच्चक, रेवड़ी आदि कनाडा जाते हैं। इसके अलावा सर्दियों के कपड़े, हैंडटूल, गार्डनिंग टूल की मांग भी कनाडा में है। कनाडा की कुल आबादी का लगभग 3.7 प्रतिशत पंजाबी हैं।

सरकारी कंपनियां

यही कारण है कि वहां पंजाबी पंरपरागत खाद्य पदार्थ व उत्पादों के लिए कई पंजाबी स्टोर भी खुल गए हैं, जिसमें हर साल बिक्री में लगातार वृद्धि हो रही है। खाद्य उत्पादों में कनाडा के लिए पंजाब से आटा बिस्कुट, फ्रोजन फूड, रस, गुड, शक्कर, बेकरी, गच्चक, रेवड़ी जाते हैं। निजी कंपनियों के साथ-साथ मार्कफेड सहित सरकारी कंपनियां इसका निर्यात करती हैं। इसके साथ ही पंजाबी स्टोरों पर पंजाब से परंपरागत उत्पाद घड़े, मटके, ढोलकी, तबला, मंजे, हरमोनियम, मूडे आदि भेजे जाते हैं।

भारत कनाडा संबंधों में कड़वाहट

पंजाब के उत्पाद कनाडा में सबसे अधिक टोरंटो, वैंकूवर, कैलगिरी, विनीपैग एवं मोरंटियल में जाते हैं। अंकल इंटरनेशनल के एमडी हितेश डंग के मुताबिक पंजाब और कनाडा में पिछले दस सालों में परंपरागत खाद्य पदार्थों को लेकर खासी डिमांड बढ़ी है। इसमें लगातार वृद्धि हो रही थी। ऐसे में अगर संबंधों में कड़वाहट आई तो भारी नुक्सान सहना पड़ेगा।

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भारत कनाडा कारोबार प्रभावित

निटवियर एवं अपेरल एक्सपोर्टर आर्गनाइजेशन के प्रधान हरीश दुआ ने कहा कि कनाडा के साथ तनातनी बढ़ने से पंजाब के गारमेंट्स उद्योग के लिए बड़ी चुनौती है। त्रिपुरा और पंजाब गारमेंट्स निर्यात में अव्वल है। इसके साथ ही पंजाब से महिलाओं के परिधानों का निर्यात भी किया जाता है। संबंधों में कड़वाहट का असर पंजाब के कारोबार को प्रभावित कर सकता है। फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गनाइजेशन (फियो) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एससी रल्हन ने कहा कि कनाडा के लिए भारत की निर्यात में एक प्रतिशत से भी कम की हिस्सेदारी है। अगर संबंध खराब हुए तो यह निर्यात कम हो जाएगा।

पंजाब-कनाडा की अहम जानकारियां

  • कनाडा में पंजाबियों की जनसंख्याः 3.7 प्रतिशत
  • प्रमुख पंजाबी जंसख्या वाले शहरः टोरंटो, वैंकूवर, कैलगिरी, विनीपैग एवं मोंटेरियल
  • भारत का कनाडा के लिए निर्यातः तीन से चार मीलियन डालर
  • पंजाब से निर्यात होने वाले कुल उत्पादः 70
  • प्राकृतिक शहद : 1.21 करोड़
  • इलायची : 25.91 लाख
  • मीठे बिस्कुट : 19.39 करोड़
  • अगरबत्ती : 13.36 लाख
  • हैंडबैग : 67.12 लाख
  • सिंथेटिक स्टेपल फाइबर यार्न : 51.6 करोड़
  • टी-शर्ट : 13 करोड़
  • टैक्सटाइल सूट : 4.38 करोड़
  • कंबल व संबंधित उत्पाद : 1.63 करोड़
  • कंबाइन : 33 लाख
  • हैंडटूल : 15.31 लाख
  • नीडल रोलर बेयरिंग : 31 लाख
  • आटो पार्ट्स : 2 करोड़
  • लकड़ी के उत्पाद : 4 करोड़

(आंकड़े : अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक। स्रोतः डायरेक्टर जनरल फोरन ट्रेड)

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भारत और कनाडा को विवाद छोड़कर बातचीत से मसला सुलझाना चाहिए

भारत और कनाडा के बीच विवाद के कारण विदेशी धरती पर बैठे लाखों भारतीयों, खासकर पंजाबी छात्रों के भविष्य पर खतरा मंडराने लगा है। सीपीआइएम पंजाब सचिव कामरेड सुखविंदर सिंह सेखों ने दोनों देशों की सरकारों को सुझाव दिया कि टकराव की नीति के बजाय एक सार्थक समाधान खोजा जाना चाहिए।सेखों ने कहा कि कथित अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निझर की हत्या के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारतीय एजेंटों पर इस मामले में शामिल होने का आरोप लगाया था। इसके बाद भारत सरकार ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कड़ी आपत्ति जताई, जिसके बाद यह टकराव शुरू हो गया। दोनों देशों के दूतावास के अधिकारियों को देश छोड़ने के लिए कहा गया, अब भारत सरकार ने कनाडाई वीजा पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है।राज्य सचिव ने कहा कि कनाडा सरकार भी इस पर जवाबी कार्रवाई करते हुए सख्ती का रास्ता चुन सकती है जिससे कनाडा में रहने वाले भारतीयों खासकर छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ने का डर पैदा हो गया है।