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Ludhiana Industry : लुधियाना में कलस्टर के लिए उद्योगपति देंगे जगह, सफेद सिलाई मशीन की तकनीक पर होगा काम

लुधियाना में कलस्टर मंजूर होने के बाद उद्योगपतियों ने इसके लिए करीब एक एकड़ जगह का इंतजाम कर लिया है। इस कलस्टर में कामन फेसिलिटी सेंटर-सीएफसी अतिआधुनिक कास्टिंग इकाई मशीनिंग के लिए कंप्यूट्राइज्ड मशीनरी ट्रेंनिंग सेंटर इत्यादि की सुविधा शुरू की जाएगी।

By Vinay KumarEdited By: Updated: Wed, 10 Aug 2022 08:26 AM (IST)
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लुधियाना में सिलाई मशीन कलस्टर के लिए उद्योगपति जगह सरकार को हैंडओवर करेंगे।

लुधियाना [राजीव शर्मा]। पिछले 20 साल से कलस्टर बनाने के लिए जद्दोजहद कर रहे सिलाई मशीन उद्योग का यह सपना अब पूरा होने जा रहा है। कलस्टर मंजूर होने के बाद उद्योगपतियों ने इसके लिए करीब एक एकड़ जगह का इंतजाम कर लिया है। अगले 15 दिन में यह जगह सरकार को हैंडओवर की जाएगी, ताकि कलस्टर बनाने के लिए अगली औपचारिकताओं को पूरा किया जा सके। इस कलस्टर में कामन फेसिलिटी सेंटर-सीएफसी, अतिआधुनिक कास्टिंग इकाई, मशीनिंग के लिए कंप्यूट्राइज्ड मशीनरी, ट्रेंनिंग सेंटर इत्यादि की सुविधा शुरू की जाएगी। इस कलस्टर में केवल सफेद सिलाई मशीन की तकनीक पर ही काम किया जाएगा। उद्योगपति मानते हैं कि अभी तक यह उद्योग पुराने ढर्रे पर ही चल रहा है और ज्यादातर काली मशीन ही बन रही हैं, लेकिन अब आगे बदलाव का वक्त है।

उद्योगपतियों का कहना है कि सिलाई मशीन उद्योग वर्ष 1942 से चल रहा है। ज्यादातर इकाइयां माइक्रो सेक्टर में लगी हैं, संसाधनों की कमी के कारण वे वक्त के साथ अपग्रेड नहीं हो पाई और एक दायरे में ही यह उद्योग सीमित रहा। साफ है कि बाजार की चुनौतियों का मुकाबला नहीं कर पा रहा है एवं धीरे धीरे बाजार से आउट हो रहा है। पिछले करीब बीस साल से उद्योग में बदलाव लाने के लिए उद्योगपति केंद्र की कलस्टर डेवलपमेंट स्कीम के तहत सिलाई मशीन का कलस्टर बनाने के लिए कोशिशें कर रहे हैं। अब यह कलस्टर बनने का रास्ता साफ हो गया है। कलस्टर को मंजूरी मिलने के बाद उद्यमियों ने जगह का इंतजाम भी कर लिया है। अभी केवल मिडल ईस्ट, श्रीलंका, बांग्लादेश इत्यादि देशों को ही काली सिलाई मशीन निर्यात की जा रही है। श्रीलंका एवं बांग्लादेश में चल रही आर्थिक उथल पुथल से सिलाई मशीन के इन देशों में निर्यात पर भी असर है।

और बढ़ेगा घरेलू निर्माताओं का दबदबा

क्लब के महासचिव कुलवंत सिंह कहते हैं कि सफेद मशीन का निर्माण शुरू होते ही देश में इस मशीन के मार्केट को बेहतर ढंग से टैप किया जा सकेगा। अभी यहां की इंडस्ट्री सिर्फ काली सिलाई मशीन ही बना रही है। सीएफसी सेंटर में उद्यमियों का काम जाब वर्क पर किया जाएगा। इससे उनकी उत्पादन लागत में कमी आएगी और वे बेहतर क्वालिटी की तकनीक से मशीनें बना सकेंगे। इससे मार्केट में घरेलू निर्माताओं का भी दबदबा बढ़ेगा।

विदेशी मार्केट पर कब्जा जमाना है लक्ष्य

स्यूईंग मशीन डेवलपमेंट क्लब के प्रधान जगबीर सिंह सोखी कहते हैं कि काफी मुश्किलों के बाद कलस्टर को मंजूरी मिली है। इसे पूरी तरह से हाईटेक बनाया जाएगा। देश में अभी चीन एवं अन्य देशों से सालाना करीब 3500 करोड़ रुपये की सफेद सिलाई मशीनें आयात की जा रही हैं। सोखी कहते हैं कि इस मार्केट पर कब्जा करना ही अब लक्ष्य है। हाईटेक सफेद मशीन बनने के बाद यहां के उद्यमी यूरोप के बाजार में भी अपनी पकड़ बना सकते हैं।

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