Power Crisis In Punjab: इंडस्ट्री को लगने लगे बिजली कट के 'झटके', डीजल के दामों ने छुड़ाए पसीने
Power Crisis In Punjab इंडस्ट्री में रोजाना एक से तीन घंटे का कट लगने लगा है। इससे कट लगने के समय महंगे डीजल से जरनेटर चलाकर इंडस्ट्री को काम करना पड़ रहा है। जो उनकी कास्टिंग में बेहताशा वृद्वि कर रहा है।
By Vipin KumarEdited By: Updated: Sun, 10 Oct 2021 04:13 PM (IST)
लुधियाना, [मुनीश शर्मा]। Power Crisis In Punjab: पंजाब की इंडस्ट्री को पिछले लंबे अर्से से प्रोडक्शन प्रोसेस के लेकर कई तरह के झटके लग रहे हैं। कभी कोविड, तो कभी किसान आंदोलन से आवाजाही ठप और अब फेस्टीवल सीजन में मांग बढ़ने के बावजूद इंडस्ट्री को बिजली कटों से दो चार होना पड़ रहा है। कोयले सहित बिजली के उत्पादन के प्रभावित होने से घरेलू कनेक्शनों के साथ साथ अब बिजली के कटों का सिलसिला उद्योगों में भी अग्रसर हो गया है।
इंडस्ट्री में रोजाना एक से तीन घंटे का कट लगने लगा है। इससे कट लगने के समय महंगे डीजल से जरनेटर चलाकर इंडस्ट्री को काम करना पड़ रहा है। जो उनकी कास्टिंग में बेहताशा वृद्वि कर रहा है। उद्यमियों का कहना है कि बिजली जाने पर प्रोडक्शन प्रोसेस को आरंभ करने में भी काफी समय व्यतीत हो जाती है और अगर इंडस्ट्री जरनेटर पर बिजली की खपत करती है, तो डीजल के दामों में हुई बेहताशा वृद्वि इनपुट कास्ट में भारी बढ़ोतरी पैदा कर रही है। इसके साथ ही इंडस्ट्री पर अब एडिशनल एडवांस कंजपशन डिपोजिट (एएसीडी) का बोझ बढ़ा दिया गया है।
कुलार संस के एमडी गुरमीत सिंह कुलार के मुताबिक बिजली के कटों ने इंडस्ट्री के लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर दी है। भले ही अभी कट एक से तीन घंटे के हैं, लेकिन इस समय के दौरान प्रोडक्शन प्रोसेस प्रभावित हो रहा है और डीजल के दामों के चलते इनपुट कास्ट भी पूरी नहीं हो पा रही। यह समय फेस्टीवल का है और इंडस्ट्री के पास डिमांड है, जो साल भर के लिए इंडस्ट्री को बूस्टअप दे सकती है। लेकिन बिजली न होने से प्रोडक्शन पूरी नहीं हो पाएगी। ऐसे में सरकार को इंडस्ट्री पर लगने वाले कटों को रोकने के लिए पुख्ता बंदोबस्त करने चाहिए।
सेठ इंडस्ट्रीयल कार्पोरेशन के एमडी केके सेठ ने कहा कि सरकार का कर्तव्य बनता है कि वह बिना किसी रूकावट बिजली सप्लाई निरंतर प्रदान करे। सिविंग मशीन एसोसिएशन के गुरमुख सिंह रूपल ने कहा कि जहां कोविड से निकालने के लिए सरकार को योजनाएं प्रदान करनी चाहिए। लेकिन सरकार इंडस्ट्री पर अब एडिशनल एडवांस कंजपशन डिपोजिट (एएसीडी) का बोझ बढ़ा रही है, जबकि बिजली की सप्लाई निरंतर नहीं मिल पा रही।
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