Move to Jagran APP

बॉर्डर पर दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाला फौजी अपने ही घर में हार गया जंग, जानें क्‍यों

दुश्मनों से लोहा लेने वाले पूर्व फौजी करतार सिंह अब पुलिस और भू-माफिया के डर से घर छोड़ चुके हैं। सरकार की ओर से दी गई जमीन पर नौकरी करते समय कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 31 Jan 2019 11:32 AM (IST)
Hero Image
बॉर्डर पर दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाला फौजी अपने ही घर में हार गया जंग, जानें क्‍यों
दिलबाग दानिश, लुधियाना। 34 साल तक फौज में रहते हुए दुश्मनों से लोहा लेने वाले पूर्व फौजी करतार सिंह अब पुलिस और भू-माफिया के डर से घर छोड़ चुके हैं। सरकार की ओर से दी गई जमीन पर नौकरी करते समय कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया। जब उसे छुड़वाना चाहा तो उन्हें चारपाई से बांधकर पीटा गया। हालात ये बने उन्हें अमृतसर छोड़कर लुधियाना आकर बसना पड़ा है। मगर अपनी जमीन छुड़वाने के लिए वह आज भी प्रयास कर रहे हैं।

रिटायर्ड नायब सूबेदार करतार सिंह बताते हैं कि देश के बंटवारे के समय उनका परिवार पाकिस्तान के मडियाना तेगेडा गांव से उजड़कर अमृतसर के गांव झंडेर में रहने लगा। उन्हें सरकार की ओर से जमीन आवंटित की गई थी। कुछ जमीन बाद में खुद भी खरीदी गई थी।

उन्होंने 1966 में भारतीय सेना ज्वाइन की थी और फौज में इमनीशियन टेक्निशियन के पद पर तैनात रहे। उनकी ओर से 1971 की जंग के दौरान भी दुश्मनों से लोहा लिया गया था। वह 28 फरवरी 1990 में फौज से रिटायर्ड हो गए थे। फौज में नौकरी करते समय ही उनकी जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा करना शुरू कर दिया था। जब उन्होंने इसका विरोध किया तो उन्हें परेशान किया जाने लगा। रिटायर्ड होने के बाद जब वह अपने गांव आए तो उन्होंने अदालत में केस कर दिया और केस जीत भी गए।

मगर प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से उसकी जमीन का कब्जा ही नहीं दिलवाया गया। उन्हें गांव छोड़ने के लिए भी मजबूर किया जाने लगा। एक बार तो उक्त लोगों की ओर से उन्हें अगवा कर चारपाई से बांधकर बुरी तरह पीटा गया। इसमें उनका साथ उस समय के पुलिस अधिकारियों ने भी दिया था।

मौत के डर से करतार सिंह ने अपने दो बेटों को 1998 में ही लुधियाना भेज दिया था और वह खुद वहां पर जमीन छुड़ाने के लिए प्रयास करते रहे। मगर बाद में जब कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई तो वह खुद भी लुधियाना के शिमलापुरी एरिया में आकर रहने लगे।

बेटे ने बताया, रात को उठ कर रोने लगते हैं करतार सिंह करतार सिंह के बेटे कंवल दर्लंवदरजीत सिंह के अनुसार पिता रात को अचानक उठ जाते हैं और रोने लगते हैं। आज भी वह जमीन खोने और मारपीट के दृश्य देखकर रात को उठ जाते हैं।

तंत्र से न्याय न मिलने पर वीरता मेडल लौटाने का बनाया मन

करतार सिंह को उनकी वीरता को देखते हुए फौज ने दो वीरता मेडल भी दिए थे। मगर अब यही मेडल उन्हें इस लिए चिढ़ाते हैं कि जिस देश के लिए इतना समय दिया उसका तंत्र कैसे उन्हें न्याय नहीं दिलवा पा रहा है। अब वह इन मेडल को वापस सरकार को लौटाने का मन बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह देश के प्रधानमंत्री को पोस्ट के जरिए अपने मेडल भेज देंगे। यह मामला मेरे ध्यान में नहीं है। करतार सिंह मेरे पास आकर अपनी बात रख सकते हैं। इस मामले में जरूर कार्रवाई की जाएगी।

-परमपाल सिंह, एसएसपी, अमृतसर देहात

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।