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Ludhiana News: 37 कंडम सिटी बसाें की होगी नीलामी, निगम अधिकारियों की लापरवाही से 17.50 करोड़ बर्बाद

Ludhiana News शहर में फिलहाल सिटी बस सेवा शुरू नहीं हाे सकेगी। लोगों के 17.50 करोड़ रुपये अधिकारियों की लापरवाही से बर्बाद हो गए हैं। कबाड़ हो चुकी सिटी बस सर्विस की इन 37 बसों को अब नीलाम किया जाएगा।

By Varinder RanaEdited By: Vipin KumarUpdated: Tue, 11 Oct 2022 09:18 AM (IST)
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लुधियाना में लोगों की सुविधा के चलाई सिटी बसें खड़ी-खड़ी कबाड़ हो गईं l जागरण
जागरण संवाददाता, लुधियाना। नगर निगम की लापरवाही के चलते 37 बसें जमालपुर यार्ड में खड़े-खड़े कबाड़ हो गई। शहरवासियों के लिए सिटी बस सेवा बड़ी सुविधा बन सकती थी, पर ऐसा हाे नहीं सका। लोगों के 17.50 करोड़ रुपये अधिकारियों की लापरवाही से बर्बाद हो गए। बसों की हालत को जानने के लिए गठित की गई कमेटी ने भी अब अपनी रिपोर्ट में साफ कर दिया है कि यह बसें अब सड़क पर चलने लायक नहीं रही हैं। इनकी हालत इतनी खराब हो चुकी है कि अगर लाखों रुपये खर्च कर इनकी मरम्मत भी करवा दी जाए तो भी इस बात की संभावना बहुत कम है कि यह बसें सड़क पर चल पाएंगी।

नीलाम कर छोटी बसें खरीदने की योजना

ऐसे में इन बसों को अब नीलाम कर देना चाहिए। इन बसों को बेचने से जो पैसा मिलेगा उससे छोटी बसें खरीदने की योजना तैयार की जाए। लुधियाना सिटी बस सर्विस लिमिटेड के बोर्ड डायरेक्टर्स की एक बैठक सोमवार को निगम कमिश्नर शेना अग्रवाल की अगुआई में हुई। बैठक में कबाड़ हो चुकी सिटी बस सर्विस की इन 37 बसों को लेकर चर्चा हुई। इसमें कमेटी ने अपनी रिपोर्ट बोर्ड आफ डायरेक्टर्स के सामने रखकर साफ कर दिया कि इन बसों पर अब और पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं है। इस रिपोर्ट को बोर्ड ने स्वीकृति दे दी है। इन बसों को अब आरक्षित कीमत तय कर नीलाम किया जाएगा।

65.20 करोड़ रुपये से खरीदी गई थीं 120 बसें

वर्ष 2009 में जवाहर लाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूअल मिशन (जेएनएनयूआरएम) योजना के तहत सिटी बस को शुरू किया गया था। निगम ने 65.20 करोड़ खर्च 120 बसें ही खरीदी थी। इनमें 37 बसें लो फ्लोर थीं। इन लो फ्लोर बसों की खरीद पर पहले भी सवाल उठे थे। शहर की सड़कें और चौक इतने चौड़े नहीं थे जिन पर इन बसों की चलाया जा सकता था। पहले निगम ने 20 बसों का परिचालन खुद शुरू किया। ठेके पर ड्राइवर और कंडक्टर रखे थे। उस समय निगम के लिए सिटी बसें फायदे का सौदा साबित हो रही थीं। बाद में बसों का परिचालन निगम ने पुणे की एक कंपनी को सौंप दिया। निगम कंपनी को प्रति किलोमीटर के हिसाब से पैसा देना था। वर्ष 2014 में कंपनी ने पैसा नहीं मिलने पर बसों का परिचालन बंद कर दिया। इसके बाद छह माह तक बसों का परिचालन बंद हो गया था।

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2015 में हुआ था बसाें काे चलाने का करार

वर्ष 2015 में होराइजन ट्रांसवे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ निगम बसों को चलाने का करार किया। कंपनी ने 37 लो फ्लोर बसों के संचालन से हाथ पीछे खींच लिए। 83 बसों को चलाने पर सहमति बनी। उसके बाद से यह 37 बसें निगम के यार्ड में खड़ी कर दी गईं। कंपनी का कहना था कि बसों को चलाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ेंगे। अगर निगम इन बसों की मरम्मत करवा दे तो वे इनका संचालन कर सकते हैं। उसके बाद से यह बसें खड़े-खड़े कबाड़ हो गईं। बताया जा रहा है कि अगर इन बसों की मरम्मत करवाई जाए तो निगम को कम से कम पांच करोड़ रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं।

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