जिंदादिली के लिए जाने जाते थे पाहवा, स्टाफ को समझते थे परिवार का हिस्सा
जिदगी भर दूसरों के खुशियां बांटने वाले और जिंदादिली के लिए जाने जाते नोवा साइकिल के सीएमडी हरमोहिदर पाहवा जीवन के अंत तक देश की तरक्की की बात करते रहे और रविवार को दोस्तों की महफिल में हंसते-हंसाते जिदगी के सफर को पूरा कर विदा हो गए।
मुनीश शर्मा, लुधियाना : जिदगी भर दूसरों के खुशियां बांटने वाले और जिंदादिली के लिए जाने जाते नोवा साइकिल के सीएमडी हरमोहिदर पाहवा जीवन के अंत तक देश की तरक्की की बात करते रहे और रविवार को दोस्तों की महफिल में हंसते-हंसाते जिदगी के सफर को पूरा कर विदा हो गए। इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि देश के उत्थान पर चर्चा करते करते वे अपने एक खुशनुमा दोस्त को खो बैठेंगे। हरमोहिदर पाहवा का जाना साइकिल उद्योग के लिए ही नहीं, बल्कि औद्योगिक नगरी लुधियाना के लिए एक बड़ा झटका है। रविवार को वे लुधियाना के सतलुज क्लब में आयोजित काफी विद फ्रेंडस कार्यक्रम में शामिल हो रहे थे। यह ग्रुप हर सप्ताह क्लब में फुरसत के पल व्यतीत करता है। जब वे पार्टी का हिस्सा बनने दोपहर 12 बजे पहुंचे तो सभी से जिंदादिली से मिले। चुटकले भी सुनाए और देश की ग्रोथ से लेकर इंडस्ट्री के मौजूदा हालातों पर भी चर्चा की। जब वे एक चुटकला सुनाकर केक कटिग के लिए खड़े होने लगे तो अचानक गिर गए। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डाक्टरों ने उन्हें मृतक घोषित कर दिया।
एवन साइकिल में डायरेक्टर सेल्स से शुरू किया था करियर का सफर
एवन साइकिल ने 1948 में साइकिल की काठी और ब्रेक निर्माण इकाई के साथ शुरुआत की और एक लंबी और कठिन यात्रा पर निकल पड़े। 1952 में एवन साइकिल का निर्माण आरंभ हुआ। पहले लाट में 250 साइकिलें बनाई गई। सात अक्टूबर 1944 को जन्मे हरमोहिदर सिंह पाहवा ने 40 साल तक एवन साइकिल में बतौर डायरेक्टर सेल्स की भूमिका में काम किया। 1997 में पारिवारिक व्यवसाय को पुनर्गठित किया गया था। एवन साइकिल का कार्यभार ओंकार सिंह पाहवा को दिया गया, जबकि हरमोहिदर सिंह पाहवा ने एवन साइकिल कंपोनेंट्स प्रा. लिमिटेड का कार्यभार संभाला। इसके बाद साल 2002 में नोवा साइकिल का गठन किया गया। इस समय नोवा साइकिल ग्रुप में एवन साइकिल कंपोनेंट्स प्रा. लिमिटेड, नोवा साइकिल और वीएस आटो इंडस्ट्रीज कार्य कर रही हैं।
नोवा साइकिल की नींव रखी
एवन साइकिल परिवार का हिस्सा हरमोहिदर सिंह पाहवा ने पारिवारिक विभाजन के बाद अपने बेटे रोहित पाहवा के साथ एवन ब्रांड नाम के साथ हब, चेन, स्पोक, ब्रेक सेट, पेडल और हैंडल उत्पादों के निर्माण के लिए एक ही परिसर का कब्जा प्राप्त किया। इसके बाद पूर्ण साइकिल निर्माण का काम आरंभ किया। उनकी नोवा फैक्ट्री 9000 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है। इसमें पेंट प्लांट, मशीनरी, प्रोडक्शन एरिया, रिसर्च एंड डेवलपमेंट विग, टूल रूम, पार्किंग एरिया, कच्चे माल के स्टोर, तैयार उत्पाद, टेस्टिग लैब आदि शामिल हैं। नोवा ने पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात, असम, झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप जैसे दस राज्य सरकारों को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत साइकिल की आपूर्ति की है। इसके साथ ही नोवा कंपनी ने हाई-एंड सेगमेंट में भी कई बेहतरीन माडल उतारे। कंपनी ने ढाई मिलियन साइकिलों की बिक्री को पार कर लिया है और कारोबार 100 करोड़ को पार कर गया है। कंपनी ने व्यापार के गुणवत्ता मानकों को पूरा करने के लिए बेहतर फिनिश और ड्यूरेबिलिटी के लिए अपने एनामेलिग और फॉस्फेटिग प्लांट का आधुनिकीकरण किया है। नोवा साइकिल इंडस्ट्रीज एक आईएसओ प्रमाणित कंपनी है।
नोटिस बोर्ड से वर्कशाप तक लिखवाते थे मोटिवेशनल स्लोगन
हरमोहिदर सिंह पाहवा अपने स्टाफ को अपने परिवार का हिस्सा समझते थे। उनका मानना था कि अगर आपका स्टाफ आपके पास से ही रिटायर होकर जा रहा है तो आपकी कंपनी के संस्कार और काम करने का तरीका बेहतर है। वे अपने स्टाफ को अपने पास से ही रिटायर होता देखना चाहते थे। इसके लिए वे रोजाना कंपनी के नोटिस बोर्ड से लेकर वर्कशाप तक पाजिटिव और मोटीवेशनल स्लोगन लिखवाया करते थे। प्लांट में जाकर कर्मचारियों के साथ चर्चा किया करते थे।