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Ludhiana: परिवहन विभाग खुद नहीं जानता कितने अनफिट वाहन सड़कों पर दौड़ रहे, कभी नहीं करवाया सर्वे

Road Safety With Jagran एमवीआइ व आरटीए को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने से पहले जांचने होते हैं वाहन के 31 प्वाइंट्स। लुधियाना में प्रतिदिन 50 से अधिक वाहनों को जारी होते हैं फिटनेस सर्टिफिकेट सही जांच हो तो आठ से दस ही हों पास

By Varinder RanaEdited By: Pankaj DwivediUpdated: Wed, 16 Nov 2022 02:00 AM (IST)
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लुधियाना की सड़कों पर दौड़ते कंडम वाहन हादसों को न्योता देते हैं। जागरण
जासं, लुधियाना। व्यवसायिक या निजी किसी भी वाहन की फिटनेस की जांच सही तरीके से नियम के अनुसार करनी हो तो इसमें एक घंटे से अधिक लग जाता है। इस दौरान एमवीआइ या आरटीए को वाहन के 31 प्वाइंट्स की जांच करनी होती है। सब सही पाया जाए तो फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। लुधियाना में परिवहन विभाग के पास पता नहीं कौन सी जादू की छड़ी है कि केवल दस मिनट की जांच में ही वाहन फिट हो जाते हैं।

जानकारों की मानें तो सामान्य तौर पर किसी वाहन की फिटनेस जांचने में कम से कम एक घंटे का समय लग जता है। लुधियाना में तो इससे छह गुना कम समय में वाहन के 31 प्वाइंट्स की जांच हो जाती है। वाहनों की फिटनेस को जांचने के लिए तय मानकों का सही मायने में पालन किया जाए तो दस मिनट में फिटनेस सर्टिफिकेट संभव नहीं है। लुधियाना में अनफिट व्यवस्था में खटारा वाहन भी फिट होकर सड़कों पर दौड़ रहे हैं और हादसों को न्योता दे रहे हैं।

लुधियाना में एक दिन में 50 से अधिक वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी होते हैं। अगर पासिंग के लिए आए वाहनों के सभी 31 प्वाइंट्स पर मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर (एमवीआइ) जांच करे तो एक दिन में अधिक से अधिक आठ से दस वाहनों को ही फिटनेस सर्टिफिकेट जारी हो सकते हैं। एक दिन में 50 से अधिक वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी हो जाएं तो इससे एमवीआइ व आरटीए की जांच सवालों के घेरे में आती है।

लुधियाना में खस्ताहाल आटो में बैठे स्कूली बच्चे। 

यही कारण है कि जिले की सड़कों पर हजारों की संख्या में अनफिट वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं। अक्सर यही अनफिट वाहन हादसों को कारण बनते हैं। हैरानी की बात है कि सड़कों पर कितने अनफिट वाहन दौड़ रहे हैं इसकी कोई संख्या परिवहन विभाग के पास नहीं है। इनका पता लगाने के लिए आज तक कभी सर्वे भी नहीं करवाया गया है।

गौरतलब है कि निजी वाहन को 15 वर्ष बाद फिटनेस सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है। व्यवसायिक वाहनों को पहले आठ वर्ष तक प्रत्येक दो साल बाद आरटीए से फिटनेस सर्टिफिकेट लेना जरूरी होता है। आठ वर्ष बाद वाहन को हर साल फिटनेस सर्टिफिकेट लेना होता है।

यह होती है वाहन की जांच प्रक्रिया :

वाहन चालक को वाहन के पंजीकरण से संबंधित पूरी जानकारी देनी होती है। इसमें पंजीकरण चिन्ह, क्लास, माडल, वाहन निर्माण की तारीख, वाहन की बाडी की किस्म, चेसिस नंबर, इंजन नंबर, व्हील बेस, बैठने की क्षमता, पिछला वाहन फिटनेस सर्टिफिकेट, वाहन चालक का नाम व पत्ता देना होता है। दूसरे चरण में करंसी रिकार्ड देना पड़ता है। इसमें परमिट, बीमा, वाहन टैक्स, पैसेंजर टैक्स और गुड्स टैक्स की जानकारी देनी होती है।

तीसरे चरण में वाहन के इंजन, क्लच, गेयर बाक्स, प्रोपेलर शाफ्ट, यूनिवर्सल जाइंट, रोड व्हील, टायर, चैसी फ्रेम, फ्रंट एक्सल, रियर एक्सल, ईए स्प्रिंग, आरए स्प्रिंग, एग्जास्ट पाइप, फ्रंट ब्रेक, हैंड ब्रेक, फ्यूल सिस्टम, स्टेयरिंग सिस्टम, इलेक्ट्रिकल सिस्टम, लाइट, विंड स्क्रिन, वाइपर, हार्न, स्पीडो मीटर, रियर व्यू मिरर, पेंट वर्क, टूल बाक्स, स्पेयर व्हील, टैक्सी मीटर आदि की जांच करनी होती है। 

अंत में वाहन की टेस्ट ड्राइव ली जाती है। इसमें वाहन की ब्रेक व हेंड ब्रेक की जांच की जाती है। अगर सब सही पाया जाए तो वाहन को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किया जा सकता है।

पंजाब में सख्ती से बंद हों दिल्ली व एनसीआर के 10 वर्ष पुराने वाहन 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली व एनसीआर में 10 वर्ष से पुराने डीजल वाहन चलाने पर पाबंदी लगा दी है। यह निर्णय वहां बढ़ते प्रदूषण के कारण लिया गया है। जैसे ही डीजल वाहन नौ वर्ष पुराना होता है उसे पंजाब सहित अन्य राज्यों में कम कीमत पर बेच दिया जाता है।

अन्य राज्यों में डीजल वाहनों पर फिलहाल ऐसी कोई पाबंदी नहीं है। कई जगह तो इन वाहनों को अन्य राज्यों के नंबर पर ही सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है। यह सारा खेल एनओसी के सहारे चलता है। यातायात विशेषज्ञ राहुल वर्मा कहते हैं कि आरटीए और ट्रैफिक पुलिस की जिम्मेदारी है कि वह दिल्ली से आने वाले वाहनों की जांच करें। दिल्ली से खरीदे वाहन बिना पंजीकरण नहीं चल सकते हैं। दोनों विभाग अगर मिलकर कार्रवाई करेंगे तो इसका समाधान निकल सकता है।

सीट बेल्ट नहीं लगाने वालों के दस माह में किए 3412 चालान

चार पहिया वाहन चलाते समय सीट बेल्ट लगाना जरूरी है। अब तो पीछे की सीट पर बैठी सवारियों को भी सीट बेल्ट लगाना जरूरी है। अक्सर देखा जाता है कि लोग सीट बेल्ट लगाने में लापरवाही दिखाते हैं। सीट बेल्ट लगाई हो तो हादसा होने पर वह जान बचा सकती है। लोगों को शीशे या सीट से टकराने से बचाती है। एसीपी ट्रैफिक चरणजीव लांबा का कहना है कि सीट बेल्ट नहीं लगाने वालों पर ट्रैफिक पुलिस सख्ती करती है। वर्ष 2022 में अब तक लुधियाना में 3412 चालान किए जा चुके हैं।

महानगर में बिना सीट बेल्ट लगाए सड़क से बेफिक्र होकर गुजरता एक कार चालक। 

भ्रष्टाचार के आरोप में फंसा था पुराना एमवीआइ...

लुधियाना में पहले नरेश कलेर एमवीआइ कार्यरत थे। उनके पास लुधियाना के अलावा अन्य जिलों का कार्यभार भी था। ऐसे में लुधियाना में केवल दो दिन ही वाहनों की फिटनेस की जांच होती थी। इसी साल अगस्त में कलेर के खिलाफ भ्रष्टाचार का कसे दर्ज हो गया। इसके बाद लुधियाना में एमवीआइ का पद खाली हो गया।

सरकार ने पंजाब रोडवेज से मैरिक गर्ग को एमवीआइ का कार्यभर सौंप दिया और उनके साथ एक कर्मचारी पृथ्वी पाल को भी लगाया गया है। अब सोमवार व बुधवार को सामान ढोने वाले व्यवसायिक वाहनों की जांच होती है और मंगलवार व वीरवार को सवारियां ढोने वाले वाहनों की जांच होती है।

फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने से पहले वाहन की पूरी जांच की जाती है। हां यह बात सही है कि एक वाहन जांच करने में काफी समय लगता है। कर्मचारियों की कमी भी है। फिलहाल पीआरटीसी के एमवीआइ जांच में सहयोग कर रहे हैं। दूसरे राज्यों से आने वाले वाहनों की जांच भी करते हैं। जो भी पकड़े जाते हैं, उनका चालान कर थाने में बंद किया जाता है।

- नरिंदर धालीवाल, आरटीए लुधियाना

वाहन चालक इन बातों का रखें ध्यान

वाहन खरीदने से पहले क्रैश टेस्ट रेटिंग चेक करें

- कार खरीदने से पहले बहुत कम लोग सेफ्टी रेटिंग का ध्यान रखते हैं। कई लोगों को तो इसकी जानकारी भी नहीं है। वैश्विक स्तर पर एनसीएपी द्वारा क्रैश टेस्ट रेटिंग जारी की जाती है। इस रेटिंग से पता चलता है कि कार कितनी सुरक्षित है। टेस्ट के दौरान कार में मानव के रूप में डमी का प्रयोग किया जाता है। फिर कार को एक तय स्पीड पर किसी मजबूत चीज से टकराया जाता है और आकलन किया जाता है कि टक्कर के बाद कार में लगे एयरबैग ने काम किया या नहीं, डमी को कितना नुकसान पहुंचा और कार के सुरक्षा फीचर्स ने कितना काम किया। इसके आधार पर रेटिंग तय की जाती है।

सीट बेल्ट जरूर लगाएं 

कार में सवार लोगों की सुरक्षा के लिए सीट बेल्ट जरूरी है। सेंट्रल मोटर व्हीकल नियमों के अनुसार अगली ही नहीं पिछली सीट पर बैठे लोगों के लिए भी सीट बेल्ट लगाना जरूरी है। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि अगर दुर्घटना होती है तो आपका बचाव हो सके। कई बार लोग सीट बेल्ट नहीं लगाते और दुर्घटना के समय लगे झटके के कारण आगे की ओर गिर जाते हैं और चोटिल होने के साथ ही उनकी मृत्यु का खतरा भी बना रहता है।

एयरबैग जान बचाने में सहायक 

एयरबैग दुर्घटना के समय कार में सवार लोगों की जान बचा सकता है। नई कारों में तो एयरबैग लगकर आ रहे हैं लेकिन पुरानी कारों में एयरबैग की सुविधा नहीं है। इसलिए जिन कारों में ऐसी सुविधा नहीं है वह कार चालक खास सावधानी बरतें, ताकि ऐसी नौबत ही न आए की दुर्घटना हो जाए।

टायर का रखें ध्यान

आमतौर पर लोग अपने वाहनों के टायर घिस जाने के बावजूद तब तक टायर नहीं बदलवाते जब तक कि वह पंचर न होने लग जाए या फट न जाए। कई लोग नए टायर के खर्चे से बचने के लिए घिसे हुए टायरों पर रबड़ चढ़ाने का काम करवाते हैं, लेकिन सस्ते के चक्कर में कई बार यही टायर दुर्घटना का कारण बन जाते हैं। इसलिए टायर की लाइफ पूरी होने पर तुरंत वाहन का टायर बदलवा लें।

धुंध में एंटीफोगिंग लाइट जरूरी

- धुंध के समय एंटीफोगिंग लाइट का इस्तेमाल जरूर करें। यह लाइट धुंध के समय वाहन चालकों का दुर्घटना से बचाव कतरने में मददगार है।

ब्रेकिंग सिस्टम हो दुरुस्त

वाहन को सड़क पर उतारने से पहले ब्रेक जरूर चेक कर लें कि वह सही ढंग से काम कर रहा हो। अगर इसमें थोड़ी सी भी खराबी है तो चुरंत मैकेनिक से इसे ठीक करवा लें। वाहन पर नियंत्रण के लिए ब्रेक का ठीक होना बहुत जरूरी है।

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