Punjab News: जान पर आफत बना जच्चा-बच्चा बार्ड, एक महीने में दूसरी बार गिरी छत; अस्पताल ने चूहों पर मढ़ा दोष
Punjab News पंजाब में लुधियाना जिले के सिविल अस्पताल परिसर में स्थित जच्चा बच्चा अस्पताल (एमसीएच) के ग्राउंड फ्लोर स्थित मेजर लेबर रूम में 29 अगस्त को दूसरी बार फॉल्स सीलिंग छत गिर गई थी। अगली सुबह पांच बजे फॉल्स सीलिंग पूरी तरह से नीचे गिर गई लेकिन दोनों कमरे पहले से ही खाली हो चुके थे तो हादसा नहीं हुआ।
By Jagran NewsEdited By: Prince SharmaUpdated: Mon, 11 Sep 2023 05:30 AM (IST)
लुधियाना, आशा मेहता। पंजाब में लुधियाना जिले के सिविल अस्पताल परिसर में स्थित जच्चा बच्चा अस्पताल (एमसीएच) के ग्राउंड फ्लोर स्थित मेजर लेबर रूम में 29 अगस्त को दूसरी बार फॉल्स सीलिंग छत गिर गई थी। इस बार रिकवरी रूम और सेप्टिक रूम की फॉल्स सीलिंग गिरी। गनीमत थी कि 28 अगस्त की रात्रि करीब साढ़े ग्यारह बजे जैसे ही फॉल सीलिंग का एक थोड़ा सा हिस्सा उपर से नीचे की तरफ लटका, तो स्टाफ ने देखते हुए दोनों कमरों से प्रसूताओं को शिफ्ट कर दिया।
नोडल ऑफिसर व पेस्ट कंट्रोल टीम की बुलाई गई थी बैठक
अगली सुबह पांच बजे फॉल्स सीलिंग पूरी तरह से नीचे गिर गई, लेकिन दोनों कमरे पहले से ही खाली हो चुके थे, तो हादसा नहीं हुआ। अगर दोनों रूम खाली न हुए होते, तो बड़ा हादसा हो सकता था। अब सोमवार को इस संबंध में नोडल ऑफिसर व पेस्ट कंट्रोल टीम की मीटिंग भी बुलाई हैं। हैरानी की बात है कि घटना के इतने दिन बीत जाने के बाद भी रिकवरी रूम व सेप्टिक रूम में गिरी फॉल्स सीलिंग की रिपेयर नहीं की गई।
दोनों कमरे बंद पड़े हैं। इससे पहले 11 अगस्त को भी लेबर रूम के अंदर प्रसव कक्ष के पास बने वेटिंग एरिया की फॉल्स सीलिंग अचानक गिर गई थी। उस दौरान वेटिंग एरिया में शेरपुर की रहने वाली आशा वर्कर कुलविंदर कौर को गर्दन व पीठ पर चोटें आई थीं।
किसी भी वक्त फॉल्स सीलिंग गिरने लगती है।
जिस जगह पर फॉल्स सीलिंग गिरी थी, वह उसके समीप ही खड़ी थी। एक महीने के भीतर दो बार फॉल्स सीलिंग के गिरने से लेबर रूम का स्टाफ काफी डरा हुआ है। नाम न छापने की शर्त पर स्टाफ ने कहा कि लेबर रूम में कभी भी किसी भी वक्त फॉल्स सीलिंग गिरने लग जाती है। इससे उनकी जान के साथ साथ गर्भवतियों व प्रसूताओं पर भी हर समय खतरा मंडराता रहता है।
अगस्त व सितंबर में तो प्रसव के लिए बड़ी संख्या में गर्भवतियां आती है। लेबर रूम में पैर रखने तक की जगह नहीं होती है। उन्हें डर है कि किसी दिन कोई बड़ा हादसा न हो जाए। दूसरी तरफ पंजाब हेल्थ सिस्टम कॉरपोरेशन की ओर से बार-बार सीलिंग गिरने के लिए चूहों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
अब सितंबर में 30 से 35 के बीच गर्भवतियों के रोजाना प्रसव हो रहे हैं।
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जब तक चूहों की समस्या का समाधान नहीं हो जाता, तब यह सब होता रहेगा। रोजाना 30 से 35 गर्भवतियों के हो रहे प्रसव, एक बेड पर दो-दो प्रसूताएं लेबर रूम से मिली जानकारी के अनुसार अगस्त में जहां रोजाना 20 से 25 गर्भवतियों के प्रसव हो रहे थे, वहीं अब सितंबर में 30 से 35 के बीच गर्भवतियों के रोजाना प्रसव हो रहे हैं।
इसके चलते अब बेड की कमी भी आने लग गई है। लेबर रूम में इस समय एक एक बेड पर दो दो गर्भवतियों को प्रसव के लिए भर्ती किया जा रहा है। जबकि प्रसव के बाद जिन वार्डों में प्रसूताओं को रखा जाता है, वहां पर एक एक बेड पर दो दो प्रसूताएं अपने शिशुओं के साथ हैं। रविवार को भी लेबर रूम में यही स्थिति दिखी। अगर रिकवरी रूम व सेप्टिक रूम में फॉल्स सीलिंग की रिपेयर करवा दी गई होती, तो बेड कमी की समस्या थोड़ी दूर हो सकती थी। क्योंकि रिकवरी रूम में छह बेड थे, जबकि सेप्टिक रूम में तीन बेड हैं।
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