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लुधियाना में महासाध्वी वीणा बाेलीं-जीवन में सफलता के लिए इंसान काे क्रोध का करना चाहिए त्याग

महासाध्वी वीणा ने आगे कि जिस संसार को हमने बसाया। आज उसे ही छोड़ना बड़ा कठिन हो रहा है। आज का आदमी रहता तो एसी में है पर दिमाग में हीटर लगा हुआ है। अगर आप जीवन में सफल होना चाहते है तो क्रोध का त्याग जरूरी है।

By Vipin KumarEdited By: Updated: Sat, 12 Dec 2020 11:28 AM (IST)
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महासाध्वी गुरुणी वीणा महाराज प्रवचन करतीं हुई। (जागरण)
लुधियाना, जेएनएन। श्रमण गौरव सरलमना महासाध्वी गुरुणी वीणा महाराज, संचिता महाराज ठाणा-5 के सानिध्य में धर्म सभा हुई। इस दाैरान महासाध्वी वीणा महाराज ने कहा कि जीवन में पांच बाते क्षमा, समलता, दया, संतोष व सत्यता अपनानी चाहिए। प्रत्येक चीज की अति बुरी होती है। जिस प्रकार चंदन को अधिक रगड़ने से आग भी निकल सकती है। उसी प्रकार कभी ऐसे व्यंग्य न करो। जो अपने लिए हानिकारक हो। होनी होकर रहती है। कर्म गति टाले नहीं टलती। संसार में कर्म भोगे बिना छुटकारा नहीं मिलता।

उन्होंने आगे कहा कि जिस संसार को हमने बसाया। आज उसे ही छोड़ना बड़ा कठिन हो रहा है। आज का आदमी रहता तो एसी में है पर दिमाग में हीटर लगा हुआ है। अगर आप जीवन में सफल होना चाहते है तो सिर पर आइस फैक्ट्री और मुंह पर शुगर फिटकरी रखिए। व्यक्ति अगर दिमाग की गर्मी को हटाए और जुबां में नरमी लाएं तो परिवार में बल्ले-बल्ले हो जाएगी। सवाल क्रोध कब आता है? जब अपेक्षा की उपेक्षा होती है। तब क्रोध आता है। हम अपेक्षा ही न रखे, तो फिर उपेक्षा कौन कर सकता है।

धर्म जाेड़ना सिखाता है

एसएस जैन स्थानक रुपा मिस्त्री गली में श्रमण गौरव सरलमना महासाध्वी गुरुणी मैया श्री वीणा महाराज ठाणो-5 के सान्निध्य में धर्म सभा आयोजित की गई। साध्वी संचिता महाराज ने कहा कि ये मेरा नहीं, महान भारतीय संस्कृति व भगवान महावीर के अ¨हसा दर्शन का सम्मान है। धर्म हमें जोड़ना सिखाता है, तोड़ना नहीं। धर्म के क्षेत्र में हिंसा घृणा भय व नफरत का कोई स्थान नहीं है। आज अपेक्षा है धर्म को आध्यात्म विज्ञान व समाज सेवा से जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि प्रथम गुरु तो हमारे माता-पिता हैं, जिनसे हमें जीवन, ज्ञान, जीवन का प्रथम पाठ मिला।

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