लुधियाना में जन्में बलिदानी करतार सिंह सराभा को मात्र 19 साल में हुई थी फांसी, भगत सिंह मानते थे अपना नायक
बलिदानी करतार सिंह सराभा के शहीदी दिवस पर हर कोई उन्हें याद कर रहा है। मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए उन्होंने अल्प आयु में अपने प्राण न्योछावर कर दिए। प्रसिद्ध क्रांतिकारी भगत सिंह करतार सिंह को अपना हीरो मानते थे।
By DeepikaEdited By: Updated: Wed, 16 Nov 2022 11:29 AM (IST)
आनलाइन डेस्क, लुधियाना। स्वतंत्रता संग्राम के सबसे कम उम्र के बलिदानी करतार सिंह सराभा का आज शहीदी दिवस है और देश में हर कोई उनको नमन कर रहा है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान आज शहीदी दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए लुधियाना पहुंच रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने ट्विटर पर भी पोस्ट शेयर की है।
बता दें कि, करतार सिंह का जन्म लुधियाना (पंजाब) के गांव सराभा में 24 मई, 1896 को हुआ था। इनके पिता का नाम सरदार मंगल सिंह था। पिता के निधन के बाद दादा ने ही उनकी जिम्मेदारी संभाली। स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद करतार सिंह अमेरिका चले गए। यहां उनका सामना नस्लीय भेदभाव से हुआ।
मात्र 17 साल की उम्र में ली थी गदर पार्टी की सदस्यता
इस अनुभव ने उनकी सोच और जीने के मकसद को पूरी तरह से बदल दिया। मात्र 17 साल की उम्र में उन्होंने गदर पार्टी की सदस्यता ली। इसके बाद वह गदर पत्रिका के संपादक भी गए। उन्होंने लेखों और कविताओं के जरिए नौजवानों को क्रांति के साथ जोड़ने का काम किया था।अल्प आयु में ही हंसते-हंसते मौत को लगाया गले
भारत में एक बड़ी क्रांति योजना के सिलसिले में उन्हें अंग्रेजी सरकार ने विष्णु गणेश पिंगले, बख्शीस सिंह, जगत सिंह, हरनाम सिंह व सुरेण सिंह के साथ 16 नवंबर 1915 को लाहौर जेल में फांसी दे दी थी। उस समय वह मात्र 19 वर्ष के थे। भारतीय स्वतंत्रता के लिए उन्होंने अल्प आयु में ही हंसते-हंसते मौत को गले लगा लिया था। प्रसिद्ध क्रांतिकारी भगत सिंह करतार सिंह सराभा को अपना नायक मानते थे। इतना ही नहीं वह हमेशा उनकी तस्वीर अपने पास रखते थे।
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