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लुधियाना की इस संस्‍था को सलाम, 15 हजार महिलाओं को बना चुकी है आत्मनिर्भर

महिलाओं के उत्थान के लिए बनाई संस्था नारी एकता आसरा संस्था के बैनर तले महिलाओं के लिए फ्री सिलाई कढ़ाई की ट्रेनिंग, कुकिंग, पेटिंग, कंप्यूटर कोर्स, ब्यूटी पार्लर की ट्रेनिंग दी जा चुकी है।

By Krishan KumarEdited By: Updated: Sun, 23 Sep 2018 06:00 AM (IST)

जागरण संवाददाता, लुधियाना : सोलह साल पहले एक विधवा मदद लेने पहुंची। मांग बड़ी मार्मिक थी। घर में दो छोटे छोटे बच्चे हैं और राशन के नाम पर रसोई में आटा तक भी नहीं था। मैंने महीने भर का राशन पड़ोस की किराना शॉप से दिलवा दिया। फिर पूछा आप कोई काम क्यों नहीं करती। जवाब मिला कुछ आता ही नहीं। लेकिन वह सीखने के लिए तैयार थी। उन्हें सिलाई कढ़ाई सिखाई। दो महीने बाद वह न केवल खुद के पैरों पर खड़ी हो बल्कि और जरुरतमंदों की मदद भी करनी लगी। तब ख्याल आया कि ऐसी कितनी औरतें होंगी जिनका जीवन इससे भी दुश्वार होगा। 

तब पति सोहन सिंह गोगा से बातचीत के बाद एक मंच तैयार किया, जहां इन जरुरतमंदों की मदद के लिए नाम रखा नारी एकता आसरा संस्था। यह कहानी है प्रताप नगर की रहने वाली समाजसेविका कुलविंदर कौर की। जरुरतमंद महिलाओं के उत्थान के लिए बनाई संस्था नारी एकता आसरा संस्था के बैनर तले महिलाओं के लिए फ्री सिलाई कढ़ाई की ट्रेनिंग, कुकिंग, पेटिंग, कंप्यूटर कोर्स, ब्यूटी पार्लर की ट्रेनिंग के सेशन चलाकर 15 हजार महिलाओं को अपने पांवों पर खड़ा कर चुकी हैं। कुलविंदर बताती हैं की शुरुआती दौर में हमारा लक्ष्य था महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना। सफलता मिली तो हमने इसका दायरा बढ़ाते हुए समाज को कुरीतियों के प्रति सचेत करने के लिए अभियान चलाए। जिसमें भ्रूण हत्या, दहेज के खिलाफ लोगों को जागरुक किया।

महिलाओं को किया गया सम्‍मानित
महिलाओं के उत्थान के लिए पिछले पांच सालों से विशेष कार्य करने वाली पांच महिलाओं को संस्था के वार्षिक समारोह में सम्मानित का सिलसिला शुरु किया है ताकि और महिलाएं इससे प्रेरित होकर समाजसेवा में अपनी भागीदारी बढ़ाए। मिशन यहीं पर भी नहीं रुका। औरतों को आत्मनिर्भर बनाने, किसी भी क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने वाली महिलाओं को सम्मानित करने के साथ साथ साथ अब अपनी विरासत के प्रति युवाओं को अवगत करवाने में यह संस्‍था जुटी है। इसका ख्याल तब आया जब एक समारोह में एक बुजुर्ग ने कहा कि पंजाब के अधिकतर लोग अब विदेशों का रुख कर चुके है। उनके प्रभाव में लोग पश्चिम के त्योहारों को तो अपना रहे है पर अपनी अमीर विरासत भूलते जा रहे है।

युवाओं को सभ्याचार से जोड़ने व विरासत से रुबरू करवाने के लिए नारी एकता आसरा संस्था ने साल में तीन से चार सभ्याचारक आयोजन करवाने आरंभ किए। विशाल स्तर पर होने वाले इन आयोजन को वैशाखी, लोहड़ी व बसंत जैसे पारम्परिक त्योहार चुने गए। इन आयोजनों की रुपरेखा तैयार करने से लेकर भागीदारी सब युवा वर्ग ही करता है। प्रमुख शख्सियतों को आमत्रिंत करके बड़े आयोजन होते है।

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