Ludhiana News: सांसद संजीव अरोड़ा बने बाकी नेताओं के लिए मिसाल, राज्यसभा के शीतकालीन सत्र में 100% उपस्थिति की दर्ज
पंजाब के लुधियाना से राज्यसभा सदस्य संजीव अरोड़ा बाकी नेताओं के लिए मिसाल बने हैं। अरोड़ा ने हाल ही में समाप्त हुए राज्यसभा के शीतकालीन सत्र में 100 फीसद उपस्थिति दर्ज की है। उनके रिपोर्ट कार्ड से पता चलता है कि उन्होंने शीतकालीन सत्र के दौरान हर दिन भाग लिया। इस प्रकार एक जिम्मेदार सांसद के रूप में अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखायी।
जागरण संवाददाता, लुधियाना। लुधियाना से राज्यसभा सदस्य संजीव अरोड़ा ने हाल ही में समाप्त हुए राज्यसभा के शीतकालीन सत्र में 100 फीसद उपस्थिति दर्ज की है। उनके रिपोर्ट कार्ड से पता चलता है कि उन्होंने शीतकालीन सत्र के दौरान हर दिन भाग लिया। इस प्रकार एक जिम्मेदार सांसद के रूप में अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखायी।
संसद में उनका प्रदर्शन कई अन्य लोगों के लिए बना अनुकरणीय
संसद में उनका प्रदर्शन कई अन्य लोगों के लिए अनुकरणीय बन गया है। पूरे शीतकालीन सत्र के दौरान उन्होंने स्वास्थ्य, गृह, नागरिक उड्डयन, कपड़ा, वित्त और कुछ अन्य मंत्रालयों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर कुल 19 प्रश्न पूछे।
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स्वास्थ्य संबंधी सवालों में उन्होंने आयुष्मान योजना, कैंसर की सस्ती दवाओं और गोल्डन ऑवर में हृदय रोगियों के इलाज के बारे में पूछा। उन्होंने शून्यकाल के दौरान तत्काल महत्व के दो मामले भी उठाए जिनमें कपड़ा उद्योग और आयुष्मान योजना का मुद्दा शामिल था।
अरोड़ा ने जम्मू-कश्मीर बिल और पोस्ट ऑफिस बिल पर भी की बात
अरोड़ा ने जम्मू-कश्मीर बिल और पोस्ट ऑफिस बिल पर भी बात की। उनके सभी सुझावों को संबंधित मंत्रियों ने गंभीरता से लिया। सत्र के दौरान उन्होंने पंजाब राज्य के लंबित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए स्वास्थ्य, श्रम, वित्त और विदेश मामलों के मंत्रियों से भी मुलाकात की। संसद पर हमले और सांसदों के निलंबन के अलावा वह सत्र के पहले भाग में संसद के कामकाज से संतुष्ट दिखे।
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जनहित के मुद्दों को संसद में उठाने की कोशिश की
अरोड़ा ने कहा कि वह हमेशा व्यापक जनहित के मुद्दों को संसद में उठाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि ये मुद्दे पंजाब और देश के अन्य हिस्सों के विभिन्न कोने से उनके समक्ष लाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि वह हमेशा ज्ञापनों, सेमिनारों, डिबेट आदि के माध्यम से लोगों द्वारा उन्हें दी गई प्रतिक्रिया को गहराई से देखते हैं और फिर संसद में अपनी प्राथमिकता वाले मुद्दों को अंतिम रूप देते हैं।