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Navratri 2022: वेदों के भंडार से कम नहीं लुधियाना का यह मंदिर, जरूरतमंदों की सेवा के लिए अग्रणी

Navratri 2022 लुधियाना का वेद मंदिर भक्ताें की आस्था का केंद्र है। यहां मंदिर प्रांगण धर्म सम्मेलन से लेकर श्री राम कथा कृष्ण कथा जन्माष्टमी शिवरात्रि व नवरात्र उत्सव पर विशेष आयोजन होते है। मंदिर की स्थापना ब्रह्मलीन पूज्य चरण श्री दंडी स्वामी महाराज ने की थी।

By Jagran NewsEdited By: Vipin KumarUpdated: Tue, 04 Oct 2022 09:56 AM (IST)
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Navratri 2022: वेद मंदिर मां दुर्गा स्वरुप को नमन करते ब्रह्मण मंडली सदस्यl सौ. मंदिर कमेटी
जागरण संवाददाता, लुधियाना। Navratri 2022: शहर का वेद मंदिर वेदों के अपार भंडार का प्रतीक है। निगम निकेतन वेद मंदिर की स्थापना ब्रह्मलीन पूज्य चरण श्री दंडी स्वामी महाराज ने वर्ष 1960 ई में किया था। जिसमें उन्होंने भारत धर्म प्रचारक मंडल, वेद मंदिर की स्थापना की। मंदिर प्रांगण धर्म सम्मेलन से लेकर श्री राम कथा, कृष्ण कथा, जन्माष्टमी, शिवरात्रि, नवरात्र उत्सव, होली आदि पर विशेष आयोजन होते है। मंदिर प्रांगण में यज्ञशाला भी है। जिस की हीरो साइकिल के ब्रज मोहन मुंजाल, प्रेमनाथ अग्रवाल ने आधारशीला रखी।

1970 में हुआ था शिव मंदिर का निर्माण

सर्वप्रथम शिव मंदिर का निर्माण 1970 के लगभग मंदिर में हुआ था। इसके अलावा भगवान लक्ष्मी नारायण, हनुमान जी की प्रतिमा, मां दुर्गा के नौ देवीयों के स्वरुप, दंडी स्वामी भास्करानंद जी की समाधि स्थल सहित विद्वानों की प्रतिभा स्थापित है। गेट के मुख्य द्वार पर गणेश पूजन की अदुभुत प्रशंसनीय है। यहां नवरात्रि के दिनाें में हर राेज भक्ताें की भीड़ लगी रहती है। श्रद्धालु सुबह से ही कताराें में जुटने शुरू हाे जाते हैं।

1960 को धर्म सम्मेलन का हुआ था आगाज

ब्रह्मलीन पूज्य दंडी स्वामी भास्करानंद महाराज की अपार कृपा से 1960 को धर्म सम्मेलन का आगाज हुआ, जो आज वेदाचार्य स्वामी निगम बोध तीर्थ के सानिध्य में स्वर्ण जयंती पार कर चुका है। जिसमें जगदगुरु शंकराचार्य से लेकर देश के जाने-माने संतजनों ने लुधियानावासियों का समय-समय पर मार्गदर्शन किया साथ ही अपनी ओजस्वी वाणी से मन मोह लिया।

जरुरतमंदों के लिए अस्पताल

वेदाचार्य स्वामी निगम बोध तीर्थ ने कहा कि धर्म के साथ-साथ वेद मंदिर जरूरतमंदों की सेवा के लिए भी अग्रणी रहा है। जिसमें आंखों का अस्पताल, दांतों का अस्पताल सहित मेडिकल सुविधाएं रखी गई है। जिसमें जरुरतमंदों का कम पैसों में ईलाज किया जाता है। इसके अलावा मंदिर प्रांगण में संस्कृत विद्यालय भी स्थापित है, जिसमें हजारों छात्रों ने शिक्षा ग्रहण कर आज देश के विभिन्न राज्यों में मंदिरों में सेवाएं निभा रहे है।

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